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G20 Summit: 5 बिंदुओं में जानें G20 में क्‍यों छाया रहा भारत, दुनिया के शीर्ष नेताओं ने PM मोदी का माना लोहा

G20 Summit 2022 मोदी का यह मंत्र कि यह युग जंग का नहीं है दुनिया के राष्‍ट्राध्‍यक्षों को भा गया। आइए जानते हैं कि आखिर यह जी-20 का सम्‍मेलन भारत के लिए क्‍यों उपयोगी रही। जी-20 सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्‍यों छा गए।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Wed, 16 Nov 2022 06:41 PM (IST)
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5 बिंदुओं में जानें G20 में क्‍यों छाया रहा भारत, शीर्ष नेताओं ने PM मोदी का माना लोहा। एजेंसी।
नई दिल्‍ली, जेएनएन। बाली में हो रहे G-20 समिट में भारत और उसकी विदेश नीति का लोहा पूरी दुनिया मान रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले ही भाषण में यूक्रेन जंग पर बोल कर पूरी दुनिया का ध्‍यान अपनी ओर खींचा है। पीएम मोदी का यह मंत्र कि 'यह युग जंग का नहीं है', दुनिया के राष्‍ट्राध्‍यक्षों को भा गया। यही कारण है कि इसे G-20 के परिपत्र में शामिल किया गया। आइए जानते हैं कि आखिर यह G-20 का सम्‍मेलन भारत के लिए क्‍यों उपयोगी रहा। जी-20 सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्‍यों छा गए। इस पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है।

1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि भारत के लिए यह गर्व की बात है कि पीएम मोदी के दिए गए भाषण में इस वाक्‍य 'यह युग जंग का नहीं को G-20 communique में जगह मिली है। यह मोदी की स्‍ट्राग विदेश नीति का नतीजा माना जा सकता है। जी20 में रूस को लेकर भारत के स्‍टैंड का लोहा अमेरिका और चीन ने भी माना। मोदी ने इस अंतरराष्‍ट्रीय मंच से यूक्रेन जंग को खत्‍म करने का रास्‍ता दिखाया। मोदी ने कहा कि इस जंग को कूटनीति के जरिए समाप्‍त किया जाना चाहिए।

2- प्रो पंत ने कहा कि पीएम मोदी ने दुनिया को यह दिखा दिया कि भारत G-20 की अध्‍यक्षता मजबूती से करने को तैयार है। उन्‍होंने कहा कि G-20 में प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से बेबाकी से भारत का पक्ष रखा, उससे यह संदेश गया कि 21वीं सदी का भारत एकदम अलग है। इससे अंतरराष्‍ट्रीय जगत में भारत की एक अलग साख और पहचान बनी है। प्रो पंत ने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय जगत में भारत की धाक जमी है। खास कर तब जब, दिसंबर में भारत G-20 की अध्यक्षता का जिम्मा ले रहा है। यह ऐसा समय है, जब दुनिया जंग, गृहयुद्ध, आर्थिक मंदी और ऊर्जा की बढ़ी हुई कीमतों और महामारी के दुष्प्रभावों से जूझ रही है। ऐसे समय विश्व G-20 में भारत की भूमिका को भी उम्‍मीद की नजरों से देखा जा रहा है।

3- प्रधानमंत्री ने दुनिया को यह भरोसा दिलाया कि वह G20 का नेतृत्‍व करने में पूरी तरह से सक्षम है। मोदी ने कहा कि विश्व G20 की तरफ आशा की नजर से देख रहा है। मोदी ने यह संकेत दिया कि भारत की मजबूत लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था, देश की अद्भुदता, विविधता, समावेशी परंपराओं और सांस्कृतिक समृद्धि का पूरा अनुभव मिलेगा। मोदी ने दुनियाभर के नेताओं से मिलकर उनको यह विश्‍वास दिलाया कि G20 की अध्‍यक्षता की जो जिम्‍मेदारी भारत को मिली है, उसको वह पूरी तरह से निभाने के लिए तैयार है।

4- प्रो पंत ने का कि भारतीय हितों के लिहाज से G20 की यह बैठक बेहद उपयोगी रही। पीएम मोदी ने इस मंच का पूरा कूटनीतिक लाभ उठाया। इस दौरान उन्‍होंने कई वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर भारत के पक्ष को रखा। मोदी ने फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन के साथ उनकी शानदार केमिस्‍ट्री देखने को मिली। दोनों नेताओं ने एक दूसरे का गर्मजोशी के साथ स्‍वागत किया। यूक्रेन जंग के बाद अमेरिका, भारत की तटस्‍थता की नीति से खफा चल रहा है।

5- पीएम मोदी की जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्‍ज के साथ द्विपक्षीय बैठक की। इसके साथ उन्‍होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के साथ लंबी वार्ता की। दोनों नेताओं ने व्‍यापक साझेदारी को लेकर समीक्षा की। इस क्रम में मोदी और इटली में उनके समकक्ष के साथ भी द्विपक्षीय वार्ता हुई। चीन के राष्‍ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई, लेकिन मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग के साथ गर्मजोशी के साथ मुलाकात हुई। मोदी को मिल रहे सम्‍मान और रुतबे को चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग ने अपने आंखों से देखा। भारत की अंतरराष्‍ट्रीय जगत में क्‍या साख है इसे चिनफ‍िंग महसूस कर रहे होंगे।

G20 शिखर सम्मेलन का समापन

गौरतलब है कि इंडोनेशिया में G20 शिखर सम्मेलन का आज समापन हो गया है। अगले वर्ष G-20 सम्मेलन की मेजबानी भारत करेगा। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने भारत को इसकी अध्यक्षता सौंपी। अंत में G20 के नेताओं ने यूक्रेन में रूस की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की और बिना शर्त वहां से सैनिकों की वापसी की मांग की। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने गति देने पर सहमति व्यक्त की। G20 नेताओं ने जलवायु को लेकर 2015 के पेरिस समझौते से तापमान लक्ष्य में बदलाव को लेकर वैश्विक स्तर को तापमान में 1.5C की सीमित वृद्धि करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।