Move to Jagran APP

5 दिन में कैसे बेदम हो गया दुनिया का सबसे ताकतवर संगठन हिजबुल्लाह? पढ़ें नेतन्याहू के प्लान की इनसाइड स्टोरी

इजरायल ने 23 सितंबर से पूरी ताकत के साथ हिजबुल्लाह के खिलाफ जंग छेड़ी। मगर दुनिया का सबसे ताकतवर गैर-सरकारी संगठन हिजबुल्लाह को सिर्फ 5 दिन में ही इजरायल ने घुटनों पर ला दिया। इजरायली हमलों में अब तक हिजबुल्लाह की टॉप लीडरशिप खत्म हो चुकी है। एक लाख लड़ाकों की फौज तो है मगर उन्हें निर्देश देना वाला कोई नहीं बचा है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 29 Sep 2024 02:41 PM (IST)
Hero Image
इजरायल ने तोड़ी हिजबुल्लाह की कमर। (फोटो- रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायल ने सिर्फ 5 दिन में दुनिया के सबसे ताकतवर गैर-सरकारी संगठन हिजबुल्लाह की कमर तोड़कर रख दी। मगर यह करना इतना आसान नहीं था। इजरायल पिछले 11 महीने से हिजबुल्लाह के खिलाफ बड़ा प्लान बना रहा था।

इजरायल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ 23 सितंबर को जंग का एलान किया और 27 सितंबर को उसके सरगना हसन नसरल्लाह को मार गिराया। इतना ही नहीं इजरायल अब तक हिजबुल्लाह के कई कमांडरों को भी ढेर कर चुका है। आइए पढ़ते हैं इजरायल के प्लान की इनसाइड स्टोरी...

यहां से शुरू हुई जंग

7 अक्तूबर 2023 को इजरायल पर हमास ने बड़ा हमला बोला। इस हमले में 1200 इजरायली नागरिकों की जान गई और 251 को बंधक बना लिया गया। इसी के साथ इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग का एलान किया। इस बीच गाजा में इजरायली हमलों के विरोध में हिजबुल्लाह ने भी उत्तरी इजरायल को निशाना बनाना शुरू किया। नतीजा यह हुआ कि करीब 65 हजार इजरायली नागरिकों को अपने घर छोड़ने पड़े।

11 महीने सिर्फ हमास पर किया फोकस

पिछले 11 महीने तक इजरायल ने बेहद सधे अंदाज में काम किया। उसने पूरा फोकस गाजा में हमास को खत्म करने पर लगाया। उत्तरी सीमा पर इजरायली सेना ने सिर्फ हिजबुल्लाह के हमलों का बचाव किया। उसे पता था कि अगर अभी हिजबुल्लाह के खिलाफ आक्रामकता दिखाई तो कई फ्रंट पर युद्ध लड़ना पड़ सकता है।

मोसाद ने की हिजबुल्लाह की खुफिया निगरानी

इस बीच इजरायल ने गाजा में हमास की कमर को तोड़ना जारी रखा। उसके सरगना इस्माइल हानिया को ईरान की राजधानी तेहरान में ढेर किया। इस्माइल की मौत ने हमास के मनोबल को तोड़कर रख दिया। हमास के खिलाफ पिछले 11 महीने की जंग के दौरान ही मोसाद ने हिजबुल्लाह की खुफिया निगरानी शुरू कर दी थी, क्योंकि उसे पता था कि हमास के बाद इसी संगठन से इजरायल को सबसे बड़ा खतरा है।

हिजबुल्लाह को जासूसी का पता लगा

फरवरी में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को इजरायली जासूसी का शक हुआ। इसके बाद उन्होंने अपने सभी लड़ाकों को मोबाइल फोन की जगह पेजर और वॉकी-टॉकी के इस्तेमाल का आदेश दिया। मगर मोसाद उनसे दो कदम आगे निकली। उसने हिजबुल्लाह के पांच हजार पेजरों पर फरवरी में ही विस्फोटक लगा दिए थे।

हर एक हरकत पर थी नजर

हिजबुल्लाह की हर एक हरकत पर मोसाद की नजर थी। कहां पर हथियार रखे हैं। कहां पर एंटी-शिप मिसाइलें हैं। इतना ही नहीं हिजबुल्लाह के कमांडरों की पूरी सूची तैयार की गई। हसन नसरल्लाह समेत प्रमुख कमांडरों के ठिकानें कहां हैं? इसकी जानकारी मोसाद ने जुटाई।

इस बहाने से इजरायल ने शुरू की जंग

उधर, जब गाजा में हमास बेहद कमजोर हो गया तो इजरायल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ मोर्चा खोलने का निर्णय लिया। इजरायल ने हिजबुल्लाह पर हमले की वजह यह बताई कि जब तक इसे खत्म नहीं किया जाएगा तब तक उत्तर इजरायल में 65 हजार लोगों की सुरक्षित घर वापसी संभव नहीं है।

पेजर अटैक से पैदा किया खौफ

17 और 18 अक्टूबर को मोसाद ने पूरे इजरायल में पेजर और वॉकी-टॉकी, लैपटॉप और सोलर पैनल में धमाका किया। इसमें 50 से अधिक लोगों की जान गई और 4000 से ज्यादा लोग घायल हुए। खास बात यह है कि हमास के 1500 लड़ाके विकलांग हो गए। किसी की आंख चली गई तो किसी का हाथ गायब हो गया। इस घटना से हिजबुल्लाह के लड़ाकों में खौफ पैदा हो गया। वहीं इजरायल ने अपनी ताकत का अहसास कराया कि आपके आसपास की हर चीज हमारे निशाने पर है।

 संचार नेटवर्क को किया ध्वस्त

पेजर और वॉकी-टॉकी विस्फोट से हिजबुल्लाह का संचार सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो गया। हिजबुल्लाह अपने लड़ाकों के बीच जब तक संचार स्थापित करता उससे पहले ही इजरायल ने जंग के नए चरण का एलान कर दिया। 23 सितंबर से इजरायली लड़ाकू विमानों ने हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाना शुरू किया।

यह भी पढ़ें: 'हसन नसरुल्ला नहीं रहे,' हिजबुल्ला चीफ की मौत की खबर सुनाते हुए रो पड़ी न्यूज एंकर

इस बीच हिजबुल्लाह के पास लड़ाकों से बातचीत और तालमेल बनाने का कोई साधन नहीं बचा था। इसका फायदा इजरायल ने उठाया। 23 सितंबर से 27 सितंबर तक महज पांच दिनों में हिजबुल्लाह की टॉप लीडरशिप को इजरायल ने तबाह कर दिया।

सबसे पहले हिजबुल्लाह के हथियारों पर हमला

इजरायल के हमलों में एक खास पैटर्न दिखता है। दरअसल, इजरायल ने सबसे अधिक हिजबुल्लाह के सैन्य भंडार को निशाना बनाया। इजरायल को पता है कि हिजबुल्लाह के पास बेहद घातक हथियार हैं। अगर इन्हें समय से पहले नष्ट नहीं किया गया तो इजरायल को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कमांडरों को मारकर तोड़ी कमर

इजरायल की दूसरी सबसे अहम रणनीति यह रही कि टॉप कमांडरों को मारकर संगठन के मनोबल को ध्वस्त किया जाए। इजरायल ने सबसे पहले अजीज यूनिट के कमांडर मोहम्मद नस्सर को ढेर किया। इसके बाद नस्सर यूनिट के कमांडर समी तालेब अब्दुल्लाह को मार गिराया। रॉकेट और मिसाइल डिवीजन के कमांडर इब्राहिम कुबैसी को बेरूत में मारा।

रणनीति के तहत कमांडरों को किया ढेर

इजरायल पर रॉकेट बरसाने वाले कमांडर इब्राहिम मुहम्मद को मारकर इजरायल ने हिजबुल्लाह के हवाई हमलों की क्षमता को सीमित कर दिया। इसके बाद राडवान फोर्स के कमांडर इब्राहिम अकील को मारा। उससे पहले रणनीतिक यूनिट के प्रमुख फुआद शुकर को ढेर किया।

इजरायल पर हमला हिजबुल्लाह के दक्षिणी फ्रंट से हो रहा था। सबसे पहले इजरायल ने इसी फ्रंट के प्रमुख अली कराकी को मौत के घाट उतारा। उसकी मौत की वजह से इजरायल पर हिजबुल्लाह के हमलों में भारी कमी आई।

इसके बाद कमांडर विस्सम अल तवील को मार गिराया। राडवान फोर्स को ट्रेनिंग देने वाले अबु हसन समीर को मौत की नींद सुलाया। इजरायल पर निगरानी रखने वाले एरियल यूनिट के कमांडर मोहम्मद हुसैन को मारकर इजरायल ने संगठन की ताकत को बेहद कमजोर कर दिया।

हिजबुल्लाह पर गिराई सबसे बड़ी गाज

27 सितंबर को इजरायल ने हिजबुल्लाह को सबसे बड़ा झटका दिया। लेबनान की राजधानी बेरूत में हिजबुल्लाह के भूमिगत मुख्यालय को आईडीएफ ने निशाना बनाया। इस हमले में हिजबुल्लाह का सरगना हसन नसअल्लाह मारा गया। हसन की मौत निश्चित रूप से इजरायल की मनोवैज्ञानिक जीत है। वहीं इससे हिजबुल्लाह के मनोबल को बड़ा झटका लगा।

इजरायल ने माना- ताकतवर दुश्मन

इजरायल के चीफ ऑफ स्टाफ का खुद मानना है कि हिजबुल्लाह एक ताकतवर दुश्मन है। उसने अभी तक अपने अधिकांश हथियारों का इस्तेमाल तक नहीं किया है। उनका मानना है कि अगर जमीनी हमला करने की नौबत आई तो इजरायल के सामने हिजबुल्लाह हमास की तुलना में अधिक चुनौती पेश करेगा।

एक साल से नसरल्लाह की हो रही थी जासूसी

इजरायली सेना ने अपने बयान में कहा कि पिछले एक साल से हसन नसरल्लाह की हर हरकत पर नजर थी। वह कहां ठहरता है और कहां जाता है? सटीक खुफिया जानकारी मिलने के बाद ही उसके ठिकाने पर हमला किया गया।

इजरायल को उम्मीद से कम नुकसान

इजरायल की सेना आईडीएफ ने खुद अनुमान लगाया कि युद्ध की स्थिति में हिजबुल्लाह रोजाना हजारों रॉकेट दागने में सक्षम है। इन हमलों में सैकड़ों लोगों की जान जा सकती है। मगर यह इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के प्लान का ही नतीजा रहा कि इजरायल को उतना नुकसान नहीं उठाना पड़ा, जितना अनुमान लगाया गया था। हिजबुल्लाह के साथ युद्ध में इजरायल के 26 नागरिक और 22 सैनिकों की जान गई है।

किसे-कितना हुआ नुकसान?

11 महीने के संघर्ष में हिजबुल्लाह के 500 से अधिक लड़ाकों की जान जा चुकी है। 7 अक्टूबर से 20 सितंबर तक इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच कुल 10,214 हमले हुए हैं। इजरायल ने लगभग 81 प्रतिशत यानी 8,313 हमलों को अंजाम दिया। इन हमलों में लेबनान में 752 लोग की जान गई। हिजबुल्लाह ने 1,901 हमलों की जिम्मेदार ली। नतीजतन 65 हजार इजरायली नागरिकों को घर छोड़ना पड़ा।

यह भी पढ़ें: घुटनों पर आया हिजबुल्ला, ईरान ने बुलाई यूएनएससी की बैठक; PM नेतन्याहू ने दी चेतावनी