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परमाणु डील के मुद्दे पर ईरान के नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति की राय से नहीं पड़ता फर्क, जानें- कौन लेगा अंतिम फैसला

अमेेरिकी राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा है कि परमाणु डील के मुद्दे पर नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति इब्राहिम रईसी का नहीं बल्कि ईरान के सर्वोच्‍च लीडर का ही फैसला अंतिम होगा। उन्‍होंने कहा कि ईरान के राष्‍ट्रपति चुनाव से इस मुद्दे पर कोई अंतर नहीं पड़ता है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 21 Jun 2021 03:28 PM (IST)
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ईरान के सर्वोच्‍च नेता ही लेंगे परमाणु डील पर अंतिम फैसला
वाशिंगटन (रॉयटर्स)। अमेरिका के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन का कहना है कि अमेरिका समेत सभी सुरक्षा परिषद के सदस्‍यों के साथ परमाणु डील को लेकर ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्‍ला खामनेई को ही फैसला लेना है। उनके मुताबिक ईरान में राष्‍ट्रपति के चुनाव से पहले भी उनका ही फैसला अंतिम था और चुनाव के बाद भी उनका ही फैसला अंतिम होगा। अमेरिकी एनएसए ने इस तरह से परमाणु डील के मुद्दे पर कहीं न कहीं चुनाव में एक तरफा जीत दर्ज कराने वाले इब्राहिम रईसी के प्रभाव को कम करने की कोशिश की है।

आपको बता दें कि रईसी अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के घोर आलोचक हैं और एक कट्टरपंथी नेता हैं। 18 जून को हुए चुनाव में धमाकेदार जीत दर्ज की है। वो पश्चिम के लिए हार्डलाइनर माने जाते हैं। वो अगस्‍त 2021 में मौजूदा राष्‍ट्रपति हसन रुहानी की जगह लेंगे। रईसी ईरान के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं। 

शिन्‍हुआ एजेंसी के मुताबिक एबीसी चैनल द्वारा लिए गए एक इंटरव्‍यू में जैक सुलिवन ने कहा कि इस बात से बेहद कम फर्क पड़ता है कि राष्‍ट्रपति ए बने या फिर बी। फर्क इस बात से पड़ता है कि क्‍या उनका पूरा सिस्‍टम परमाणु कार्यक्रम को रोकने और इसकी जांच को लेकर किए गए अपने वादों को पूरा करने को तैयार है या नहीं। उन्‍होंने ये जवाब उस सवाल के जवाब में दिया जिसमें उनसे पूछा गया था कि रईसी की जीत से इस डील पर क्‍या असर पड़ता है।

उन्‍होंने इस इंटरव्‍यू के दौरान ये भी कहा कि परमाणु डील को लेकर अंतिम फैसला ईरान के सर्वोच्‍च नेता अयातुल्‍ला खामनेई को ही लेना है। वही तय करेंगे कि क्‍या ये डील की जाए या नहीं। उन्‍होंने ये भी कहा कि राष्‍ट्रपति चुनाव से पहले और बाद में भी वही व्‍यक्ति इसका फैसला लेने के हकदार रहे हैं। क्या राष्ट्रपति व्यक्ति ए या व्यक्ति बी कम प्रासंगिक है कि क्या उनकी पूरी प्रणाली उनके परमाणु कार्यक्रम को बाधित करने के लिए सत्यापन योग्य प्रतिबद्धताओं के लिए तैयार है या नहीं

एबीसी से इंटरव्‍यू में जैक ने कहा कि परमाणु डील के साझा सिद्धांतों पर लौटने के लिए अमेरिका और ईरान दोनों के बीच ही मतभेद हैं। दोनों ही ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि इसको कैसे पूरा किया जाए। आपको बता दें कि वर्ष 2015 में बराक ओबामा के समय में ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु डील हुई थी। इस डील को ओबामा ने एतिहासिक करार दिया था। हालांकि बाद के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने इसको बेकार संधि बताते हुए अमेरिका को वर्ष 2018 में इससे अलग कर लिया था। वर्ष 2019 में ईरान भी इससे अलग हो गया था। इस संधि को जकोपा ज्‍वाइंट कंप्रिहेंसिव प्‍लान ऑफ एक्‍शन का नाम दिया गया था।

वर्तमान में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु संधि को लेकर वियना में छह दौर की बातचीत हो चुकी है। अप्रैल में हुई वार्ता में ईरान को इस डील पर वापस आने के लिए कहा गया था। जैक ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि वो इसमें इतना ही कह सकते हैं कि अभी कई सारे मुद्दों पर कुछ दूर और चलना है। इसमें अमेरिकी प्रतिबंध भी शामिल हैं और ईरान का परमाणु कार्यक्रम भी शामिल है। हालांकि जैक ने ये भी माना है कि सभी तरफ से जारी प्रयास सही दिशा की तरफ आगे जा रहे हैं। उन्‍होंने ये भी कहा कि वो इस बात को देखते हैं कि अगले दौर की बातचीत में ईरान क्‍या विचार करके इसमें शामिल होता है।