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अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति ने दी चेतावनी, तालिबान को समर्थन देना जारी रखा तो पाकिस्तान को चुकानी होगी भारी कीमत

व्हाइट हाउस के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी पाक पर दो दशकों से तालिबान को समर्थन प्रदान करने का आरोप लगाया है। बोल्टन ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लेता है तो यह पाकिस्तान के लिए भी खतरा होगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 29 Jun 2021 05:44 PM (IST)
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अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान को चेतावनी दी
काबुल, एएनआइ। अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर वह आतंकी संगठन तालिबान को समर्थन देना जारी रखता है तो उसे "बहुत अधिक कीमत" चुकानी होगी। सालेह ने रविवार को एक बयान में कहा कि पाकिस्तान के पास एक मौका है कि वह शांति वार्ता का आयोजक बनते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उसके लिए अफगानिस्तान का विश्वस्त साझेदार बनने का यह अंतिम अवसर है।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान में 6500 आतंकवादी सक्रिय

संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों में अब कम से कम एक दर्जन अलग-अलग आतंकवादी समूह सक्रिय हैं, जिनमें कम से कम 6,500 पाकिस्तानी नागरिक शामिल हैं। यह जानकारी अमेरिकी सेना की वापसी के बीच तालिबान और अफगान सुरक्षा बलों के बीच लगातार झड़पों के साथ अफगानिस्तान में हिंसा की वृद्धि के बीच में सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे पाकिस्तान स्थित जेहादी समूह अफगान राष्ट्रीय बलों के खिलाफ तालिबान समूहों के साथ मिलकर लड़ाई जारी रखते हैं।

पाकिस्तान संसद ने भी की तालिबानियों के हाथों अफगानों की हत्याओं की कड़ी निंदा

अफगानिस्तान के उपाध्यक्ष ने यह भी कहा कि तालिबान का समर्थन करने की कीमत बहुत अधिक होगी। उन्होंने कहा कि स्थिति बदल गई है। न केवल हमें बल्कि पाकिस्तान की संसद में अंतरात्मा की आवाज पर तालिबान के हाथों अफगानों की हत्याओं की कड़ी निंदा करती है। अफगानिस्तान टाइम्स के अनुसार, सालेह का मानना है कि पाकिस्तान को छोड़कर सभी देश देश के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं।

पाकिस्तान के गृह मंत्री ने तालिबान के साथ संबंधों को स्वीकारा

पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने रविवार को स्वीकार किया कि अफगान तालिबान के परिवार उनके देश में रहते हैं, जिसमें राजधानी इस्लामाबाद भी शामिल है। कभी-कभी आतंकवादी संगठन के सदस्यों का इलाज स्थानीय अस्पतालों में किया जाता है। रशीद ने इस्लामाबाद के उपनगरों के नामों का हवाला देते हुए पाकिस्तान में एक उर्दू भाषा नेटवर्क को बताया कि तालिबान परिवार यहां रहते हैं - पाकिस्तान में, रावत, लोई बेर, बारा कहुह और तरनोल में।

कभी उनके शव आ जाते हैं और कभी-कभी वे यहां इलाज कराने के लिए अस्पतालों में आते हैं। इस्लामाबाद पर तालिबान की सहायता करने और उन्हें अपने फायदे के लिए छद्म रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है। हालांकि काफी संख्या में सबूतों के बाद भी पाकिस्तान आतंकवादी समूह से अपने संबंध से इनकार करता रहा है।

तालिबान भविष्य में पाकिस्तान के लिए भी बनेगा खतरा

द खामा प्रेस के अनुसार, व्हाइट हाउस के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी पाकिस्तान पर पिछले दो दशकों से तालिबान को समर्थन प्रदान करने का आरोप लगाया है। बोल्टन ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अगर तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लेता है, तो यह पाकिस्तान के लिए भी खतरा होगा क्योंकि पाकिस्तानी सरकार पर चरमपंथी दबाव बढ़ेगा।

अफगानिस्तान दल ने किया अमेरिका का दौरा

अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति ने कहा कि अफगानिस्तान के विशिष्ट लोगों द्वारा हाल में की गई वाशिंगटन यात्रा अत्यधिक उत्पादक थी। द खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान वार्ता दल में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति, अशरफ गनी, पहले उपाध्यक्ष अमरुल्ला सालेह, हमदुल्ला मोहिब (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार), मोहम्मद हनीफ अतमार (विदेश मंत्री), अदेला रज (संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान प्रतिनिधि), शाहरजाद अकबर (मानव अधिकार आयोग के प्रमुख) और महिला सदस्य फातिमा गेलानी और हबीबा साराबी प्रतिनिधिमंडल की बैठक में शामिल हुईं।