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Egypt: 4500 साल पुराने गीजा के पिरामिड में मिला छिपा हुआ कॉरिडोर, नौ मीटर लंबे गलियारे की सामने आई तस्वीरें

मिस्र के मुख्य काहिरा से लगभग 11 मील की दूरी पर स्थित पिरामिड को इसके निर्माता के नाम पर खुफु का पिरामिड के रूप में भी जाना जाता है। यह संरचना प्राचीन विश्व का अंतिम आश्चर्य है। (फोटो एपी)

By AgencyEdited By: Anurag GuptaUpdated: Fri, 03 Mar 2023 11:15 PM (IST)
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Egypt: 4500 साल पुराने गीजा के पिरामिड में मिला छिपा हुआ कॉरिडोर
काहिरा, एजेंसी। मिस्र में गीजा के महान पिरामिड में लंबे कॉरिडोर का पता चला है। पिरामिड के उत्तर की ओर जांच के माध्यम से इसका पता चला है। यह नौ मीटर लंबा और दो मीटर चौड़ा है। यह मुख्य द्वार के ऊपर स्थित है। इस खोज के संबंध में पुरातत्ववेत्ता जही हवास और पर्यटन मंत्री अहमद ईसा ने जानकारी दी है।

अधिकारियों का कहना है कि अभी इसके उपयोग के संबंध में जानकारी नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि इस तरह के गलियारे आगे के पुरातत्विक खोज को बढ़ावा देते हैं। इसकी खोज अंतरराष्ट्रीय परियोजना स्केन पिरामिड प्रोजेक्ट के अंतर्गत की गई है।

अधिकारियों ने बताया कि इस पिरामिड के अन्य रहस्य उजागर हो सकते हैं। प्राचीन दुनिया के सात अजूबों में से एक इस पिरामिड के रहस्य जानने के लिए 2015 से स्कैन पिरामिड प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। इसके तहत पिरामिड के भीतरी रहस्य जानने के लिए इंफ्रारेड थर्मोग्राफी, 3डी सिमुलेशन और कॉस्मिक-रे इमेजिंग जैसी गैर-भेदक प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है।

4,500 साल पहले बनाया गया था कॉरिडोर

मुख्य काहिरा से लगभग 11 मील की दूरी पर स्थित पिरामिड को इसके निर्माता के नाम पर खुफु का पिरामिड के रूप में भी जाना जाता है। यह संरचना प्राचीन विश्व का अंतिम आश्चर्य है। करीब 4,500 साल पहले शाही कब्रगाह के रूप में इसे बनाया गया था। यह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।

नेचर जर्नल में प्रकाशित एक लेख में गुरुवार को बताया गया कि वैज्ञानिकों ने पिरामिड के पत्थरों में 6 मिमी एंडोस्कोप को डालकर तस्वीरें एकत्रित की और कॉस्मिक-रे म्यूऑन रेडियोग्राफी से कॉरिडोर का पता लगाया। 2017 में स्कैन पिरामिड के शोधकर्ताओं ने जानकारी दी थी कि इस पिरामिड के भीतर कम से कम 30 मीटर लंबा खाली स्थान है।

समय के साथ बदली पिरामिड की ऊंचाई

ग्रेट पिरामिड को 2560 ईसा पूर्व के आसपास फेरोआ खुफु या चेओप्स के शासनकाल के दौरान स्मारक के रूप में बनाया गया था। इसके निर्माण के समय इसकी ऊंचाई 146 मीटर थी, हालांकि अब इसकी ऊंचाई 139 मीटर रह गई है।