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ईरान में हिजाब के खिलाफ नहीं थम रहा युवाओं का आंदोलन, राष्ट्रपति रईसी को सुनना पड़ा-मुल्ला वापस जाओ के नारे

ईरान में हिजाब के विरोध में चल रहे आंदोलन को शांत करने की नीयत से शनिवार को तेहरान स्थित विश्वविद्यालय में गए राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। छात्राओं ने उन्हें घेरकर वापस जाओ.. के नारे लगाए।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Sat, 08 Oct 2022 10:04 PM (IST)
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राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी के सामने लगे मुल्ला वापस जाओ के लगे नारे। (फोटो- एपी)

तेहरान, रायटर।  ईरान में हिजाब के विरोध में चल रहे आंदोलन को शांत करने की नीयत से शनिवार को तेहरान स्थित विश्वविद्यालय में गए राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। छात्राओं ने उन्हें घेरकर वापस जाओ.. के नारे लगाए। बताया गया है कि राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय में पुलिस हिरासत में हुई युवती की मौत की घटना की निंदा भी की लेकिन उसका आंदोलित छात्राओं पर कोई असर नहीं हुआ। हिजाब न पहनने के कारण सितंबर में युवती महासा अमीनी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, बाद में उत्पीड़न के चलते हवालात में उसकी मौत हो गई थी। इसके विरोध में जारी आंदोलन में अभी तक 150 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। शनिवार को भी एक मौत हुई है।

राष्ट्रपति ने मक्खियों से किया था आंदोलनकारियों की तुलना

अल-जाहरा विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति रईसी ने शिक्षकों और छात्रों को संबोधित करते हुए एक कविता सुनाई। इस कविता में आंदोलनकारियों की तुलना मक्खियों से की गई थी। राष्ट्रपति ने कहा, आंदोलनकारियों को लगता है कि वे विश्वविद्यालयों को उसके उद्देश्यों से भटका देंगे। लेकिन ऐसा नहीं होगा। हमारे शिक्षकों और छात्रों को दुश्मनों के षडयंत्र से सावधान रहना है।

मुल्ला वापस जाओ के लगे नारे

इससे पहले ईरान के कट्टरपंथी तबके से आने वाले राष्ट्रपति रईसी के विश्वविद्यालय पहुंचने पर छात्राओं ने रईसी वापस जाओ..और मुल्ला वापस जाओ..के नारे लगाए। विरोध की तस्वीरें और वीडियो 1500तस्वीर वेबसाइट पर दिखाई दे रहे हैं। अमीनी की मौत के बाद देश में भड़के आंदोलन को करीब चार हफ्ते बीत चुके हैं लेकिन वह शांत नहीं हो रहा है। इस आंदोलन में बड़ी संख्या में युवक और युवतियां शामिल हो रहे हैं, इससे ईरान की धार्मिक सत्ता को बड़ी चुनौती मिल रही है।

सरकार ने विदेशी ताकतों को ठहराया जिम्मेदार

सरकार ने आंदोलन के लिए अमेरिका और विदेशी ताकतों को जिम्मेदार ठहराया है। कहा है कि आंदोलनकारियों के बीच भड़काऊ बातें कहने वाले हथियारबंद लोग भी सक्रिय रहते हैं, मौका मिलते ही वे सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर देते हैं। इस तरह के हमलों में करीब 20 सुरक्षाकर्मी अभी तक मारे जा चुके हैं। जबकि मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि आंदोलन में शामिल युवाओं के साथ सुरक्षा बल बर्बरता कर रहे हैं।

अब तक 150 से अधिक आंदोलनकारियों की मौत

मालूम हो कि करीब चार हफ्तों के आंदोलन में 150 से ज्यादा आंदोलनकारी मारे जा चुके हैं और सैकड़ों घायल हैं। विरोध को दबाने के लिए सुरक्षा बलों ने हजारों लोगों को गिरफ्तार किया है। शनिवार को कुर्द आबादी वाले शहर साननदाज और साकेज में विरोध के आह्वान को कुचलने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और फायरिंग की। साननदाज में सुरक्षा बलों की गोली से एक आदमी के मारे जाने की सूचना है। साकेज में लड़कियों के एक स्कूल में महिलाओं को जिंदगी और आजादी चाहिए..के नारे लगाती छात्राओं का वीडियो वायरल हो रहा है।

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