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'Wrath of God', जब इजरायल ने 11 खिलाड़ियों की हत्या का चुन-चुनकर लिया था बदला, ओलंपिक आतंकी हमले के बाद मोसाद ने चलाया था खूंखार ऑपरेशन

Munich Massacre ईरान-इजरायल युद्ध के गहराते संकट के बीच हम आपको बताने जा रहे हैं ओलंपिक खेल में हुए एक आतंकी हमले के बारे में जिससे पूरी दुनिया दहल गई थी। इसके बाद इजरायल ने बदला लेने के लिए सालों तक ऐसा ऑपरेशन चलाया जिस पर आगे चलकर कई फिल्में बनीं और किताबें भी लिखी गईं। इसे Operation Wrath of God के नाम से जाना जाता है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 04 Aug 2024 04:59 PM (IST)
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1972 ओलंपिक में हुई आतंकी घटना ने पूरे विश्व को स्तब्ध कर दिया था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पेरिस में चल रहे ओलंपिक खेल में दुनियाभर के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। विश्वस्तरीय इवेंट होने के कारण कड़ी सुरक्षा के बीच खेलों का आयोजन कराया जा रहा है। सुरक्षा इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि ओलंपिक खेलों का इतिहास भी आतंकी घटनाओं से अछूता नहीं रहा है। 1972 ओलंपिक में हुई आतंकी घटना ने पूरे विश्व को स्तब्ध कर दिया था।

सन 1972 में जर्मनी के म्यूनिख में ओलंपिक खेलों का आयोजन कराया गया था। ओलंपिक की शुरुआत 26 अगस्त 1972 को हुई थी। म्यूनिख से करीब 20 किमी दूर पर ओलंपिक विलेज बनाया गया था, जहां के होटलों में खिलाड़ी ठहरे हुए थे।

इजरायली खिलाड़ियों के होटल में घुसे आतंकी

खेलों के दौरान 6 सितंबर 1972 को फिलिस्तीनी आतंकवादी संगठन ब्लैक सितंबर के पांच नकाबपोश आतंकी उस होटल में घुस गए, जहां इजरायली खिलाड़ी रुके हुए थे। आतंकियों ने घुसते ही सबसे पहले इजरायली वेटलिफ्टर जोसेफ रोमानो को गोली मार दी। इसके बाद उन्होंने कोच मोशे वेनबर्गे की हत्या कर दी।

इधर, होटल में अफरातफरी मच गई और इसी बीच आतंकियों ने नौ इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बना लिया। इसके बाद आतंकियों ने जर्मनी सरकार से मांग रखी कि इजरायल उनके कुछ नेताओं को रिहा करे, अन्यथा वह खिलाड़ियों को मार देंगे। जर्मनी सरकार उनकी मांगों के आगे झुक गई और उन्हें सुरक्षित काहिरा पहुंचाने की बात कही।

एयरपोर्ट में हुआ खूनी संघर्ष

आतंकी वहां से एयरपोर्ट के लिए निकले और साथ में खिलाड़ियों को भी लेकर गए। इधर जर्मनी ने प्लान बनाया कि वह एयरपोर्ट में ऑपरेशन के माध्यम से आतंकियों को मारकर खिलाड़ियों को बचा लेगा। एयरपोर्ट में शूटरों के गोली चलाते ही एक आतंकी ने हेलीकॉप्टर पर हाथगोला फेंक दिया। इसके बाद तेज धमाका हुआ और कई लोगों की जान चली गई।

बचे हुए आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। एक-एक कर आतंकियों को मार गिराया गया, लेकिन इस खूनी संघर्ष (Munich Massacre) में सभी खिलाड़ियों की भी जान चली गई। इस घटना ने पूरी दुनिया में दहशत फैला दी थी। ओलंपिक खेलों को भी रद्द कर दिया गया था।

इजरायल ने लिया बदला लेने का प्रण

इस हमले से आग बबूला इजरायल ने अपने खिलाड़ियों की मौत का बदला लेने की कसम खाई और एक-एक कर ब्लैक सितंबर के आतंकियों को खत्म करने का प्लान बनाया। तत्काली इजरायली प्रधान मंत्री गोल्डा मेयर ने गुप्त रूप से इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को नरसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाने और उन्हें खत्म करने का आदेश दिया।

Wrath of God: सात साल चला ऑपरेशन 

इजरायली एजेंसी मोसाद ने इसके बाद अगले सात वर्षों तक 'ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड' नाम से सीक्रेट मिशन चलाया, जिसमें उसने यूरोप और मध्य पूर्व में एक दर्जन से अधिक संदिग्धों को निशाना बनाया और उनकी हत्या कर दी गई। इस ऑपरेशन में एक विशेष रूप से प्रशिक्षित हिट-टीम शामिल थी, जिसे 'किडन' नाम से जाना जाता है। ऑपरेशन पर कई किताबें लिखी जा चुकी हैं और फिल्में भी बनी हैं।

ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड के तहत इजरायल ने फिलिस्तीनी कवि वेल ज़्वैटर को रोम में निशाना बनाया। मोसाद का मानना ​​था कि वह इटली में ब्लैक सितंबर का प्रमुख था और म्यूनिख हमले में शामिल था। फ्रांस में पैलेस्टाइन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन का प्रतिनिधि महमूद हमशारी भी प्रमुख टार्गेट में से एक था, जिसे इजरायल ने निशाना बनाया था। ऐसे ही फिलिस्तीन समर्थित कई आतंकियों और नेताओं को इजरायल ने इस हमले में मार गिराया था और अपने खिलाड़ियों की मौत का बदला लिया था।