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Hezbollah: कौन है हिजबुल्लाह, कब और कैसे हुई स्थापना, क्या इजरायल के साथ जंग करने की है ताकत?

लेबनान में मौजूद संगठन हिजबुल्लाह इन दिनों चर्चा में है। इसकी वजह यह है कि इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। इजरायल के कब्जे वाले गोलान हाइट्स पर रॉकेट हमले में 12 लोगों की मौत से इजरायल भड़का है। वह किसी भी वक्त हिजबुल्लाह पर बड़ा हमला कर सकता है। लेबनान की कई उड़ानों को रद्द कर दिया गया है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 30 Jul 2024 04:33 PM (IST)
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What is Hezbollah: हिजबुल्लाह के नेता सैयद हसन नसरल्लाह। (फोटो- रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष अब लेबनान तक पहुंचने की आशंका है। इसकी वजह गोलान हाइट्स पर रॉकेट हमले में 12 लोगों की मौत है। इजरायल का आरोप है कि इस हमले को हिजबुल्लाह ने अंजाम दिया है। मगर हिजबुल्लाह ने हमले की कोई जिम्मेदारी नहीं ली है।

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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारी कीमत चुकाने की चेतावनी दी है। माना जा रहा है कि इजरायल किसी भी वक्त जवाबी हमला कर सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं हिजबुल्लाह क्या है, इसकी कितनी ताकत है और सच में क्या युद्ध शुरू हो सकता है?

कब और कैसे हुई स्थापना?

हिजबुल्लाह की स्थापना 1982 में गृह युद्ध के बीच लेबनान में की गई थी। लेबनान में गृह युद्ध 1975 से 1990 तक चला। 1982 में इजरायल ने हमला कर लेबनान की राजधानी बेरूत और कई अन्य हिस्सों पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद हिजबुल्लाह को ईरान ने इजरायल के खिलाफ खड़ा किया था।

2006 में हुआ था आखिरी युद्ध

हिजबुल्लाह को कई देश आतंकी संगठन मानते हैं। हिजबुल्लाह शिया मुस्लिम राजनीतिक दल और सशस्त्र संगठन है। हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच आखिरी युद्ध 2006 में हुआ था। ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स से हिजबुल्लाह को ट्रेनिंग और हथियारों की मदद मिलती है। लेबनान के बड़े हिस्से में इसकी पकड़ मजबूत है। इसके कई सदस्य लेबनान में सांसद तक हैं।

धार्मिक समूहों में बंटी थी लेबनान की सत्ता

1943 में लेबनान में सत्ता धार्मिक समूहों में बंटी थी। सत्ता का यह बंटवारा एक समझौते के तहत किया गया था। इसके मुताबिक सुन्नी मुस्लिम पीएम, ईसाई राष्ट्रपति और शिया मुस्लिम संसद अध्यक्ष होगा। बाद में तीनों धार्मिक समूहों में तनाव बढ़ता गया और लेबनान में गृह युद्ध छिड़ गया।

2000 में लेबनान से लौटी इजरायल सेना

1982 में हिजबुल्लाह की स्थापना के वक्त भी लेबनान गृह युद्ध की चपेट में था। तब इजरायल ने हमला कर दक्षिणी लेबनान पर अपना कब्जा जमा लिया था। इस बीच हिजबुल्लाह ने इजरायल सेना पर कई बड़े हमलों को अंजाम दिया। साल 2000 में इजरायल सेना लेबनान से लौटी। साल 2006 में हिजबुल्लाह ने इजरायली क्षेत्र में एक घातक हमला किया था। इसके जवाब में इजरायल की सेना ने हिजबुल्लाह पर हमला किया। यह इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच हुई आखिरी जंग थी।

ईरान एंगल भी समझिए

ईरान और इजरायल की दुश्मनी भी पुरानी है। सीरिया में ईरानी दूतावास पर इजरायली हमले के बाद ईरान ने इजरायल पर ड्रोन और रॉकेट से हमला किया था। इजरायल ने भी ईरान पर पलटवार किया था। इसके अलावा ईरान अपने छद्म समूह के माध्यम से भी इजरायल पर हमला करता रहा है।

यमन के हूती समूह और हिजबुल्लाह को ईरान ने ही खड़ा किया। कुछ दिन पहले हूती समूह पर इजरायल ने हमला था। अब हिजबुल्लाह के हमले के बाद इजरायल के सामने तीन मोर्चे की चुनौती ईरान ने खड़ी कर दी है। पहली गाजा, दूसरी हूती और तीसरी हिजबुल्लाह है।

कौन है हिजबुल्लाह का नेता?

हिजबुल्लाह की कमान सैयद हसन नसरल्लाह के हाथ में है। वह एक शिया धर्मगुरु हैं। टेलीविजन पर भाषण देने वाले नसरुल्लाह कभी सामने नहीं दिखते हैं। ईरान के साथ उनके बेहद करीबी संबंध भी हैं। ईरान हिजबुल्लाह को फंडिंग के साथ बड़े स्तर पर मदद करता है। इसकी एकमात्र वजह इजरायल है।

कितनी है हिजबुल्लाह की ताकत?

हिजबुल्लाह दुनिया का सबसे शक्तिशाली गैर-सरकारी समहू है। इसके लड़ाके रॉकेट और ड्रोन से लैस हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक हिजबुल्लाह के पास कुल एक लाख रॉकेट हो सकते हैं। हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने 2021 में जानकारी दी थी कि उनके संगठन में करीब एक लाख लड़ाके शामिल हैं। हालांकि इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज थिंकटैंक के अनुमान के मुताबिक कुल 20 हजार सक्रिय लड़ाके संगठन में हो सकते हैं। हिजबुल्लाह का कहना है कि वह अपनी मिसाइल और रॉकेट से पूरे इजरायल को निशाना बना सकता है।

इजरायल ने भी किया हमला

गोलान हाइट्स पर रॉकेट हमले के मामले में अमेरिका और इजरायल ने हिजबुल्लाह को दोषी ठहराया है। 29 जुलाई को इजरायल ने दक्षिणी लेबनान पर हमला किया। इसमें दो लोगों की जान गई है। तीन अन्य लोग घायल हैं। हिजबुल्लाह के पास भारी हथियार और लड़ाकों की बड़ी फौज है। लेबनान में इसके सदस्य सरकार का हिस्सा हैं।

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