Cyber Crime: भारत और अमेरिका के खिलाफ साइबर आर्मी बनाने में तुर्किये ने की थी पाकिस्तान की मदद
नार्डिक मानिटर के अनुसार तुर्किये के आंतरिक मंत्री सुलेमान सोयलू के साथ बैठक के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस योजना पर बात हुई। इस गुप्त समझौते की पहली सार्वजनिक स्वीकृति सोयलू ने 13 अक्टूबर 2022 को एक स्थानीय टीवी स्टेशन के साथ एक साक्षात्कार के दौरान की थी।
अंकारा, एएनआइ: तुर्किये (तुर्की) ने भारत और अमेरिका के खिलाफ साइबर-आर्मी बनाने में पाकिस्तान की मदद की। गोपनीय तरीके से द्विपक्षीय समझौते के तहत तुर्किये की मदद से बनाए गए साइबर सेना का इस्तेमाल जनमत तैयार करने, दक्षिण पूर्व एशिया में मुसलमानों के विचारों को प्रभावित करने, अमेरिका और भारत पर हमला करने के लिए किया गया।
इमरान खान से योजना पर हुई थी बात
नार्डिक मानिटर के अनुसार वर्ष 2018 में तुर्किये के आंतरिक मंत्री सुलेमान सोयलू के साथ बैठक के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान से इस योजना पर बात हुई। इस गुप्त समझौते की पहली सार्वजनिक स्वीकृति सोयलू ने 13 अक्टूबर, 2022 को एक स्थानीय टीवी स्टेशन के साथ एक साक्षात्कार के दौरान की थी। उन्होंने देश का नाम नहीं लिया लेकिन संकेतों से स्पष्ट किया कि वे वास्तव में पाकिस्तान के बारे में बात कर रहे थे ।
साइबर अपराध को द्विपक्षीय समझौते के तहत छुपाया गया
नॉर्डिक मॉनिटर की रिपोर्ट के अनुसार, इस गुप्त कार्य को साइबर अपराध के खिलाफ सहयोग पर द्विपक्षीय समझौते के तहत छुपाया गया था, जबकि वास्तव में यह अमेरिका, भारत और अन्य विदेशी शक्तियों द्वारा किए गए कथित प्रभाव संचालन के खिलाफ था। 17 दिसंबर, 2018 को तुर्की के आंतरिक मंत्री सुलेमान सोयलू और उनके मेजबान शहरयार खान अफरीदी, तत्कालीन आंतरिक राज्य मंत्री के बीच निजी बातचीत के दौरान ऐसी इकाई स्थापित करने का प्रस्ताव पहली बार मेज पर रखा गया था। इस मामले पर चर्चा की गई थी। नॉर्डिक मॉनिटर ने बताया कि वरिष्ठ स्तर पर और इस्लामाबाद के आंतरिक मंत्रालय के अधिकांश कर्मचारियों से गोपनीय रखा गया।
बीते दिनों दी गई सार्वजनिक स्वीकृति
इस गुप्त ऑपरेशन की पहली सार्वजनिक स्वीकृति सोयलू ने 13 अक्टूबर, 2022 को कहारमनमारस में एक स्थानीय टीवी स्टेशन के साथ एक साक्षात्कार के दौरान की थी। उन्होंने देश का नाम नहीं लिया लेकिन स्पष्ट किया कि वे वास्तव में पाकिस्तान के बारे में बात कर रहे थे जब उन्होंने एक ऐसे देश का उल्लेख किया जो तुर्की से पांच या छह घंटे की सीधी उड़ान थी।