शेख हसीना ने क्यों खोया सेना का समर्थन? जनरलों ने आदेश मानने से किया था इनकार; बांग्लादेश में तख्तापलट की इनसाइड स्टोरी
Bangladesh Protestशेख हसीना के अचानक देश छोड़कर चले जाने के बाद बांग्लादेश की स्थिति लगातार खराब हो रही है। वहीं अब देश छोड़ने की घटना पर नया खुलासा हुआ है। दरअसल पीएम रहते हुए शेख हसीना ने सैन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक की थीं जिसमें सेना प्रमुख भी मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने सेना से प्रदर्शन को दबाने को कहा जिससे सेना ने साफ तौर पर इनकार कर दिया।
रायटर, ढाका। Bangladesh Protests: बांग्लादेश में हिंसक तख्तापलट के बाद पूर्व पीएम शेख हसीना देश छोड़कर भारत में शरण लिए हुए हैं। हसीना के देश छोड़ने के बाद से बांग्लादेश की स्थिति लगातार और खराब होती जा रही है।
हसीना के कई करीबी भी देश छोड़ने को मजबूर
हसीना के विश्वासपात्र कई मंत्री देश छोड़ कर चले गए हैं या फिर छोड़ने की फिराक में हैं। इस बीच, बांग्लादेश में जारी घातक विरोध प्रदर्शन और शेख हसीना के देश छोड़ने से पहले की घटना पर नया मामला सामने आया है।
सैन्य अधिकारियों ने किया खुलासा
दरअसल, शेख हसीना के अचानक देश छोड़कर चले जाने से एक रात पहले उन्होंने वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक की थीं, जिसमें सेना प्रमुख भी मौजूद थें। इस दौरान हसीना ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने और पूरे देश में कर्फ्यू लगाने का आदेश दिया था। हालांकि, सैन्य अधिकारियों ने हसीना के इस आदेश को मानने से सीधे तौर पर इनकार कर दिया। समाचार एजेंसी रायटर ने बैठक में उपस्थित सैन्य अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है।जब हसीना ने खोया सेना का समर्थन
वहीं, अधिकारियों ने बताया कि हसीना के साथ बैठक के बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने इस मामले में अपने जनरलों से चर्चा की, लेकिन सभी ने इस आदेश को सिरे से खारिज कर दिया। इसी के साथ हसीना ने सेना का समर्थन भी खो दिया। हालांकि, सेना प्रमुख ने हसीना से समर्थन वापस लेने के अपने फैसले के बारे में सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं बताया है।
हसीना के आदेश से क्यों पीछे हटी सेना
बांग्लादेश के तीन पूर्व वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने रायटर को बताया कि देश में बड़े स्तर पर जारी विरोध प्रदर्शनों में उस समय तक करीब 241 लोगों की मौत हो चुकी थी, जिसके कारण सेना ने हसीना से अपना समर्थन वापस लिया था। सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर जनरल एम. सखावत हुसैन ने कहा कि हिंसक प्रदर्शन के कारण सैनिकों के अंदर बहुत बेचैनी थी, जिसके कारण ही सेना प्रमुख पर सैनिकों का दबाव पड़ा, क्योंकि सैनिक जमीन पर मौजूद थे और वे स्थिति पर करीब से देख रहे थे।
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