तालिबान के शासन में अफगानिस्तान बना दुनिया का 'सबसे कम सुरक्षित' देश, रिपोर्ट में खुलासा
तालिबान के शासन मे अफगानिस्तान दुनिया का सबसे कम सुरक्षित देश है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। जब से तालिबान सत्ता में आया है महिलाओं पर अत्याचार बढ़ गए हैं। रात में चलते समय लोग सुरक्षित नहीं है। लगातार हत्याएं हो रही हैं।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Thu, 27 Oct 2022 08:54 AM (IST)
काबुल, एएनआइ। तालिबान शासन के कारण अफगानिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन के बीच युद्धग्रस्त देश को दुनिया में 'सबसे कम सुरक्षित' देश के रूप में स्थान दिया गया है। सर्वे में लगभग 120 देशों का मूल्यांकन किया गया। स्थानीय मीडिया ने गैलप के कानून और व्यवस्था सूचकांक की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह जानकारी दी।
खामा प्रेस ने जानकारी
खामा प्रेस ने बताया कि यह रिपोर्ट अफगानिस्तान द्वारा वैश्विक शांति सूचकांक में पांच साल तक दुनिया के 'सबसे कम शांतिपूर्ण' देश के रूप में अपना स्थान बनाए रखने के बाद आई है। अफगानिस्तान का स्कोर 51 है। यह सर्वे इस आधार पर किया गया था कि लोग अपने समुदायों में कितना सुरक्षित महसूस करते हैं या पिछले वर्ष चोरी या हमले का शिकार हुए हैं।
2021 में बेहतर था परिणाम
2021 में कम स्कोर के बावजूद अफगानिस्तान का स्कोर 2019 में अपने पिछले परिणाम से बेहतर था, जो गैलप के सर्वेक्षण के अनुसार 43 था। 2021 में गैलप द्वारा अफगानिस्तान में किए गए सर्वेक्षण तब किए गए, जब अमेरिका ने अपने सैनिकों को वापस ले लिया। हालांकि, खामा प्रेस के अनुसार, सर्वेक्षण रिपोर्ट में 96 के स्कोर के साथ सिंगापुर को सबसे सुरक्षित देश का दर्जा दिया गया है।अफगानिस्तान में रात में चलते समय सुरक्षित नहीं हैं लोग
- गैलप के सूचकांक के अनुसार, अफगानिस्तान वह देश है, जिसमें तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से अकेले रात में चलते समय लोगों के सुरक्षित महसूस करने की 'कम से कम संभावना' है।
- पिछले साल जब से तालिबान ने काबुल में सत्ता पर कब्जा किया था, मानवाधिकारों की स्थिति अभूतपूर्व पैमाने के राष्ट्रव्यापी आर्थिक, वित्तीय और मानवीय संकट से बढ़ गई है।
- नागरिकों की लगातार हत्या, मस्जिदों और मंदिरों को नष्ट करने, महिलाओं पर हमला करने और क्षेत्र में आतंक को बढ़ावा देने से जुड़े निरंतर मानवाधिकार उल्लंघन के साथ आतंक, हत्याएं, विस्फोट और हमले एक नियमित मामला बन गए हैं।
- तालिबान ने लिंग आधारित हिंसा का जवाब देने के लिए व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंचने वाली महिलाओं के लिए नई बाधाएं पैदा कीं, महिला सहायता कर्मियों को अपना काम करने से रोक दिया और महिला अधिकार को लेकर प्रदर्शन कर रही महिलाओंं पर हमला किया।