असमय मृत्यु को न्यौता देता है वायु प्रदूषण, बढ़ाता है सांस संबंधी बीमारियां
असमय मौत से बचना है तो वायु प्रदूषण के रिस्क को खत्म करना होगा क्योंकि यह सांस संबंधी बीमारियों को बढ़ाता है।
By Monika MinalEdited By: Updated: Sat, 24 Aug 2019 12:55 PM (IST)
सिडनी, एजेंसी। हवा में मौजूद छोटे और महीन धूल के कण सांस की बीमारियों को बढ़ाते हैं। जहरीले वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से हृदय और सांस संबंधी बीमारियां होने से असामयिक मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित हुए अध्ययन को पूरा होने में 30 साल का समय लगा है। इसमें शोधकर्ताओं ने 24 देशों के 652 शहरों में वायु प्रदूषण और मृत्युदर के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि मौतों में वृद्धि सांस लेने योग्य (इनहेलेबल) कणों (पीएम 10) और महीन (फाइन) कणों (पीएम 2.5) के संपर्क से जुड़ी होती है।ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर युमिंग गुओ ने कहा कि पार्टिकुलेट मैटर और मृत्युदर के बीच संबंध के लिए कोई सीमा नहीं है, जिससे वायु प्रदूषण के निम्न स्तर से मौत का खतरा बढ़ सकता है। गुओ ने कहा कि हवा में जितने छोटे और महीन धूल के कण मौजूद होंगे उतनी ही, आसानी से वे फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं ।
इसके पहले कनाडा और अमेरिका में किए गए शोध का कहना था कि वायु प्रदूषण से मानसिक बीमारियां होती हैं। इसके अनुसार कम उम्र में प्रदूषित वायु में रहने वाले लोगों को इन बीमारियों का खतरा अधिक होता है।
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