UN Report: इजरायल-हमास के बीच युद्ध की भयावह तस्वीर, गाजा में मारे गए 70 फीसदी महिलाएं और बच्चे
संयुक्त राष्ट्र अधिकार कार्यालय का कहना है कि गाजा युद्ध में लगभग 70 फीसदी महिलाएं और बच्चे मारे गए हैं और इसे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन बताया। इजरायल की सेना हमास के आतंकवादियों से लड़ रही है। अमेरिका ब्रिटेन इजरायल और कई अन्य देशों ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। वहीं कतर गाजा में युद्धविराम की कोशिश से अलग हो गया है।
रॉयटर, संयु्क्त राष्ट्र। हमास के आतंकवादियों ने पिछले साल 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल के एक हिस्से में हमला किया और वहां मौजूद महिला, बच्चों और बूढ़ों को मौत के घाट उतार दिया। कुछ ऐसी घटनाएं देखी गई कि हमास के आतंकियों ने पूरे परिवार को ही जिंदा जला दिया था। रिपोर्ट की मानें तो इस हमले में हमास ने 1,200 से ज्यादा इजरायलियों की हत्या की थी और 250 लोगों को बंधक बनाकर गाजा पट्टी ले गए थे।
इसके बाद इजरायल के प्रधानमंत्री ने सीधे तौर पर कहा था हमास के खत्म होने तक यह युद्ध नहीं रुकेगा, चाहे इसकी कुछ भी कीमत हो और अपनी प्रतिज्ञा के मुताबिक इजरायल ने हमास के हर ठिकाने को ध्वस्त करने कर दिया, हर बड़ा कमांडर मारा गया। लेकिन हमास की करनी का फल गाजा पट्टी में रहने वाले लोग भी झेल रहे हैं।
गाजा युद्ध में लगभग 70 फीसदी महिलाएं और बच्चे मारे गए
संयुक्त राष्ट्र अधिकार कार्यालय का कहना है कि गाजा युद्ध में लगभग 70 फीसदी महिलाएं और बच्चे मारे गए हैं और इसे अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन बताया। इजरायल की सेना हमास के आतंकवादियों से लड़ रही है। युद्ध की शुरुआत के बाद से संयुक्त राष्ट्र की संख्या में केवल उन मौतों को शामिल किया गया है जिन्हें वह तीन स्रोतों से सत्यापित करने में कामयाब रही है, और गिनती जारी है।सत्यापित किए गए 8,119 पीड़ितों की संख्या 13 महीने पुराने युद्ध के लिए फलस्तीनी स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा प्रदान की गई 43,000 से अधिक की संख्या से बहुत कम है। अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल और कई अन्य देशों ने हमास को आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून को हो रहा उल्लंघन- यूएन
वहीं, संयुक्त राष्ट्र का विश्लेषण फलस्तीनी दावे का समर्थन करता है कि इजरायल-हमास युद्ध में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे मारे गए। संयुक्त राष्ट्र अधिकार कार्यालय ने 32 पेज की रिपोर्ट के साथ एक बयान में कहा, यह निष्कर्ष "भेदभाव और आनुपातिकता सहित अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के बुनियादी सिद्धांतों के व्यवस्थित उल्लंघन का संकेत देता है।"संयुक्त राष्ट्र के मानव उच्चायुक्त ने राइट्स वोल्कर तुर्क ने कहा कि यह आवश्यक है कि विश्वसनीय और निष्पक्ष न्यायिक निकायों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कानून के गंभीर उल्लंघन के आरोपों के संबंध में उचित गणना हो और इस बीच, सभी प्रासंगिक जानकारी और सबूत एकत्र और संरक्षित किए जाएं।