65 लाख से अधिक की कीमत का एक कबूतर! सुनकर आप भी चकरा जाएंगे, लेकिन ये सच है
इराक में इन दिनों कबूतरों की रेस का क्रेज सिर चढ़ कर बोल रहा है। यहां लोग कबूतरों की रेस पर हजारों-लाखों डॉलर का दांव लगाते हैं।
By Amit SinghEdited By: Updated: Thu, 07 Mar 2019 09:00 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आपने मुर्गों की लड़ाई और बाज की रेस समेत पशु-पक्षियों की ऐसी कई अनोखी प्रतियोगिताओं के बारे में बहुत सी कहानियां सुनी या देखी होंगी, लेकिन इराक में इन दिनों कबूतरों की रेस का क्रेज सिर चढ़ कर बोल रहा है। यहां लोग कबूतरों की रेस पर हजारों-लाखों डॉलर का दांव लगाते हैं। ये इराक में आयोजित होने वाली कबूतरों की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित रेस है। इसके साथ यहां कबूतरों का अपहरण कर फिरौती मांगने के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।
कबूतरों की ये रेस बगदाद से लगभग 100 मील दक्षिण में एक खुले मैदान में आयोजित की जाती है। रेस में भाग लेने के लिए यहां तकरीबन एक दर्जन ट्रक में भर कर कबूतर लाए जाते हैं। सूरज की पहली किरण के साथ रेस शुरू होती है। इस रेस में करीब 14000 कबूतर हिस्सा लेते हैं और जब वह रेस जीतने के लिए बगदाद की तरफ उड़ान भरते हैं तो उनके 28000 पंखों से आसपास हवा का एक तेज झोंका सा बन जाता है।
अक्टूबर से मार्च के बीच होती हैं रेस
रेस में शामिल होने वाले इन कबूतरों को छह महीने में सैकड़ों घंटों का कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है। इन कबूतरों के पंख फैलाते ही इन पर हजारों डॉलर खर्च करने वाले लोगों की उम्मीदें भी सातवें आसमान पर पहुंच जाती हैं। ये रेस प्रतिवर्ष अक्टूबर से मार्च के महीने के बीच आयोजित की जाती है, जब सर्दियों में तापमान कुछ कम हो जाता है। इस रेस से कबूतरों के मालिक साबित करते हैं कि उन्होंने एक चैंपियन तैयार किया है, जो उनके प्रतिष्ठा की बात है।
रेस में शामिल होने वाले इन कबूतरों को छह महीने में सैकड़ों घंटों का कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है। इन कबूतरों के पंख फैलाते ही इन पर हजारों डॉलर खर्च करने वाले लोगों की उम्मीदें भी सातवें आसमान पर पहुंच जाती हैं। ये रेस प्रतिवर्ष अक्टूबर से मार्च के महीने के बीच आयोजित की जाती है, जब सर्दियों में तापमान कुछ कम हो जाता है। इस रेस से कबूतरों के मालिक साबित करते हैं कि उन्होंने एक चैंपियन तैयार किया है, जो उनके प्रतिष्ठा की बात है।
65 लाख से ज्यादा में बिका विजेता कबूतर
रेस में शामिल होने वाले ये कबूतर 600 मील तक का सफर तय कर सकते हैं। यूरोपीय प्रजाति के इन कबूतरों की अधिकतम रफ्तार 90 मील प्रति घंटे तक हो सकती है। रेस के लिए इन कबूतरों की मांग यहां काफी ज्यादा होती है। रेस जीतने वाले कबूतरों की कीमत तकरीबन 4000 डॉलर (2,82,296 रुपये) तक होती है। कुछ समय पहले बसरा में रेस जीतने वाला एक कबूतर 93000 डॉलर (65,63,568 रुपये) की कीमत पर बिका था, जो अब तक की सबसे ज्यादा कीमत है। प्रति रेस देते हें 100 डॉलर की डाइट
इन कबूतरों को प्रति सीजन रेस जीतने के लिए लगभग 100 डॉलर (लगभग 7,058 रुपये) मूल्य का पौष्टिक चारा दिया जाता है, ताकि प्रतियोगिता के लिए इन्हें ज्यादा से ज्यादा ताकतवर बनाया जा सके। इनकी खुराक में विटामिन से लेकर हर्बल चाय और ओमेगा-तीन की खुराक तक शामिल होती है। बड़े अधिकारी से लेकर पेशेवर भी लेते हैं हिस्सा
कबूतर रेसिंग का ये खेल संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप से शुरू हुआ था, लेकिन वहां पर अब इस तरह की प्रतियोगिताएं लगभग समाप्ति की कगार पर हैं। इसके मुकाबले इराक में कबूतरों की रेसिंग प्रतियोगिता तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इराक में करीब 20 वर्ष के संघर्ष के बाद लोकप्रिय होती कबूतर रेसिंग की इस प्रतियोगिता को स्थानीय लोगों में बढ़ती शांति की आदत के तौर पर भी देखा जा रहा है। कबूतरों की शौकिया रेस कराने वालों में डॉक्टर, शित्राविद, सेना के उच्च अधिकारी, पुलिस अधिकारी, खुफिया विभाग के अधिकारी और इंजीनियर जैसे पेशेवर लोग भी शामिल होते हैं। इसी से इसकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। शौक से लेकर करियर तक
कबूतरों रेस के शौक ने कईयों को बेहतरीन करियर बनाने का भी मौका दिया है। बगदाद में ऐसे कई पेशेवर हैं, जो नौकरी छोड़कर प्रसिद्ध कबूतर क्लब चला रहे हैं। इस क्लब में लोगों को उनके कबूतर के लिए बेहतरीन डाइट के साथ प्रशिक्षण के बेहतरीन टिप्स भी मिलते हैं। यहां ऐसे कई क्लब हैं। इसकी एक और खासियत यह है कि इससे प्रतियोगियों में घनिष्ठता बड़ रही है। ऐसे होती है रेस की ट्रैकिंग
कबूतर रेसिंग में सभी पक्षियों को एक साथ उड़ाया जाता है। ये सभी कबूतर उड़कर अपने घर पहुंचते हैं। इनके पैरों में दिनार (स्थानीय मुद्रा के नोट) का आधा हिस्सा बंधा होता है। दिनार का आधा हिस्सा प्रतियोगिता के जजों के पास होता है, ताकि दोनों में नोट का नंबर एक हो और उनका मिलान किया जा सके। कबूतर का मालिक घर पर ही अपने पक्षी के लौटने का इंतजार करता है। कबूतर के घर पहुंचते ही उसका मालिक पैरों से दिनार का आधा टुकड़ा निकालता है और फिर उसे जल्दी से जल्दी प्रतियोगिता के जज के पास पहुंचता है। जो मालिक दिनार लेकर सबसे पहले पहुंचता है, उसका कबूतर विजयी घोषित होता है।कबूतरों की होती है किडनैपिंग
इराक में जैसे-जैसे कबूतरों की रेस प्रसिद्ध हो रही है, वैसे ही इन्हें लेकर हैरान करने वाले अपराधों की भी शुरूआत हो चुकी है। रेसिंग के दौरान ये कबूतर जिन इलाकों से उड़ान भरते हुए निकलते हैं, वहां के कुछ गांवों में युवक इन कबूतरों का अपहरण कर लेते हैं। इसके लिए कबूतर को ढेला मारकर, जाल में या पतले तार में फंसाकर या कई अन्य तरीकों से जिंदा पकड़ लिया जाता है। इसके बाद ये लोग कबूतर मालिकों से 20 से 30 डॉलर (करीब 1500 से 2000 रुपये) की फिरौती मांगते हैं। कबूतर मालिकों को भी उनके अपहृत होने का डर होता है। लिहाजा बहुत से मालिक कबूतरों के पैर में अपना मोबाइल नंबर लिखकर लगाते हैं। इससे किडनैपर कबूतर का अपहरण करने के बाद आसानी से उनसे संपर्क कर फिरौती मांग पाते हैं। फिरौती मिलने के बाद वह कबूतर को सुरक्षित छोड़ देते हैं। इनसे वही कबूतर बच पाते हैं जो काफी ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए इन इलाकों को पार कर जाते हैं। विजेता कबूतरों की भारी मांग
वेल्डिंग की दुकान चलाने वाले 46 वर्षीय खादिम हामिद ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके कबूतरों ने कई प्रतियोगिताएं जीती हैं और उनका घर ट्रॉफियों से भरा हुआ है। वर्तमान में उनके पास 50 रेसिंग कबूतर हैं। हालांकि इनमें से कोई भी शीर्ष 10 रेसर में शामिल नहीं रहा है। इन ताजा नतीजों से वह खासे परेशान हैं। वह कहते हैं कि आपके कबूतर को विजेता बनने के लिए क्या चाहिए, ये आपको जानना होता है। तभी आप अपने कबूतर को विजेता बना सकते हैं। कबूतरों की रेस से ऐसे होता है मुनाफा
रेस जीतने वाले कबूतर को 100 या 200 डॉलर (करीब 7000 से 15000 रुपये) की ईनामी राशि प्राप्त होती है, जो कि उसकी देखरेख या उसे विजेता बनाने पर किए गए खर्चों के मुकाबले काफी कम होती है। हालांकि ईनामी राशि असली फायदा नहीं होती है। असली मुनाफा विजेता कबूतरों को ब्रीडिंग के लिए ऊंची कीमत पर बेचकर कमाया जाता है। इसलिए कबूतरों को रेसिंग सीजन शुरू होने से करीब छह माह पहले से ही तैयार किया जाने लगता है।यह भी पढ़ें-
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रेस में शामिल होने वाले ये कबूतर 600 मील तक का सफर तय कर सकते हैं। यूरोपीय प्रजाति के इन कबूतरों की अधिकतम रफ्तार 90 मील प्रति घंटे तक हो सकती है। रेस के लिए इन कबूतरों की मांग यहां काफी ज्यादा होती है। रेस जीतने वाले कबूतरों की कीमत तकरीबन 4000 डॉलर (2,82,296 रुपये) तक होती है। कुछ समय पहले बसरा में रेस जीतने वाला एक कबूतर 93000 डॉलर (65,63,568 रुपये) की कीमत पर बिका था, जो अब तक की सबसे ज्यादा कीमत है। प्रति रेस देते हें 100 डॉलर की डाइट
इन कबूतरों को प्रति सीजन रेस जीतने के लिए लगभग 100 डॉलर (लगभग 7,058 रुपये) मूल्य का पौष्टिक चारा दिया जाता है, ताकि प्रतियोगिता के लिए इन्हें ज्यादा से ज्यादा ताकतवर बनाया जा सके। इनकी खुराक में विटामिन से लेकर हर्बल चाय और ओमेगा-तीन की खुराक तक शामिल होती है। बड़े अधिकारी से लेकर पेशेवर भी लेते हैं हिस्सा
कबूतर रेसिंग का ये खेल संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप से शुरू हुआ था, लेकिन वहां पर अब इस तरह की प्रतियोगिताएं लगभग समाप्ति की कगार पर हैं। इसके मुकाबले इराक में कबूतरों की रेसिंग प्रतियोगिता तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इराक में करीब 20 वर्ष के संघर्ष के बाद लोकप्रिय होती कबूतर रेसिंग की इस प्रतियोगिता को स्थानीय लोगों में बढ़ती शांति की आदत के तौर पर भी देखा जा रहा है। कबूतरों की शौकिया रेस कराने वालों में डॉक्टर, शित्राविद, सेना के उच्च अधिकारी, पुलिस अधिकारी, खुफिया विभाग के अधिकारी और इंजीनियर जैसे पेशेवर लोग भी शामिल होते हैं। इसी से इसकी लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। शौक से लेकर करियर तक
कबूतरों रेस के शौक ने कईयों को बेहतरीन करियर बनाने का भी मौका दिया है। बगदाद में ऐसे कई पेशेवर हैं, जो नौकरी छोड़कर प्रसिद्ध कबूतर क्लब चला रहे हैं। इस क्लब में लोगों को उनके कबूतर के लिए बेहतरीन डाइट के साथ प्रशिक्षण के बेहतरीन टिप्स भी मिलते हैं। यहां ऐसे कई क्लब हैं। इसकी एक और खासियत यह है कि इससे प्रतियोगियों में घनिष्ठता बड़ रही है। ऐसे होती है रेस की ट्रैकिंग
कबूतर रेसिंग में सभी पक्षियों को एक साथ उड़ाया जाता है। ये सभी कबूतर उड़कर अपने घर पहुंचते हैं। इनके पैरों में दिनार (स्थानीय मुद्रा के नोट) का आधा हिस्सा बंधा होता है। दिनार का आधा हिस्सा प्रतियोगिता के जजों के पास होता है, ताकि दोनों में नोट का नंबर एक हो और उनका मिलान किया जा सके। कबूतर का मालिक घर पर ही अपने पक्षी के लौटने का इंतजार करता है। कबूतर के घर पहुंचते ही उसका मालिक पैरों से दिनार का आधा टुकड़ा निकालता है और फिर उसे जल्दी से जल्दी प्रतियोगिता के जज के पास पहुंचता है। जो मालिक दिनार लेकर सबसे पहले पहुंचता है, उसका कबूतर विजयी घोषित होता है।कबूतरों की होती है किडनैपिंग
इराक में जैसे-जैसे कबूतरों की रेस प्रसिद्ध हो रही है, वैसे ही इन्हें लेकर हैरान करने वाले अपराधों की भी शुरूआत हो चुकी है। रेसिंग के दौरान ये कबूतर जिन इलाकों से उड़ान भरते हुए निकलते हैं, वहां के कुछ गांवों में युवक इन कबूतरों का अपहरण कर लेते हैं। इसके लिए कबूतर को ढेला मारकर, जाल में या पतले तार में फंसाकर या कई अन्य तरीकों से जिंदा पकड़ लिया जाता है। इसके बाद ये लोग कबूतर मालिकों से 20 से 30 डॉलर (करीब 1500 से 2000 रुपये) की फिरौती मांगते हैं। कबूतर मालिकों को भी उनके अपहृत होने का डर होता है। लिहाजा बहुत से मालिक कबूतरों के पैर में अपना मोबाइल नंबर लिखकर लगाते हैं। इससे किडनैपर कबूतर का अपहरण करने के बाद आसानी से उनसे संपर्क कर फिरौती मांग पाते हैं। फिरौती मिलने के बाद वह कबूतर को सुरक्षित छोड़ देते हैं। इनसे वही कबूतर बच पाते हैं जो काफी ऊंचाई पर उड़ान भरते हुए इन इलाकों को पार कर जाते हैं। विजेता कबूतरों की भारी मांग
वेल्डिंग की दुकान चलाने वाले 46 वर्षीय खादिम हामिद ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया से बातचीत में बताया कि उनके कबूतरों ने कई प्रतियोगिताएं जीती हैं और उनका घर ट्रॉफियों से भरा हुआ है। वर्तमान में उनके पास 50 रेसिंग कबूतर हैं। हालांकि इनमें से कोई भी शीर्ष 10 रेसर में शामिल नहीं रहा है। इन ताजा नतीजों से वह खासे परेशान हैं। वह कहते हैं कि आपके कबूतर को विजेता बनने के लिए क्या चाहिए, ये आपको जानना होता है। तभी आप अपने कबूतर को विजेता बना सकते हैं। कबूतरों की रेस से ऐसे होता है मुनाफा
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