संकट में अंटार्कटिका, समुद्री-बर्फ रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंची; 40 साल बाद दिखा ऐसा नजारा
Sea ice in Antarctic अमेरिकी शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अंटार्कटिक समुद्री बर्फ पिछले सप्ताह रिकॉर्ड निचले स्तर तक सिकुड़ सकती है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह चौंकाने वाली गिरावट एक संकेत है कि जलवायु संकट इस बर्फीले क्षेत्र को अधिक गंभीरता से प्रभावित कर सकता है।
By AgencyEdited By: Nidhi AvinashUpdated: Tue, 28 Feb 2023 08:22 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसी। Sea ice in Antarctic: अमेरिकी शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अंटार्कटिक समुद्री बर्फ (Antarctic Sea Ice) पिछले सप्ताह रिकॉर्ड निचले स्तर तक सिकुड़ सकती है। सैटेलाइट डाटा के मुताबिक पिछले 45 सालों में यहां बहुत परिवर्तन देखा गया है।
कुछ वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह चौंकाने वाली गिरावट एक संकेत है कि जलवायु संकट इस बर्फीले क्षेत्र को अधिक गंभीरता से प्रभावित कर सकता है। ग्लोबल वॉर्मिंग इसका सबसे बड़ा कारण हैं। विशेषज्ञ तो ये भी चेतावनी दे चुके है कि सदी के अंत तक दुनिया के आधे से ज्यादा ग्लेशियर विलुप्त हो जाएंगे। इससे समुद्र का स्तर भी बढ़ सकता है।
पिछले साल के मुकाबले तेजी से हुई गिरावट
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर में नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर (NSIDC) ने बताया कि 21 फरवरी को अंटार्कटिका की समुद्री बर्फ 1.79 मिलियन वर्ग किलोमीटर (691,000 मिलियन वर्ग मील) तक गिर चुकी है। इसने वर्ष 2022 में 136,000 वर्ग किलोमीटर (52,500 वर्ग मील) के आंकड़े को भी पार कर दिया है। एनएसआईडीसी के वैज्ञानिकों ने कहा कि शुरुआती आंकड़ा और भी पार हो सकता है क्योंकि मौसम के कारण बर्फ और भी पिघल सकते है। बता दें कि वैज्ञानिक मार्च की शुरुआत में नए आंकड़े जारी करेंगे।
गर्म तापमान के कारण बर्फ की चादर पिघल रही
गर्म तापमान के कारण समुद्री बर्फ के पिघलने से अंटार्कटिका की जमी हुई बर्फ की चादर पानी में तब्दील हो चुकी है। बता दें कि समुद्री बर्फ के पिघलने का समुद्र के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्योंकि बर्फ पहले से ही समुद्र में है, लेकिन तापमान में वृद्धि होने के साथ ही अंटार्कटिका के विशाल बर्फ तेजी से पिघल रहे है जिससे समुद्र के स्तर में वृद्धि हो सकती हैं।कोऑपरेटिव इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च इन एनवायरनमेंटल साइंसेज (CIRES) के एक सीनियर रिसर्चर वैज्ञानिक टेड स्कैम्बोस ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए अंटार्कटिका की प्रतिक्रिया आर्कटिक से अलग रही है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण अंटार्कटिका के आसपास के बर्फ तेजी से गिर रहे है। वर्ष 2016 के बाद से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहा है। ये एक वैश्विक चिंता बन चुकी है।