हमास की स्थापना में निभाई थी अहम भूमिका, क्यों इस्माइल हानिया को माना जाता था आतंकी संगठन का कूटनीतिक चेहरा?
आतंकी संगठन हमास का चेहरा बनने वाले सुन्नी मुसलमान इस्माइल हानिया की जिंदगी एक कट्टरपंथी विचार के राजनीतिक महात्वाकांक्षा में तब्दील होने की कहानी है। हनियेह के माता-पिता फलस्तीनी थे और उसका जन्म अरब-इजरायल जंग के दौरान हुआ था। उसका बचपन एक रिफ्यूजी कैंप में गुजरा। इस बच्चे ने फलस्तिनियों की बदहाली और तकलीफ को महसूस किया। जिसके बाद इस अनुभव ने उसके राजनीतिक विचार को आकार दिया।
ऑनलाइन डेस्क, तेहरान। हमास का चेहरा बनने वाले सुन्नी मुसलमान इस्माइल हानिया की जिंदगी एक कट्टरपंथी विचार के राजनीतिक महात्वाकांक्षा बनने की कहानी है। 62 वर्षीय इस्माइल हानिया हमास का कठोर कूटनीति चेहरा था। गाजा युद्ध के दौरान जब उसने बयानबाजी की तो कई राजनयिकों ने दूसरों की तुलना में उसे एक उदारवादी के रूप में देखा।
इस्माइल हानिया का आतंकी संगठन हमास वो नेतृ्त्व है जो हाल के वर्षों में कतर को अपना ठिकाना बनाया। वहीं, इजरायल हमास को अपना दुश्मन मानता है। हमास प्रमुख हानिया ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचा था।
इस्माइल हानिया कैसे बना आतंकी संगठन का प्रमुख?
हालांकि, ईरानी राष्ट्रपति के शपथ के अगले दिन ही तेहरान में एक हमले में उसकी मौत हो गई। ईरान में नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के साथ ही उसकी जमीन पर एक विदेशी मेहमान की हत्या ने पश्चिम एशिया की राजनीति और कूटनीति में उथल-पुथल मचा दिया।इस्माइल हानिया का जन्म 1962 में गाजा शरणार्थी शिविर में हुआ था। उसका बचपन एक रिफ्यूजी कैंप में गुजरा। इस बच्चे ने फलस्तिनयों की बदहाली और तकलीफ को महसूस किया।
1948 में उसके माता-पिता अपने घर (अश्कलोन शहर) से विस्थापित हो गए थे, जो दक्षिणी इजरायल में है। इस शहर से ही गाजा पट्टी की बॉर्डर लगी हुई है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकी मोटर लगे पैराशूट में सवार होकर इसके नजदीक ही उतरे थे।