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Aung San Suu Kyi: आंग सान सू की को राहत, म्यांमार की मिलिट्री सरकार ने पांच मामलों में दी माफी

म्यांमार (Myanmar) की मिलिट्री सरकार जुंटा (Junta) ने नेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) को माफ कर दिया है। मिलिट्री सरकार ने आंग सान सू को पांच मामलों में माफी दी है। इसके तहत उन्हें अब 27 साल की सजा काटनी होगी। हालांकि 78 वर्षीय आंग सान सू की को अभी भी उन 33 वर्षों में से कुल 27 साल की सजा काटनी होगी।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalUpdated: Tue, 01 Aug 2023 02:20 PM (IST)
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आंग सान सू की को राहत, म्यांमार की मिलिट्री सरकार ने पांच मामलों में दी माफी (फाइल फोटो)
बैंकॉक, एजेंसी। म्यांमार (Myanmar) की मिलिट्री सरकार जुंटा (Junta) ने नेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) को माफ कर दिया है। मिलिट्री सरकार ने आंग सान सू को पांच मामलों में माफी दी है। इसके तहत उन्हें अब 27 साल की सजा काटनी होगी।

क्षमादान के तहत सजा हुई कम

राज्य मीडिया ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि म्यांमार की सैन्य नेतृत्व वाली सरकार ने बौद्ध बहुल देश में धार्मिक अवकाश से जुड़े क्षमादान के तहत नेता आंग सान सू की जेल की सजा कम कर दी है। बता दें कि उन्हें कुल 33 साल की जेल हुई थी।

काटनी होगी 27 साल की सजा

हालांकि, 78 वर्षीय आंग सान सू की को अभी भी उन 33 वर्षों में से कुल 27 साल की सजा काटनी होगी। इसके अलावा, 7,000 से अधिक कैदियों को दी गई क्षमादान के तहत पूर्व राष्ट्रपति विन म्यिंट की भी सजा कम कर दी गई है।

आंग सू की को पांच मामलों में दी माफी

म्यांमार की सैन्य परिषद के प्रमुख वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने सू की के खिलाफ पांच मामलों में सजा कम करने के लिए क्षमादान आदेश दिया है। जिसमें उन्हें कोरोनो वायरस प्रतिबंधों का उल्लंघन करने, अवैध रूप से वॉकी-टॉकी रखने और राजद्रोह के लिए दोषी ठहराया गया था।

19 अपराधों के लिए सुनाई गई थी सजा

इससे पहले आंग सान सून को 19 अपराधों के लिए सजा सुनाई गई थी। इस फैसले पर उनके समर्थकों और अधिकार समूह ने चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था कि यह उन्हें बदनाम करने और राजनीति में उनकी वापसी को रोकते हुए 2021 के सेना अधिग्रहण को वैध बनाने का प्रयास था।

सेना ने 2021 में किया था तख्तापलट

उल्लेखनीय है कि सेना ने 2021 की शुरुआत में तख्तापलट कर देश की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद उन्होंने विभिन्न अपराधों के लिए दोषसिद्धि के खिलाफ अपील की थी। उन्होंने अपने ऊपर लगे हुए सभी आरोपों से भी इनकार किया था।