अफगानिस्तान: माइक्रो-ब्लागिंग साइट ट्विटर ने कई मंत्रालयों के अकाउंट्स से ब्लू बैज हटाया
अमेरिकी माइक्रो-ब्लागिंग और सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म ट्विटर ने तालिबान सरकार पर बड़ी कार्रवाई की है। उसने मंत्रालयों के अकाउंट से वैरिफाइड बैज हटा दिए हैं। विदेश मंत्रालय रक्षा मंत्रालय गृह मंत्रालय प्रेसिडेंशियल पैलेस और नेशनल प्रोक्योरमेंट अथारिटी के ट्विटर अकाउंट से ब्लू वेरिफिकेशन बैज हट गया है।
By TaniskEdited By: Updated: Mon, 27 Sep 2021 05:10 AM (IST)
काबुल, एएनआइ। अमेरिकी माइक्रो-ब्लागिंग और सोशल नेटवर्किंग प्लेटफार्म ट्विटर ने अफगानिस्तान के मंत्रालयों के अकाउंट से वैरिफाइड बैज हटा दिए हैं। पझवोक अफगान न्यूज की रविवार की रिपोर्ट के मुताबिक ट्विटर ने विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, प्रेसिडेंशियल पैलेस और नेशनल प्रोक्योरमेंट अथारिटी के ट्विटर अकाउंट से ब्लू वेरिफिकेशन बैज हटा दिया है। बता दें कि तालिबान के काबुल पर कब्जा करने का एक महीने से अधिक का समय हो गया है।
बता दें कि गत 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान ने कब्जा कर लिया था। पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार गिरने के बाद से देश संकट में है। प्रकाशन के अनुसार, गनी शासन के पतन के बाद इन ट्विटर अकाउंट्स से कोई पोस्ट शेयर नहीं किया गया है।सालेह के अकाउंट से ब्लू टिक हटा
पझवोक अफगान न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार इन कुछ मंत्रालयों और संस्थाओं के जहां ट्विटर आकाउंट्स से वैरिफिकेशन बैज हटा दिए गए हैं, वहीं पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी, हामिद करजई, अब्दुल्ला अब्दुल्ला के खातों पर यह बैज अभी भी मौजूद हैं। इसके अलावा पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया गया है, लेकिन यह दूसरे उप राष्ट्रपति सरवर दानेश के अकाउंट पर मौजूद था।
हजारों अफगानी लोग पड़ोसी देश ईरान भागे
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब से तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता संभाली है, तब से हजारों अफगानी लोग अपने पड़ोसी देश ईरान भाग गए हैं। अशांत देश में बढ़ रही अनिश्चितता इसका कारण है। वायस आफ अमेरिका (वीओए) के अनुसार एक पूर्व अफगान पुलिसकर्मी ने बताया है कि तालिबान सरकार बनने के बाद वह काम से बाहर है। वह उन हजारों अफगानों में से एक है, जो हाल के हफ्तों में ईरान भाग गए हैं। 22 वर्षीय पूर्व अधिकारी अब्दुल अहद ने वीओए को बताया कि वह देश छोड़ रहा है क्योंकि उसे अफगानिस्तान में ' बेहतर भविष्य की कोई उम्मीद नहीं है'।