गाजा में इजराइल ने फलस्तीनियों पर फिर बरपाया कहर, 6 लोगों की मौत; एक UN कार्यकर्ता भी शामिल
इजरायली हवाई हमलों में कम से कम छह लोग मारे गए जिनमें एक घर के दो बच्चे और एक संयुक्त राष्ट्र कार्यकर्ता UN भी शामिल थे यहां तक कि इजरायल और हमास के बीच रुकी हुई संघर्ष विराम वार्ता फिर से शुरू होने के संकेत दे रही है। वेस्ट बैंक के जेनिन में इजरायली सैन्य अभियान के दौरान सात लोग मारे गए।
एपी, गाजा। इजरायल और गाजा के बीच संघर्ष खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। दोनों में से कोई भी झुकने के लिए तैयार नहीं है, अब एक बार फिर इजरायल ने गाजा पर खतरनाक हमला किया, अलग-अलग इजरायली हवाई हमलों में कम से कम छह लोग मारे गए, जिनमें एक घर के दो बच्चे और एक संयुक्त राष्ट्र कार्यकर्ता UN भी शामिल थे, यहां तक कि इजरायल और हमास के बीच रुकी हुई संघर्ष विराम वार्ता फिर से शुरू होने के संकेत दे रही है।
फलस्तीन अस्पताल के अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी। इजरायली सेना ने इस हफ्ते की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि गाजा में हर पांच में से चार लोग - लगभग 2 मिलियन फलस्तीनी - इजरायली सैन्य हमलों और निकासी आदेशों के विस्तार के कारण क्षेत्र के केंद्र में चले गए हैं। नागरिक अस्थायी तम्बू शिविरों और भीड़भाड़ वाले शहरी इलाकों में शरण ले रहे हैं, वहीं उनमें से कई लोग कई बार विस्थापित हुए हैं।
वेस्ट बैंक में मारे गए 7 लोग
फलस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, हमले के कारण वेस्ट बैंक जेनिन में भी हिंसा भड़क गई, जहां इजरायली बलों ने छापे और हवाई हमले में सात लोगों को मार डाला। इसके जवाब में आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह की तरफ से इजराइल-लेबनान सीमा पर रॉकेट दागे गए। आतंकी संगठन ने दो इजराइली सैनिकों को मामूली रूप से घायल कर दिया, सेना ने कहा, य झड़पें व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकती हैं।बढ़ रही भुखमरी की समस्या
बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में दक्षिणी शहर खान यूनिस के आधे हिस्से और आसपास के बड़े हिस्से को खाली करने के इजरायली आदेश से लगभग 250,000 लोग प्रभावित हुए थे। फलस्तीनी क्षेत्रों के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी कार्यालय के प्रमुख ने कहा, सुरक्षा की मांग कर रहे अधिकांश फलस्तीन या तो तटीय क्षेत्र पर केंद्रित इजरायली-घोषित 'सुरक्षित क्षेत्र' की ओर जा रहे हैं, या पास के शहर दीर अल-बलाह की ओर जा रहे हैं।
इजरायली प्रतिबंधों, जारी लड़ाई और कानून-व्यवस्था के टूटने से मानवीय सहायता प्रयासों में कमी आई है, जिससे व्यापक भूखमरी और अकाल की आशंका पैदा हो गई है।