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Afghanistan: शादीशुदा शख्स के साथ भागने पर मिली पत्थरों से मारे जाने की सजा, महिला ने डर के मारे कर ली खुदकुशी

अफगानिस्तान में एक महिला ने आत्महत्या कर ली। तालिबान लड़ाकों ने महिला को पत्थर से मारे जाने की सजा सुनाई थी। बता दें कि महिला एक शादीशुदा व्यक्ति के साथ भाग गई थी। अपमान से बचने के लिए महिला ने अपने ही घर में खुदकुशी कर ली।

By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Mon, 17 Oct 2022 03:26 PM (IST)
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Afghanistan:शादीशुदा शख्स के साथ भागने पर मिली पत्थरों से मारे जाने की सजा

नई दिल्ली। एएनआइ। अफगानिस्तान में तालिबानियों के शासन में महिलाओं के साथ अत्याचार और उत्पीड़न का सिलसिला जारी है। इसी बीच अफगानिस्तान के घोर प्रांत से एक मामला सामने आया है जहां एक महिला ने अपमान से बचने के लिए आत्महत्या कर ली।

बता दें कि महिला एक शादीशुदा व्यक्ति के साथ भाग गई थी जिसकी खबर तालिबानी लड़ाकों को लग गई। सजा के तौर पर महिला को पत्थरों से मारने की सजा सुनाई गई। भीड़ में महिला का अपमान किया जाता और उसपर जनता के सामने पत्थर फेंके जाते। इसी से बचने के लिए महिला ने खुदकुशी कर ली।

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महिला को सार्वजनिक रूप से पत्थर मारने की दी गई सजा

तालिबान के प्रांतीय पुलिस प्रमुख के कार्यकारी प्रवक्ता अब्दुल रहमान ने कहा कि आरोपित महिला को सार्वजनिक तौर पर पत्थर मारने की सजा सुनाई गई थी। बता दें कि स्थानीय स्तर पर महिलाओं के लिए जेल नहीं थी जिसको देखते हुए ये सजा सुनाई गई। महिला ने सजा से पहले ही अपने दुपट्टे से गला घोंट लिया। महिला की लाश उसके घर पर मिली।

तालिबान में है पत्थर या कोड़े मारने की सजा

अफगानिस्तान में अगर महिलाएं घर से भागने की कोशिश करती हैं तो उन्हें पत्थर या कोड़े से सजा दी जाती है। तालिबानी अधिकारियों ने ऐसी महिलाओं के लिए पत्थर या कोड़े से मारकर मौत के घाट उतारने की सजा घोषित की है। इसके अलावा ऐसी महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर सजा सुनाने के आदेश दिए गए है। बता दें कि अफगानिस्तान में महिलाओं के खिलाफ सख्त पांबदियां लगाई गई हैं। कई इलाकों में उन्हें शिक्षा हासिल करने पर भी रोक है।

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तालिबान के नियम

तालिबान शासन अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में आया था। तालिबान शासन के आने के बाद महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता को कम कर दिया गया। अफगानिस्तान में जो कामकाजी महिलाएं बाहर जाती थी उनके काम करने पर रोक लगा दी गई है। वहीं अफगान महिलाएं शिक्षा, कामकाज, सार्वजनिक भागीदारी और स्वास्थ्य से जुड़े मौलिक अधिकारों से भी वंचित हो गई हैं।