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North Korea vs US: किम जोंग के इस नए कानून से चिंतित हुआ अमेरिका, क्‍या उत्‍तर कोरिया की मिसाइल की जद में US?

North Korea Nuclear Weapons and US अमेरिका के तमाम विरोध के बावजूद उत्‍तर कोरिया ने एक नया कानून पारित करके ऐलान किया है। अब वह एक परमाणु हथियार संपन्‍न राष्‍ट्र है। आखिर क्‍या है इसके मायने। क्‍या उत्‍तर कोरिया की मिसाइल की जद अमेरिका तक है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Fri, 09 Sep 2022 07:59 PM (IST)
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North Korea Nuclear Weapons and US: किम जोंग के इस नए कानून से चिंतित हुआ अमेरिका। एजेंसी।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। अमेरिका के तमाम विरोध के बावजूद उत्‍तर कोरिया ने एक नया कानून पारित करने का ऐलान किया है। अब वह एक परमाणु हथियार संपन्‍न राष्‍ट्र है। उत्‍तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन ने कहा कि इस कानून को कभी बदला नहीं जा सकेगा। किम ने यह भी प्रण किया कि हमारा देश कभी भी अपने परमाणु हथियारों को नहीं छोड़ेगा। उन्‍होंने कहा कि परमाणु हथियार विहीन करने को लेकर अब कोई वार्ता नहीं होगी। इस नए कानून में उत्‍तर कोरिया ने कहा है कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों के पहले इस्‍तेमाल का अधिकार है। आइए जानते हैं कि अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति ट्रंप ने उत्‍तर कोरिया को मिसाइल देश बनने से कैसे रोका। उत्‍तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम में चीन की क्‍या दिलचस्‍पी रही है। इसके साथ यह भी जानेंगे कि परमाणु क्‍लब के सदस्‍य कौन से देश हैं। परमाणु अप्रसार संघि क्‍या है।

ट्रंप और उत्‍तर कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम

उत्‍तर कोरिया के मिसाइल कार्यक्रम को रोकने के लिए पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप बेहद सक्रिय रहे थे। इस बाबत किम जोंग के साथ उनकी दो चरणों की महावार्ता भी हुई थी। प्रथम वार्ता में इसको बढ़चढ़ कर दिखाया गया था। इसे काफी सफल कहा गया था। हालांकि, यह वार्ता दूसरे चरण में विफल रही थी। इसके अलावा पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को उत्तर कोरिया को अपने उद्देश्यों को लेकर पीछे हटने को कहा था। इसके मिश्रित परिणाम रहे हैं क्योंकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा उत्तर कोरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों का चीन समर्थन करता है, जबकि चीन के उससे रिश्ते ठीक रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि चीन नहीं चाहता कि उत्तर कोरियाई शासन मिटे और करोड़ों शरणार्थी सीमा पार करके उसके यहां आएं। उत्तर कोरियाई शासन को लेकर कई विश्लेषकों का तर्क है कि वह इतना मूर्ख नहीं है जितना लगता है। उसके व्यवहार और कुछ चीजें वह जो चाहता है उसके पीछे तर्क होते हैं।

परमाणु क्‍लब के पांच राष्‍ट्र

दुनिया में ऐसे पांच मुल्‍क हैं, जो घोषित रूप से परमाणु संपन्‍न राष्‍ट्र हैं। इसमें ब्रिटेन, फ्रांस, अमरीका, चीन और रूस शामिल हैं, जो घोषित रूप से परमाणु हथियार संपन्न हैं। खास बात यह है कि इनमें से ज्‍यादा मुल्‍कों ने परमाणु हथियार द्वितीय विश्व युद्ध के परिणामों के बाद बनाया था क्योंकि इनमें से अधिकांश मुल्‍कों ने दो जापानी शहरों पर अमरीका का परमाणु हमला देखा था। इस परमाणु क्लब में सबसे अंत में चीन शामिल हुआ। चीन ने वर्ष 1960 के मध्य में परमाणु हथियार विकसित कर लिए थे।

परमाणु अप्रसार की संधि

1- दुनिया में परमाणु हथियारों के विस्‍तार के बाद इसके प्रसार को रोकने को लेकर एक बड़ी पहल हुई। इस क्रम में 1970 में परमाणु अप्रसार संधि अस्तित्व में आया। इसने दुनिया में परमाणु हथियारों के विस्‍तार को रोकने में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया। परमाणु हथियारों से संपन्न राष्ट्रों और जिनके पास ये हथियार नहीं हैं उन राष्ट्रों ने इसके अप्रसार को लेकर सहमति जताई। परमाणु हथियारों से संपन्न राष्ट्रों को अपने हथियार कम करने थे, जबकि गैर परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्रों को परमाणु हथियार न बनाने की शर्त पर यह तकनीक हासिल करनी थी। हालांकि, इराक, ईरान और लीबिया जैसे देशों ने हथियारों को विकसित किया। इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों में इजरायल, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों ने भी परमाणु हथियार विकसित किए। 

2- उत्तर कोरिया का बंटवारा दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुआ था। वामपंथी उत्तर कोरिया में रूस की तर्ज पर तानाशाही व्यवस्था लागू हुई। उत्तर कोरिया के नेताओं को लगता है कि परमाणु ताकत ही वह दीवार है, जो उन्हें बर्बाद करने पर तुली दुनिया से बचा सकती है। उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों से ये लगता है कि उसकी इंटरकान्टिनेंटल मिसाइलें अमरीका तक पहुंच सकती हैं। उसने तकरीबन एक दर्जन से अधिक बार न्यूक्लियर डिवाइस का परीक्षण किया है। खुफ‍िया रिपोर्ट के मुताबिक वह छोटे आकार के परमाणु हथियार बनाने के करीब है या फिर वह इसे हासिल कर चुका है। वह ऐसे परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जो किसी राकेट में फिट किए जा सकते हैं। उत्तर कोरिया अमरीका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है और उसके पास ऐसी मिसाइलें भी हैं जो दक्षिण कोरिया और जापान तक मार कर सकते हैं।

क्‍या है उत्‍तर कोरिया का नया कानून 

इस नए कानून में उत्‍तर कोरिया ने कहा है कि उसे अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु हथियारों के पहले इस्‍तेमाल का अधिकार है। उत्‍तर कोरिया ने परमाणु हथियारों को लेकर चली आ रही अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है। इससे पहले उत्‍तर कोरिया का कहना था कि वह अपने हथियारों को तब तक रखेगा, जब तक कि अन्‍य देश इसे खत्‍म नहीं कर देते हैं। उसका पहले यह भी कहना था कि गैर परमाणु हथियार संपन्‍न राष्‍ट्र पर उत्‍तर कोरिया पहले परमाणु हमला नहीं करेगा। जोंग ने कहा क‍ि परमाणु हथियार किसी देश की प्रतिष्‍ठा और संपूर्ण ताकत का प्रतीक हैं। उन्‍होंने रबर स्‍टैंप कही जाने वाली अपनी संसद के फैसले की जमकर प्रशंसा की।