विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि विश्व हिंदी सम्मेलन को हिंदी के महाकुंभ के तौर पर स्थापित करने के लिए हम प्रयासरत हैं। विश्व हिंदी सम्मेलन को भाषा के लिए एक वैश्विक नेटवर्किंग मंच बनाने का भी लक्ष्य है।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Fri, 17 Feb 2023 09:06 PM (IST)
अनंत विजय, नांदी। विदेश मंत्री जयशंकर ने 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन पर कहा कि हिंदी को विश्व की भाषा बनाना ही हमारा लक्ष्य है। इसके लिए सबको मिलजुलकर काम करना होगा। विश्व हिंदी सम्मेलन को हिंदी के महाकुंभ के तौर पर स्थापित करने के लिए हम प्रयासरत हैं। विश्व हिंदी सम्मेलन को भाषा के लिए एक वैश्विक नेटवर्किंग मंच बनाने का भी लक्ष्य है।
विदेश मंत्री ने अगले विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजक देश की घोषणा नहीं की लेकिन उन्होंने कहा एक बार देश में और एक बार विदेश में हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया जाना चाहिए।आमतौर पर होता था कि विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन सत्र में अगले आयोजन स्थल की घोषणा कर दी जाती थी।
हिंदी फिल्मों के प्रेमी हैं फिजी के राष्ट्रपति: जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि उनके पास कई जगहों के प्रस्ताव आए हैं लेकिन इसके बारे में दिल्ली जाकर ही फैसला लिया जाएगा। उन्होंने एक रोचक किस्सा बताते हुए कहा कि फिजी के राष्ट्रपति हिंदी फिल्मों के प्रेमी हैं। मंच पर उन्होंने जब जयशंकर को ये बात बताई तो जयशंकर ने उनसे पूछा कि उनकी सबसे पसंदीदा हिंदी फिल्में कौन सी हैं तो फिजी के राष्ट्रपति ने कहा-शोले।
भारत आज विश्व का नेतृत्व कर रहा: विमान प्रसाद
जयशंकर ने फिजी सरकार को सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।फिजी के उप प्रधानमंत्री विमान प्रसाद ने कहा कि विश्व ¨हदी सम्मेलन जितना बड़ा आयोजन आज तक फिजी में नहीं हुआ था। इसके लिए उन्होंने भारत सरकार के प्रति आभार प्रकट किया। विमान प्रसाद ने कहा कि भारत आज विश्व का नेतृत्व कर रहा है। खासतौर पर विकासशील देशों का भारत सबसे बड़ा नेता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जयशंकर के नेतृत्व में भारत लगातार वैश्विक मंच पर अपने नेतृत्व को स्थापित कर रहा है।
विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने सम्मेलन का प्रतिवेधन पेश किया
उनके इतना कहते ही पूरा हाल भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा। उन्होंने भी ¨हदी फिल्मों की हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार में भूमिका को रेखांकित किया। अपने भाषण को उन्होंने जय हिंदी, जय फिजी और जय भारत के साथ समाप्त किया। इसके पहले विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने सम्मेलन का प्रतिवेधन पेश किया। उसमें कहा गया है कि भारत और फिजी समेत अन्य देशों के प्रतिनिधियों का समवेत अभिमत है कि भारत ज्ञान परंपरा और अन्य ज्ञान प्रणालियों को कृत्रिम मेधा के प्रयोग से विश्व की बड़ी जनसंख्या तक पहुंचाया जा सकता है।
इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण बात प्रतिवेदन में की गई कि मारीशस के विश्व हिंदी सचिवालय को बहुराष्ट्रीय संस्था के रूप में विकसित करने और प्रशांत क्षेत्र सहित विश्व के अन्य भागों में इसके क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है। साथ ही हिंदी के विकास के लिए जनभागीदारी की अपेक्षा भी की गई। तीन दिनों तक चले इस सम्मेलन में विश्व के करीब 50 देशों से 1000 हिंदी प्रेमियों ने हिस्सा लिया। जयशंकर ने फिजी की राजधानी सुवा में सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा की भी स्थापना की।
हिंदी प्रेमियों को सम्मान
भारत और विश्व के हिंदी प्रेमियों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इनमें उत्तर प्रदेश के सूर्य प्रसाद दीक्षित, नारायण कुमार, मध्यप्रदेश के जवाहर कर्णावट, त्रिभुवन नाथ शुक्ल, पंजाब के कुलदीप चंद्र अग्निहोत्री, मिजोरम की सी कामलौवा, अरुणाचल के जुम्सी सिराम आदि को सम्मानित किया गया। ¨हदी के प्रचार प्रसार के लिए केरल हिंदी प्रचार सभा और असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति को भी सम्मानित किया गया। विदेश से ¨सगापुर की संध्या सिंह और कनाडा की शैलजा को भी सम्मानित किया गया।
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