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हिजबुल्लाह-इजरायल के संघर्ष की पूरी कहानी: इतिहास ही नहीं भूगोल भी खूनी, अब खत्म करने पर क्यों तुले नेतन्याहू?

सात अक्टूबर 2023 को फिलस्तीनी आतंकी समूह हमास ने इजरायल पर हमला किया था। इसमें लगभग 1200 इजरायली नागरिकों की जान गई थी। 200 से अधिक लोगों के आतंकियों ने बंधक बनाया था। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पट्टी पर भीषण तबाही मचाई। इजरायली हमलों से हमास की कमर टूट गई। यह तो थी इजरायल-हमास संघर्ष के पीछे की मौजूदा वजह है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 24 Sep 2024 03:47 PM (IST)
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इजरायल-हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष का इतिहास पुराना।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सात अक्टूबर 2023 को फिलस्तीनी आतंकी समूह हमास ने इजरायल पर हमला किया था। इसमें लगभग 1200 इजरायली नागरिकों की जान गई थी। 200 से अधिक लोगों के आतंकियों ने बंधक बनाया था। इसके जवाब में इजरायल ने गाजा पट्टी पर भीषण तबाही मचाई।

इजरायली हमलों से हमास की कमर टूट गई। यह तो थी इजरायल-हमास संघर्ष के पीछे की मौजूदा वजह। मगर इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच छिड़ी जंग की वजह क्या आप जानते हैं। आइए जानते हैं इजरायल ने हिजबुल्लाह पर आखिर कहर बरपाना क्यों शुरू किया...

ईरान ने खड़ा किया हिजबुल्लाह

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच दुश्मनी काफी पुरानी है। हिजबुल्लाह को खड़ा करने वाला देश ईरान है। ईरान शिया बहुल देश है। हिजबुल्लाह भी शिया मुस्लिम संगठन है। यह जगजाहिर है कि ईरान और इजरायल की नहीं बनती है। इसी साल सीरिया में इजरायली हवाई हमले में ईरानी राजदूत की मौत हुई थी।

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इसके बाद ईरान ने करीब 300 ड्रोन और क्रूज मिसाइलों से इजरायल पर हमला किया था। मगर इस हमले में इजरायल का कोई खास नुकसान नहीं हुआ था। वैश्विक दबाव की वजह से ईरान को अपने कदम पीछे खींचने पड़े हैं। मगर जो काम ईरान खुद नहीं कर सकता, वो अपने छद्म समूहों से करवाता है।

हिजबुल्लाह पर इजरायली हमले की वजहें

  • 2006 के हिजबुल्लाह-इजरायल युद्ध में संयुक्त राष्ट्र ने मध्यस्थता की थी। समझौते के मुताबिक हिजबुल्लाह को सीमा से 29 किमी पीछे हटने था। मगर उसने इससे मना कर दिया। इजरायल अब हिजबुल्लाह से सीमा से आठ से 10 किमी पीछे हटने की मांग कर रहा है। दरअसल, हिजबुल्लाह की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों की रेंज 10 किमी तक है।
  • हिजबुल्लाह पर इजरायली हमले की एक वजह बफर जोन भी है। दक्षिणी लेबनान में स्थित एक बफर जोन पर कब्जा करना इजरायल का लक्ष्य है। इजरायल यहां से हिजबुल्लाह के लड़ाकों को सीमा से पीछे धकेलना चाहता है।
  • सात अक्तूबर को हमास के हमले के बाद से ही हिजबुल्लाह लगातार उत्तरी इजरायल को अपना निशाना बना रहा है। हिजबुल्लाह का कहना है कि उसने हमास के समर्थन में इजरायल के खिलाफ हमले शुरू किए हैं। हमास के बाद हिजबुल्लाह को इजरायल सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। उसके मौजूदा हमले इजरायल को नागवार गुजरे।

  • पिछले एक साल में हमास के बाद अगर इजरायल को सबसे अधिक किसी ने नुकसान पहुंचाया है तो वह है हिजबुल्लाह। दोनों के संघर्ष में अब तक 600 लोगों की जान जा चुकी है। हालांकि इनमें से अधिकांश हिजबुल्लाह के लड़ाके हैं। हालांकि 50 इजरायली सैनिक और 100 आम लोग भी शामिल हैं।
  • हिजबुल्लाह की वजह से उत्तर इजरायल में लगभग 60 हजार लोगों को विस्थापन का सामना करना पड़ा। इजरायल को लगता है कि अगर हिजबुल्लाह का इलाज नहीं किया गया तो उत्तर सीमा पर मानवीय संकट और बढ़ सकता है। इस क्षेत्र में लोगों का शांति से रहना मुश्किल हो जाएगा।

  • हिजबुल्लाह के खिलाफ इजरायली आक्रामकता की एक वजह उसकी ताकत है। दरअसल, हमास के मुकाबले हिजबुल्लाह की ताकत काफी है। ईरान और रूस से उसे आधुनिक हथियार भी मिलते हैं। समूह में करीब एक लाख लड़ाके होने का दावा है।
  • इजरायल का मानना है कि हिजबुल्लाह के पास लगभग 150,000 रॉकेट और मिसाइल हैं। इनमें से कई मिसाइलें गाइडेड हैं। खास बात यह है कि इनकी जद में पूरा इजरायल आता है। अगर इजरायल के हमलों को बारीकी से समझें तो इजरायली सेना का पूरा फोकस हिजबुल्लाह के हथियारों को नष्ट करना है। वो हथियार गोदामों को ही निशाना बना रही है।

  • इसी साल जुलाई में हिजबुल्लाह के हमले में इजरायली कब्जे वाले गोलन हाइट्स में 12 बच्चों की मौत हुई थी। इजरायल ने इस हमले के जवाब में कार्रवाई की कसम खाई थी। इस घटना के बाद ही हिजबुल्लाह के खिलाफ तेज कार्रवाई की रूपरेखा बनी। इजरायल ने गोलन हाइट्स की योजना बनाने वाले हिजबुल्लाह कमांडर को भी ढेर कर दिया है।
  • हिजबुल्लाह ईरान के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा है। यह संगठन लगातार इजरायल को निशाना बना रहा। यमन में हूती विद्रोहियों का ईरान खुला समर्थन करता है। हमास से संघर्ष के बीच हूती विद्रोही भी कई बार यमन से इजरायल पर अपनी मिसाइलें दाग चुके हैं। ऐसे में ईरान समर्थक गुटों को निपटाने में इजरायल जुटा है।

कैसे पैदा हुआ हिजबुल्लाह?

साल 1982 में इजरायल ने लेबनान पर हमला किया था। यह हमला फिलिस्तीन मुक्ति संगठन के हमले के जवाब में किया गया था। इजरायल ने बेरूत समेत दक्षिणी लेबनान पर कब्जा कर लिया था। मगर इस बीच सबरा और शतीला नरसंहार में करीब तीन हजार फिलिस्तीनी शरणार्थी और लेबानानी नागरिकों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद ईरान की मदद से हिजबुल्लाह का उदय हुआ।

हिजबुल्लाह की वजह से पीछे लौटा इजरायल

दक्षिणी लेबनान और बेका घाटी पर हिजबुल्लाह का प्रभुत्व है। मौजूदा समय में वह दुनिया के सबसे शक्तिशाली मिलिशिया में से एक है। 1983 में हिजबुल्लाह ने बेरूत में अमेरिका और फ्रांस सेना के 300 जवानों की बम हमले में जान ले ली थी। हिजबुल्लाह की ताकत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि साल 2000 में इजरायली सेना को अपने कदम दक्षिणी लेबनान से पीछे खींचने पड़े थे।

राजनीतिक ताकत भी है हिजबुल्लाह

लेबनान में हिजबुल्लाह सैन्य के साथ-साथ एक बड़ी राजनीतिक ताकत भी है। 1992 में लेबनान में गृह युद्ध थमा। इसके बाद पहली बार आठ सीटों पर हिजबुल्लाह को संसदीय चुनाव में जीत मिली थी। 1993 में भी हिजबुल्लाह ने उत्तरी इजरायल पर हमला किया था। इसके जवाब में इजरायल ने "ऑपरेशन अकाउंटेबिलिटी" आरंभ किया था। इस इजरायली ऑपरेश में 118 लेबनानी नागरिकों की जान गई थी। मौजूदा समय में हिजबुल्लाह का लेबनान के एक बड़े भूभाग पर कब्जा है।

2006 में हुई थी आखिरी जंग

हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच आखिरी जंग साल 2006 में हुई थी। इसमें 1100 लेबनानी नारिकों की जान गई थी। वहीं 110 इजरायली सैनिक भी मारे गए थे। दरअसल, हिजबुल्लाह ने दो इजरायली सैनिकों को बंधक बना लिया था। इसके जवाब में इजरायल ने हमला किया था। यह संघर्ष 34 दिनों तक जारी रहा। इजरायल ने जमीनी आक्रमण भी किया था।

हिजबुल्लाह-इजरायल संघर्ष से क्यों सहमी दुनिया?

सोमवार को इजरायल ने लेबनान में भीषण हमला बोला। इस इजरायली हमले में करीब 500 लेबनानी नागरिकों की जान गई है। खास बात यह है कि 2006 के इजराइल-हिजबुल्लाह युद्ध के बाद यह सबसे घातक हमला है। इजराइल ने दक्षिणी और पूर्वी लेबनान के लोगों को अपने घर छोड़ने की चेतावनी भी दी है।

इजरायल का कहना है कि वह पूरे दक्षिणी लेबनान को युद्ध क्षेत्र में बदल देगा, क्योंकि हिजबुल्लाह ने यहां हथियारों का जखीरा जुटा रखा है। इजरायल की आक्रामकता से अब दुनिया को डर सताने लगा है कि मौजूदा संघर्ष 2006 के युद्ध से भी अधिक भयानक हो सकता है।

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