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कैंसर की चेतावनी के बाद भी जारी रह सकता है डाइट सोडा का इस्तेमाल, खाद्य पदार्थ में होता है Aspartame का उपयोग

आर्टिफिशियल स्वीटनर यानी चीनी के विकल्प के तौर पर उपयोग किए जाने वाले एस्पार्टेम (Aspartame) एक बार फिर से जांच के दायरे में आ गया है। हालांकि कैंसर के खतरा के बाद भी इसका उपयोग आगे भी जारी रह सकता है। एस्पार्टेम एक रासायनिक स्वीटनर है जिसका उपयोग 1980 के दशक से ही विभिन्न खाद्य और पेय उत्पादों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 17 Jul 2023 12:58 AM (IST)
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खाद्य और पेय उत्पादों में होता है बड़े पैमाने पर एस्पार्टेम का उपयोग। प्रतीकात्मक फोटो।
जेनेवा, ऑनलाइन डेस्क। आर्टिफिशियल स्वीटनर यानी चीनी के विकल्प के तौर पर उपयोग किए जाने वाले एस्पार्टेम (Aspartame) एक बार फिर से जांच के दायरे में आ गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक एजेंसी ने हाल ही में इसी मामले में एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि एस्पार्टेम (डाइट सोडा) का उपयोग से कैंसर का खतरा हो सकता है। एजेंसी ने एस्पार्टेम युक्त पेय पदार्थों का भारी मात्रा में सेवन करने वाले लोगों से पानी या अन्य बिना किसी चीनी वाले पेय पदार्थों को सेवन करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

एस्पार्टेम का उपयोग कितना है सुरक्षित?

एस्पार्टेम के प्रयोग से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में चिंता कोई नई बात नहीं है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के बाद कई लोगों का कहना है कि निश्चित वजन समूह के व्यक्ति को कैंसर के खतरे का सामना करने के लिए बड़ी मात्रा में एस्पार्टेम का सेवन करना होगा। हालांकि, रिपोर्ट के में कहा गया है कि एक व्यक्ति को प्रतिदिन अधिकतर 40 मिलीग्राम ही इसका उपयोग सुरक्षित है।

खाद्य और पेय उत्पादों में होता है बड़े पैमाने पर उपयोग

मालूम हो कि एस्पार्टेम एक रासायनिक स्वीटनर है, जिसका उपयोग 1980 के दशक से ही विभिन्न खाद्य और पेय उत्पादों में बड़े पैमाने पर किया जाता है, जिसमें पेय, च्यूइंग गम, जिलेटिन, आइसक्रीम,  टूथपेस्ट, डेयरी उत्पाद जैसे दही, नाश्ता अनाज, और चबाने योग्य दवाएं शामिल हैं। WHO के मुताबिक, कैंसर  विश्व स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है और हर साल छह में से एक व्यक्ति की मृत्यु कैंसर के कारण हो जाती है। 

एस्पार्टेम को किया जाएगा खतरनाक पदार्थों में शामिल

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) एस्पार्टेम को ऐसे पदार्थों की लिस्ट में शामिल करेगी, जिसमें कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। ब्रिटिश अखबार द गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक,  WHO से जुड़े दो संगठनों ने स्वीकार किया कि एस्पार्टेम को कैंसर के लिए जिम्मेदार कैटेगरी में पहचाना गया है।

 कैंसर का खतरा होने के बाद भी जारी रह सकता है इसका उपयोग

मालूम हो कि आज के समय कई ऐसी कंपनियां है, जो इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करती हैं। यह चीनी से 200 गुना अधिक मीठा होता है और यह कम लागत वाला भी होता है। आज के समय दुनिया के कई खाद्य और पेय निर्माता कंपनियों के लिए एस्पार्टेम एक पसंदीदा विकल्प के रूप में उभरा है। फलों में इसके उपयोग के होने के यह उसके स्वाद को बड़े पैमाने पर बढ़ा देता है। आज के समय खाद्य और पेय पदार्थों में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने के कारण लोग इसके आदी हो गए हैं।