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वैज्ञानिकों ने 46 हजार साल से जमे कीड़े को किया पुनर्जीवित, पैनाग्रोलाईमस कोलीमेनिस दिया नाम

वैज्ञानिकों ने 46000 साल पहले जमे हुए एक कीड़े को पुनर्जीवित कर दिया है। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर सेल बायोलॉजी एंड जेनेटिक्स में प्रोफेसर एमेरिटस टेयमुरास कुर्जचालिया के मुताबिक उन्होंने ऐसे कीटाणु को जिंदा किया है जो 46000 साल पहले जम गया था। यह कीड़ा सतह से 40 मीटर नीचे सुप्त अवस्था में जीवित रहा। इसकी प्रजाति अज्ञात थी।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Sat, 29 Jul 2023 07:19 PM (IST)
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46,000 Year old Worms: 46 हजार साल बाद भी जिंदा निकला कीड़ा, वैज्ञानिकों ने किया पुनर्जीवित (फोटो रायटर)
बर्लिन, रायटर। वैज्ञानिकों ने 46,000 साल पहले जमे हुए एक कीड़े (46000 Year Old Worms) को पुनर्जीवित कर दिया है। मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर सेल बायोलॉजी एंड जेनेटिक्स में प्रोफेसर एमेरिटस टेयमुरास कुर्जचालिया के मुताबिक, उन्होंने ऐसे कीटाणु को जिंदा किया है, जो 46,000 साल पहले जम गया था।

ड्रेसडेन और अनुसंधान में शामिल वैज्ञानिकों में से एक के मुताबिक, यह कीड़ा सतह से 40 मीटर नीचे सुप्त अवस्था में जीवित रहा। इसकी प्रजाति अज्ञात थी। जिसे क्रिप्टोबायोसिस के रूप में जाना जाता है।

उच्च तापमान में भी रह सकते हैं जीवित

कुर्जचालिया ने बताया कि क्रिप्टोबायोटिक अवस्था में जीव पानी या ऑक्सीजन की पूर्ण अनुपस्थिति को सहन कर सकते हैं और उच्च तापमान में जीवित रह सकते हैं। साथ ही ठंड या अत्यधिक नमकीन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। कुर्जचालिया का कहना है कि यह मृत्यु और जीवन के बीच की स्थिति में रहते हैं, जिसमें उनकी मेटाबोलिक एक्टिविटी दर एक अज्ञात स्तर तक कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जीवन को रोक सकता है और फिर उसे शुरू से शुरू कर सकता है। यह एक प्रमुख खोज है।

दो कीड़ों को प्रयोगशालाओं में किया गया पुनर्जीवित

बता दें कि पांच साल पहले रूस में मृदा विज्ञान में भौतिक रासायनिक और जैविक समस्या संस्थान के वैज्ञानिकों ने साइबेरियाई पर्माफ्रॉस्ट में दो राउंडवर्म प्रजातियों का पता लगाया था। शोधकर्ताओं में से एक अनास्तासिया शातिलोविच ने लगभग 100 कीड़ों को आगे के विश्लेषण के लिए जर्मनी की प्रयोगशालाओं में भेजा था। जहां केवल पानी से रिहाइड्रेट करके दो कीड़ों को पुनर्जीवित किया है।

वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में उन कीड़ों का विश्लेषण किया। इसके बाद नमूने के लिए पौधों की सामग्री के रेडियोकार्बन विश्लेषण की जांच की। जिससे यह पता चल पाया कि जमा कीड़ों को 45,839 से 47,769 वर्ष पहले तक पिघलाया गया था या नहीं।

नई प्रजाति के हैं कीड़े

हालांकि, इसके बावजूद वे यह नहीं जानते थे कि कीड़ा एक ज्ञात प्रजाति है या नहीं, लेकिन ड्रेसडेन और कोलोन में वैज्ञानिकों द्वारा किए गए आनुवंशिक विश्लेषण से पता चला कि ये कीड़े एक नई प्रजाति के थे, जिसे शोधकर्ताओं ने पैनाग्रोलाईमस कोलीमेनिस नाम दिया है।

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि दोनों जीव ट्रेहलोज नामक शर्करा का उत्पादन करते हैं, जो संभवतः उन्हें ठंड और निर्जलीकरण को सहन करने में सक्षम बनाता है।