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विश्व की 99 फीसदी आबादी प्रदूषित हवा में ले रही सांस, जलवायु संकट से हर साल जा रहीं लाखों जानें

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के अलावा प्रदूषण अर्थव्यवस्थाओं का भी गला घोंट रहा है। यह हमारे ग्रह को गर्म कर रहा है जो जलवायु संकट में आग में घी का काम कर रहा। आज 99 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रदूषित हवा में सांस ले रही हैं जिससे 80 लाख से अधिक वार्षिक मौतें हो रही हैं।

By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 08 Sep 2024 05:45 AM (IST)
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मानव स्वास्थ्य के अलावा प्रदूषण अर्थव्यवस्थाओं का भी गला घोंट रहा है

 आइएएनएस, नैरोबी। पांचवां वार्षिक अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस शनिवार को मनाया गया। इसमें वायु प्रदूषण से निपटने के लिए भारी निवेश का आह्वान किया गया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के अलावा प्रदूषण अर्थव्यवस्थाओं का भी गला घोंट रहा है। यह हमारे ग्रह को गर्म कर रहा है, जो जलवायु संकट में आग में घी का काम कर रहा।

शीघ्र मृत्यु का दूसरा प्रमुख जोखिम कारक बना प्रदूषण

आज 99 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रदूषित हवा में सांस ले रही हैं, जिससे 80 लाख से अधिक वार्षिक मौतें हो रही हैं। इनमें पांच साल से कम उम्र के 700,000 से अधिक बच्चे भी शामिल हैं। प्रदूषित हवा महिलाओं, बच्चों और वृद्ध लोगों पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।

वायु प्रदूषण वैश्विक स्तर पर शीघ्र मृत्यु का दूसरा प्रमुख जोखिम कारक बन गया है, यह वयस्कों के लिए तंबाकू से आगे निकल गया है और पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कुपोषण के बाद दूसरे स्थान पर है।

वायु प्रदूषण के बढ़ते आर्थिक, पर्यावरणीय और अस्तित्व संबंधी प्रभाव के बावजूद इससे निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय विकास निधि का एक प्रतिशत से भी कम समर्पित है। इसकी वजह से हर साल दुनिया को अकेले स्वास्थ्य क्षति के रूप में 8.1 ट्रिलियन डालर का नुकसान हो रहा है।

स्वच्छ हवा को लेकर निवेश की जरूरत

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के नेतृत्व में इस वर्ष की थीम लोगों और ग्रह के स्वस्थ और अधिक समृद्ध भविष्य के लिए स्वच्छ हवा को लेकर निवेश पर केंद्रित है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि स्वच्छ हवा को लेकर निवेश के लिए सरकार और व्यवसाय दोनों की ओर से जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की जरूरत है।

साथ ही वायु गुणवत्ता निगरानी को मजबूत करने, मानकों को लागू करने, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने, अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों का निर्माण और मीथेन सहित हानिकारक उत्सर्जन को कम करने की जरूरत है।