जानिये मध्य पूर्व के सबसे विवादास्पद क्षेत्र गाजा पट्टी के बारे में, जो बैठा है बारूद के मुहाने पर
मध्यपूर्व में गाजा पट्टी सबसे विवादास्पद क्षेत्रों में से एक है। गाजा पट्टी बारूदी सुरंग पर बैठा हुआ है। इसको लेकर पिछले 70 सालों से विवाद चल रहा है।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 07 May 2019 08:32 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पिछले कुछ दिनों में गाजा पट्टी से इजराइल पर रॉकट दागे गए, वहीं इजराइल ने जवाबी हमला करते हुए गाजा पट्टी पर हमला किया। इजराइल के हमले का निशाना मुख्य रूप से इस्लामिक जेहाद और हमास के ट्रेनिंग कैंप और हथियार बनाने के ठिकानों का निशाना बना गया। हमास का नौसेना केंद्र भी हमलों का निशाना रहा। गाजा पट्टी पर बार-बार ऐसे ही खूनी हालात पैदा हो रहे हैं, जिनमें आम नागरिक मारे जा रहे हैं। इस विवाद में इजरायल और हमास आमने-सामने होते हैं।
हमास इजरायल को देश ही नहीं मानता है और उसे खत्म करने की चुनौती देता है। दूसरी तरफ इजरायल और अमेरिका जैसे देश हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं और उसे समाप्त करना चाहते हैं। गाजा पट्टी पर हमास का अधिकार होने के बाद से ही इजरायल ने वहां तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, जिसके कारण लोगों और आवश्यक सामग्री का क्षेत्र में परिवहन बंद हो गया है। हमास कहता है कि प्रतिबंध को हटाया जाए, जबकि इजरायल इसे जरूरी बताता है। आइये जानते हैं गाजापट्टी के बारे में
क्या है गाजा का विवाद
मध्यपूर्व में गाजा पट्टी सबसे विवादास्पद क्षेत्रों में से एक है। गाजा पट्टी बारुदी सुरंग पर बैठा हुआ है। इसको लेकर पिछले 70 सालों से विवाद चल रहा है। गाजा पट्टी एक फिलिस्तीनी क्षेत्र है। यह मिस्त्र और इजरायल के मध्य भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है। यानी इसके एक ओर भूमध्य सागर है तो दूसरी ओर इजरायल तथा एक हिस्सा मिस्र को भी छूता है।यह मात्र 40 किमी लंबी और 10 किमी चौड़ी पट्टी है। इसका कुल क्षेत्र 235 वर्ग किलोमीटर है। फिलिस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां की आबादी करीब 20 लाख है। इस पर इजरायल विरोधी आतंकी संगठन हमास द्वारा शासन किया जाता है। जहां फिलिस्तीन और कई दूसरे मुसलमान देश इजराइल को यहूदी राज्य के रूप में मानने से इनकार करते हैं। 1947 के बाद जब संयुक्त राष्ट्र (UN) ने फिलिस्तीन को यहूदी और अरब राज्य में बांट दिया था, जिसके बाद से फिलिस्तीन और इजराइल के बीच संघर्ष जारी है। इसमें सबसे अहम मुद्दा इजराइल को राज्य के रूप में स्वीकार करने का है तो दूसरा गाजा पट्टी का है जो इजराइल की स्थापना के समय से ही इजरायल और दूसरे अरब देशों के बीच संघर्ष का कारण साबित हुआ है।
मध्यपूर्व में गाजा पट्टी सबसे विवादास्पद क्षेत्रों में से एक है। गाजा पट्टी बारुदी सुरंग पर बैठा हुआ है। इसको लेकर पिछले 70 सालों से विवाद चल रहा है। गाजा पट्टी एक फिलिस्तीनी क्षेत्र है। यह मिस्त्र और इजरायल के मध्य भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है। यानी इसके एक ओर भूमध्य सागर है तो दूसरी ओर इजरायल तथा एक हिस्सा मिस्र को भी छूता है।यह मात्र 40 किमी लंबी और 10 किमी चौड़ी पट्टी है। इसका कुल क्षेत्र 235 वर्ग किलोमीटर है। फिलिस्तीन अरबी और बहुसंख्य मुस्लिम बहुल इलाका है, जहां की आबादी करीब 20 लाख है। इस पर इजरायल विरोधी आतंकी संगठन हमास द्वारा शासन किया जाता है। जहां फिलिस्तीन और कई दूसरे मुसलमान देश इजराइल को यहूदी राज्य के रूप में मानने से इनकार करते हैं। 1947 के बाद जब संयुक्त राष्ट्र (UN) ने फिलिस्तीन को यहूदी और अरब राज्य में बांट दिया था, जिसके बाद से फिलिस्तीन और इजराइल के बीच संघर्ष जारी है। इसमें सबसे अहम मुद्दा इजराइल को राज्य के रूप में स्वीकार करने का है तो दूसरा गाजा पट्टी का है जो इजराइल की स्थापना के समय से ही इजरायल और दूसरे अरब देशों के बीच संघर्ष का कारण साबित हुआ है।
क्या है गाजा पट्टी का इतिहास ?
गाजा पट्टी के आकार का निर्धारण 1948-49 के अरब-इजरायली युद्ध के बाद हुआ था। इसके बाद गाजा पट्टी पर मिस्र ने 1948 से 1967 तक शासन किया। जून 1967 में छह दिनों के युद्ध के बाद इजरायल ने इस पट्टी पर कब्जा जमा लिया था और यह पूरी तरह उसके ही नियंत्रण में थी। इसके बाद इजरायल ने 25 सालों तक इस पर कब्जा बनाए रखा, लेकिन दिसंबर 1987 में गाजा के फिलिस्तिनियों के बीच दंगों और हिंसक झड़प ने एक विद्रोह का रूप ले लिया। हालांकि पट्टी की दक्षिणी सीमा पर मिस्र का ही कब्जा बरकरार रहा।1994 में इजरायल ने फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (पीएलओ) द्वारा हस्ताक्षरित ओस्लो समझौते की शर्तों के तहत फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) को गाजा पट्टी में सरकारी प्राधिकरण का चरणबद्ध स्थानांतरण शुरू किया। वर्ष 2000 की शुरुआत में फिलिस्तीनी अथॉरिटी और इजरायल के बीच वार्ता नाकाम होने से हिंसा अपने चरम पर पहुंच गई, जिसे सामाप्त करने के लिए इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने एक योजना की घोषणा की। इसके तहत गाजा पट्टी से इजरायल सैनिकों को वापस हटाने और स्थानीय निवासियों को बसाने का प्रस्ताव था। सितंबर 2005 में इजरायल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना को वापस बुला लिया, जिसके बाद यह पट्टी फलस्तीन के अधिकार क्षेत्र में आ गई। हालांकि, इजरायल ने क्षेत्ररक्षा और हवाई गश्त को जारी रखा। अब मूलत: फलस्तीन (पेलेस्टाइन नेशनल अथॉरिटी) का ही एक हिस्सा होने के बावजूद यहां पर फिलस्तीन सरकार का नियंत्रण नहीं है। 2007 से हमास का शासन
इस पर जून 2007 के बाद से कट्टरपंथी आतंकी संगठन हमास का शासन है और फतह (फिलिस्तिन राजनीतिक समूह) की अगुवाई वाली आपातकालीन कैबिनेट ने पश्चिम बैंक का कब्जा कर लिया। फिलिस्तीनी अथॉरिटी अध्यक्ष महमूद अब्बास ने कहा कि गाजा हमास के नियंत्रण में रहेगा। फलस्तीन में 2006 में संसदीय चुनाव हुए थे। इसमें हमास विजयी रहा था।अपेक्षाकृत उदार दल फतह दूसरे स्थान पर आया। दोनों दलों ने मिलकर सरकार बनाई। लेकिन फिर जून 2007 में हमास ने गाजा पट्टी पर अकेले कब्जा कर लिया। इसके बाद से आज तक गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा बरकरार है। फतह शासित फलस्तीन का अधिकार केवल वेस्टबैंक तक है।2007 के अंत में इजरायल ने गाजा पट्टी को दुश्मन क्षेत्र घोषित कर दिया और इसके साथ ही गाजा पर कई प्रकार के प्रतिबंधों को मंजूरी दी। इसमें बिजली कटौती, भारी प्रतिबंधित आयात और सीमा को बंद करना शामिल था। जनवरी 2008 में हुए हमलों के बाद गाजा पर प्रतिबंधों के दायरे को और बढ़ा दिया गया और सीमा को सील कर दिया गया, ताकि अस्थायी रूप से ईंधन आयात को रोका जा सके। इन प्रतिबंधों के बावजूद आतंकी समूह हमास के समर्थन में कमी नहीं आर्इ है। उसे मध्य पूर्व के कई मुस्लिम देशों का समर्थन हासिल है। लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
गाजा पट्टी के आकार का निर्धारण 1948-49 के अरब-इजरायली युद्ध के बाद हुआ था। इसके बाद गाजा पट्टी पर मिस्र ने 1948 से 1967 तक शासन किया। जून 1967 में छह दिनों के युद्ध के बाद इजरायल ने इस पट्टी पर कब्जा जमा लिया था और यह पूरी तरह उसके ही नियंत्रण में थी। इसके बाद इजरायल ने 25 सालों तक इस पर कब्जा बनाए रखा, लेकिन दिसंबर 1987 में गाजा के फिलिस्तिनियों के बीच दंगों और हिंसक झड़प ने एक विद्रोह का रूप ले लिया। हालांकि पट्टी की दक्षिणी सीमा पर मिस्र का ही कब्जा बरकरार रहा।1994 में इजरायल ने फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (पीएलओ) द्वारा हस्ताक्षरित ओस्लो समझौते की शर्तों के तहत फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) को गाजा पट्टी में सरकारी प्राधिकरण का चरणबद्ध स्थानांतरण शुरू किया। वर्ष 2000 की शुरुआत में फिलिस्तीनी अथॉरिटी और इजरायल के बीच वार्ता नाकाम होने से हिंसा अपने चरम पर पहुंच गई, जिसे सामाप्त करने के लिए इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने एक योजना की घोषणा की। इसके तहत गाजा पट्टी से इजरायल सैनिकों को वापस हटाने और स्थानीय निवासियों को बसाने का प्रस्ताव था। सितंबर 2005 में इजरायल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना को वापस बुला लिया, जिसके बाद यह पट्टी फलस्तीन के अधिकार क्षेत्र में आ गई। हालांकि, इजरायल ने क्षेत्ररक्षा और हवाई गश्त को जारी रखा। अब मूलत: फलस्तीन (पेलेस्टाइन नेशनल अथॉरिटी) का ही एक हिस्सा होने के बावजूद यहां पर फिलस्तीन सरकार का नियंत्रण नहीं है। 2007 से हमास का शासन
इस पर जून 2007 के बाद से कट्टरपंथी आतंकी संगठन हमास का शासन है और फतह (फिलिस्तिन राजनीतिक समूह) की अगुवाई वाली आपातकालीन कैबिनेट ने पश्चिम बैंक का कब्जा कर लिया। फिलिस्तीनी अथॉरिटी अध्यक्ष महमूद अब्बास ने कहा कि गाजा हमास के नियंत्रण में रहेगा। फलस्तीन में 2006 में संसदीय चुनाव हुए थे। इसमें हमास विजयी रहा था।अपेक्षाकृत उदार दल फतह दूसरे स्थान पर आया। दोनों दलों ने मिलकर सरकार बनाई। लेकिन फिर जून 2007 में हमास ने गाजा पट्टी पर अकेले कब्जा कर लिया। इसके बाद से आज तक गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा बरकरार है। फतह शासित फलस्तीन का अधिकार केवल वेस्टबैंक तक है।2007 के अंत में इजरायल ने गाजा पट्टी को दुश्मन क्षेत्र घोषित कर दिया और इसके साथ ही गाजा पर कई प्रकार के प्रतिबंधों को मंजूरी दी। इसमें बिजली कटौती, भारी प्रतिबंधित आयात और सीमा को बंद करना शामिल था। जनवरी 2008 में हुए हमलों के बाद गाजा पर प्रतिबंधों के दायरे को और बढ़ा दिया गया और सीमा को सील कर दिया गया, ताकि अस्थायी रूप से ईंधन आयात को रोका जा सके। इन प्रतिबंधों के बावजूद आतंकी समूह हमास के समर्थन में कमी नहीं आर्इ है। उसे मध्य पूर्व के कई मुस्लिम देशों का समर्थन हासिल है। लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप