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हमास की स्थापना में निभाई थी अहम भूमिका, क्यों इस्माइल हानिया को माना जाता था आतंकी संगठन का कूटनीतिक चेहरा?

आतंकी संगठन हमास का चेहरा बनने वाले सुन्नी मुसलमान इस्माइल हानिया की जिंदगी एक कट्टरपंथी विचार के राजनीतिक महात्वाकांक्षा में तब्दील होने की कहानी है। हनियेह के माता-पिता फलस्तीनी थे और उसका जन्म अरब-इजरायल जंग के दौरान हुआ था। उसका बचपन एक रिफ्यूजी कैंप में गुजरा। इस बच्चे ने फलस्तिनियों की बदहाली और तकलीफ को महसूस किया। जिसके बाद इस अनुभव ने उसके राजनीतिक विचार को आकार दिया।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Updated: Thu, 01 Aug 2024 03:50 PM (IST)
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62 वर्षीय इस्माइल हानिया हमास का कठोर कूटनीति चेहरा था।
ऑनलाइन डेस्क, तेहरान। हमास का चेहरा बनने वाले सुन्नी मुसलमान इस्माइल हानिया की जिंदगी एक कट्टरपंथी विचार के राजनीतिक महात्वाकांक्षा बनने की कहानी है। 62 वर्षीय इस्माइल हानिया हमास का कठोर कूटनीति चेहरा था। गाजा युद्ध के दौरान जब उसने बयानबाजी की तो कई राजनयिकों ने दूसरों की तुलना में उसे एक उदारवादी के रूप में देखा।

इस्माइल हानिया का आतंकी संगठन हमास वो नेतृ्त्व है जो हाल के वर्षों में कतर को अपना ठिकाना बनाया। वहीं, इजरायल हमास को अपना दुश्मन मानता है। हमास प्रमुख हानिया ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचा था।

इस्माइल हानिया कैसे बना आतंकी संगठन का प्रमुख?

हालांकि, ईरानी राष्ट्रपति के शपथ के अगले दिन ही तेहरान में एक हमले में उसकी मौत हो गई। ईरान में नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के साथ ही उसकी जमीन पर एक विदेशी मेहमान की हत्या ने पश्चिम एशिया की राजनीति और कूटनीति में उथल-पुथल मचा दिया।

इस्माइल हानिया का जन्म 1962 में गाजा शरणार्थी शिविर में हुआ था। उसका बचपन एक रिफ्यूजी कैंप में गुजरा। इस बच्चे ने फलस्तिनयों की बदहाली और तकलीफ को महसूस किया।

1948 में उसके माता-पिता अपने घर (अश्कलोन शहर) से विस्थापित हो गए थे, जो दक्षिणी इजरायल में है। इस शहर से ही गाजा पट्टी की बॉर्डर लगी हुई है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के आतंकी मोटर लगे पैराशूट में सवार होकर इसके नजदीक ही उतरे थे।

जेल से हमास तक का सफर

1988 में हमास के संस्थापक सदस्यों में से एक हानिया ने 1980 और 1990 के दशक में इजरायल में कई बार जेल की सजा काटी। आंतरिक और बाहरी दबाव झेलने की क्षमता, राजनीतिक नेतृत्व कौशल और कट्टर छवि की वजह से दूसरे इंतिफादा (2000-2005) के दौरान हानिया हमास का पसंदीदा और चुनिंदा चेहरा बन गया।

2003 में उसकी हत्या की कोशिश की गई। लेकिन वह बाल-बाल बच गया। इसके बाद हानिया 2006 में गाजा में हमास का नेता बना। उसी साल उसने कुछ समय के लिए फलस्तीनी एकता सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में काम किया। लेकिन इस दौरान उसे अपने प्रतिद्वंदी फतह पार्टी से विरोध का सामना करना पड़ा। 2007 में फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने उसकी सरकार को बर्खास्त कर दिया।

2017 में इस्माइल हानिया हमास का राजनीतिक प्रमुख बना। उसने हमास के राजनीतिक लक्ष्य को धार दी, फतह से रिश्ते सुधारे और फलस्तीन के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जोरशोर से उठाने लगा।

इजरायल ने हानिया को ईरान तक पीछा करके मारा

हाल के दिनों में इस्माइल हानिया हमास की ओर से इजरायल के साथ बातचीत में मुख्य वार्ताकार था। सार्वजनिक मंचों पर कठोर भाषा का प्रयोग करने के बावजूद अरब राजनयिक और अधिकारी उन्हें गाजा के अंदर अधिक कट्टरपंथी आवाजों की तुलना में अपेक्षाकृत व्यावहारिक मानते थे।

अप्रैल में उसके 3 बेटे और कई पोते जून में गाजा शहर के पास एक इजराइली हमले में मारे गए, उसकी बहन गाजा में परिवार के घर पर हमले में मारी गई। मई में आईसीसी अभियोक्ता कार्यालय ने हानिया के लिए गिरफ्तारी वारंट मांगा।

बताया जाता है कि हनियेह ने पिछले कुछ दिनों से कतर को अपना ठिकाना बना लिया था। वह कतर से लगातार कई देशों के दौरे कर रहा था। वह तुर्की गया, उसने मिस्र की यात्रा की और कूटनीति करता रहा। लेकिन इजरायल ऐसा मौका चाहता था जब हानिया उस देश में हो जो पहले से ही उसका शत्रु हो।

इजरायल के लिए शत्रु देश में हानिया पर हमला करना ज्यादा मुफीद था, क्योंकि ऐसी हालत में उसके लिए एक नया दुश्मन नहीं खड़ा होता। जबकि अगर इजरायली एजेंसियां हानिया को किसी तटस्थ देश में निशाना बनाती तो स्थिति बिगड़ सकती थी, इसलिए जब हमास प्रमुख हानिया ईरान में नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में पहुंचा तो इजरायल के लिए अपना बदला पूरा करना आसान हो गया।