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'नरक से बदतर हो गई है जिंदगी', 'मौत आए पर ऐसा दिन न आए'; गाजा पट्टी के लोगों को मिला जिंदगी भर का दर्द, सुना रहे आपबीती

हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के बाद से ही इजरायली प्रशासन ने अपनी प्रतिक्रिया शुरू कर दी है। दरअसल गाजा पट्टी में रहने वाले लोगों के लिए इजरायल ने पानी बिजली और भोजन की सप्लाई पर रोक लगा दी है। अब दक्षिणी गाजा पट्टी में पानी की बेहद कमी हो चुकी है और लोगों को बाथरूम के लिए भी लंबी-लंबी कतारों में खड़े होना पड़ रहा है।

By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Mon, 16 Oct 2023 03:45 PM (IST)
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पानी, बिजली और खाने की किल्लत से जुझ रहे गाजा पट्टी के लोग

एएफपी, गाजा। हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के बाद से ही इजरायली प्रशासन ने अपनी प्रतिक्रिया शुरू कर दी है। दरअसल, गाजा पट्टी पर रहने वाले लोगों के लिए इजरायल ने पानी, बिजली और भोजन की सप्लाई बंद कर दिया है। अब दक्षिणी गाजा पट्टी में पानी की बेहद कमी हो चुकी है और लोगों को बाथरूम के लिए भी लंबी-लंबी कतारों में खड़े होना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक, वहां पर लोगों को स्नान किए हुए कई दिन हो चुके हैं।

खुद के लिए बोझ बनी जिंदगी

43 वर्षीय अहमद हामिद अपनी पत्नी और सात बच्चों के साथ गाजा शहर से भागकर राफा की ओर जा रहे थे। दरअसल, शुक्रवार को इजरायली सेना ने एन्क्लेव के उत्तर के निवासियों को अपनी सुरक्षा के लिए दक्षिण की ओर जाने की चेतावनी दी थी।

अहमद हामिद ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हमने कई दिनों से स्नान नहीं किया है। यहां तक कि शौचालय जाने के लिए भी लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। कोई भोजन नहीं है। सभी सामान उपलब्ध नहीं हैं और जो उपलब्ध है उसकी कीमतें बढ़ गई हैं। हमें केवल ट्यूना के डिब्बे और पनीर ही मिलते हैं। मैं एक बोझ की तरह महसूस करता हूं, क्योंकि कुछ भी करने में पूरी तरह से असमर्थ हूं।"

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चार हजार से अधिक लोगों की मौत

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 7 अक्टूबर को हमास के घातक हमले के जवाब में इजरायल ने गाजा पर लगातार हवाई बमबारी शुरू कर दी थी, जिसके बाद से लगभग दस लाख लोगों को पलायन करना पड़ा है। हमास के हमले में इजरायली पक्ष के 1,400 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश आम नागरिक थे। गजान की ओर से लगातार हो रही बमबारी में लगभग 2,670 लोग मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश सामान्य फलस्तीनी हैं।

रविवार को दक्षिण में पानी सप्लाई फिर से शुरू करने से पहले, इजरायल ने घनी आबादी वाले तटीय इलाके में सभी पानी, बिजली और खाद्य सामग्री की सप्लाई भी पूरी तरह से बंद कर दी है।

अनजान लोगों के बीच पहुंची गाजा निवासी

55 वर्षीय मोना अब्देल हामिद गाजा शहर में अपना घर छोड़कर राफा में अपने रिश्तेदारों के घर जा रही थीं, लेकिन इसी बीच उन्होंने खुद को एक ऐसे परिवार के बीच पाया, जिन्हें वो जानती तक नहीं थी। उन्होंने कहा, "मैं अपमान और शर्मिंदगी महसूस कर रही हूं। मैं शरण की तलाश में हूं। हमारे पास बहुत सारे कपड़े नहीं हैं और जो हैं उनमें से ज्यादातर अब गंदे हो गए हैं, उन्हें धोने के लिए पानी नहीं है। बिजली नहीं, पानी नहीं, इंटरनेट नहीं। मुझे ऐसा लग रहा है, जैसे मैं अपनी मानवता खो रहा हूं।"

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दोस्त के घर रहने को हुई मजबूर

शुक्रवार से 50 वर्षीय सबा मस्बाह अपने पति, बेटी और 21 अन्य रिश्तेदारों के साथ राफा में एक दोस्त के घर पर रह रही हैं। उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "सबसे बुरी और भयानक बात यह है कि हमें पानी नहीं मिल रहा है। अब हममें से कोई भी नहीं नहाता, क्योंकि पानी बहुत कम है।"

जिन लोगों ने UNRWA स्कूलों में शरण ली है, वे भी भोजन और पानी की तलाश में हैं। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के संचार निदेशक, जूलियट टौमा ने एएफपी को बताया कि और भी अधिक लोगों के विस्थापित होने की संभावना है, क्योंकि अब भी लोग लगातार अपना घर छोड़ रहे हैं।"

मानवता कहां गुम हो गई

खामिस अबू हिलाल ने कहा, "पूरा परिवार खत्म हो गया। मैं बड़े पैमाने पर विनाश को देख रहा हूं। वे कहते हैं कि यहां आतंकवाद है, लेकिन जिस मानवता की बात करते हैं, वो मानवता कहां है?" उन्होंने कहा, "यहां सभी नागरिक हैं, जिनका किसी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन वे मारे जा रहे हैं, कोई भी जीवित नहीं बचा है।"

मकान के अवशेष देखकर 

रफा के अपने मकान के ढेर पर खड़ी होकर समीरा कसाब पूछ रही है, "हम कहां जाएंगे? अरब देश कहां हैं? हमने अपना पूरा जीवन विस्थापन में बिताया है। हमारा घर, जिसमें मेरे सभी बच्चे रहते थे, उस पर हमला हो गया। हम सड़क पर सोए, कुछ भी नहीं बचा है।"

रोते-बिलखते समीरा ने कहा, "हम अलग-थलग हैं। मेरी बेटी को कैंसर है और मैं उसे अस्पताल नहीं ले जा सकती। मैं खुद ब्लड प्रेशर और मधुमेह से पीड़ित हूं, लेकिन हम निडर होकर लड़ रहे हैं। अपने पोते-पोतियों से घिरी हुई उन्होंने कहा, "चाहे कुछ भी हो जाए, मैं नहीं जाऊंगी, भले ही मैं मर जाऊं।"

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