Afghan Embassy In India: इन तीन कारणों की वजह से अफगानिस्तान ने बंद किया भारत में दूतावास
अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार जाने के बाद देश में तालिबानी शासन आया मगर इसके बावजूद भी भारत में पुरानी सरकार का दूतावास काम कर रहा था। अब अफगानिस्तान ने भारत में अपना दूतावास बंद कर दिया है। तालिबान ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के दूतावास ने रविवार (1 अक्टूबर) से भारत में अपने परिचालन को बंद करने का फैसला किया है।
By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Mon, 02 Oct 2023 09:56 AM (IST)
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार जाने के बाद देश में तालिबानी शासन आया, मगर इसके बावजूद भी भारत में पुरानी सरकार का दूतावास काम कर रहा था। अब अफगानिस्तान ने भारत में अपना दूतावास बंद कर दिया है। तालिबान ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान के दूतावास ने रविवार (1 अक्टूबर) से भारत में अपने परिचालन को बंद करने का फैसला किया है।
तालिबान ने एक आधिकारिक बयान जारी करके कहा है, "बेहद दुख, अफसोस और निराशा के साथ नई दिल्ली में अफगानिस्तान अपने दूतावास का परिचालन बंद करने के फैसले की घोषणा करता है।" वहीं, अफगानिस्तान ने भारत में दूतावास को बंद करने के पीछे तीन बड़ी वजहें बताई हैं।
भारत से समर्थन की कमी
अफगानिस्तान ने आधिकारिक बयान में कहा, "हमारे दूतावास ने भारत में राजनयिक समर्थन की कमी का अनुभव किया है, जिससे अफगानिस्तान के सर्वोत्तम हितों की सेवा और कर्तव्य का पालन करने में बाधा पैदा हुई है।" बयान में आगे कहा गया कि अफगानिस्तान और भारत के बीच ऐतिहासिक संबंधों और दीर्घकालिक साझेदारी को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया गया है।भारत में स्टाफ की कमी
अफगानिस्तान ने भारत में दूतावास को बंद करने के पीछे की दूसरी वजह स्टाफ की कमी को बताया है। बयान में कहा गया है कि कर्मचारियों और संसाधनों में कटौती की वजह से संचालन जारी रखना चुनौतीपूर्ण हो गया है, जिसमें राजनयिकों के लिए वीज़ा नवीनीकरण से समय पर और पर्याप्त समर्थन की कमी भी शामिल है।राजनयिकों के बीच संभावित अंतर्कलह
बयान में कहा गया है कि अफगानिस्तान के भारत में राजदूत और अन्य वरिष्ठ राजनयिक भारत छोड़कर यूरोप और अमेरिका चले गए और वहां शरण ले ली है। इसमें अफगान राजनयिकों के बीच में अंदरूनी कलह की भी बात कही गई है।