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Sheikh Hasina: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का विपक्षियों को करारा जवाब, कहा- भारत से नहीं लौटी हूं खाली हाथ

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को कहा कि उनकी भारत यात्रा से बांग्लादेश को फायदा हुआ है। वह खाली हाथ नहीं लौटी हैं। कहा कि उनकी यात्रा ने दो मित्र पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में एक नया क्षितिज खोल दिया है।

By Amit SinghEdited By: Updated: Thu, 15 Sep 2022 04:30 AM (IST)
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शेख हसीना ने कहा भारत से खाली हाथ नहीं लौटी हूं

ढाका, एजेंसियां: प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बुधवार को कहा कि उनकी भारत यात्रा से बांग्लादेश को फायदा हुआ है। वह खाली हाथ नहीं लौटी हैं। कहा कि उनकी यात्रा ने दो मित्र पड़ोसी देशों के बीच संबंधों में एक नया क्षितिज खोल दिया है। उनकी यात्रा के दौरान भारत और बांग्लादेश ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

प्रधानमंत्री शेख हसीना की टिप्पणी तब आई जब मुख्य विपक्ष बीएनपी के नेताओं ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश को उनकी भारत यात्रा से कुछ नहीं मिला, जबकि इसके महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा कि हसीना भारत से समझौते में असमर्थ हैं। शेख हसीना ने कुशियारा नदी को लेकर सहमति पत्र को बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और हरित अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सहयोग पर भी समझौते किए हैं।

प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि सीमा पार कुशियारा नदी को लेकर समझौता ज्ञापन उनके दौरे की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है। क्योंकि इससे बांग्लादेश के पूर्वोत्तर सिलहट क्षेत्र में बाढ़ से 5,820,000 हेक्टेयर भूमि सुरक्षित रहने की उम्मीद थी। उन्होंने कहा कि समझौता ज्ञापन के अनुसार, बांग्लादेश को सूरमा-कुशियारा परियोजना के तहत कुशियारा नदी से 153 क्यूसेक पानी मिलेगा और इसके परिणामस्वरूप, रहीमपुर लिंक नहर के माध्यम से 5,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

बता दें, बांग्लादेश और भारत ने साल 1996 में हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग सरकार के दौरान गंगा संधि पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि दोनों देश पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और हरित अर्थव्यवस्था, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों के बीच संचार के क्षेत्र में सहयोग पर एक समझौते पर पहुंचे हैं। हसीना ने कहा कि नई दिल्ली ढाका को पहले से सूचित किए बिना बांग्लादेश को चीनी, प्याज, लहसुन और अदरक जैसे उत्पादों के निर्यात पर रोक नहीं लगाने के लिए सहमत हुआ है ताकि बांग्लादेश उन आवश्यक चीजों के लिए वैकल्पिक स्रोत ढूंढ सके।