Bangladesh Protest: बांग्लादेश से भागने से ठीक पहले शेख हसीना के घर में क्या-क्या हुआ?
Bangladesh Protest एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें बताया गया है कि आखिर क्यों बांग्लादेश की पीएम को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और क्यों वह देश छोड़ने पर मजबूर हुईं। इसके अलावा इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि देश से भागने से पहले उनके आवास पर क्या-क्या हुआ जिससे वह मजबूर होके दबे पांव अपने वतन को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर भारत में शरण ले रखी हैं। देश को छोड़ने से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। पीएम पद से इस्तीफा देना शेख हसीना का खुद का निर्णय नहीं था। प्रदर्शनकारियों के बढ़ते उत्पात को देखते हुए जब सुरक्षाबलों ने हाथ खड़े कर दिए तब मजबूरन शेख हसीना के सामने पीएम पद से इस्तीफा देना और देश को छोड़कर भागना ही एक आखिरी ऑप्शन बचा था।
प्रोथोम अलो समाचार पत्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा नहीं देना चाहती थीं और चाहती थीं कि सुरक्षा बल देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई तेज करें और प्रदर्शनकारियों पर कड़ी कार्रवाई करें। शेख हसीना का यह ख्वाब तब टूट गया जब देश के सुरक्षा प्रमुखों ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों को बलपूर्वक नहीं रोका जा सकता।इस रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में उस दिन क्या-क्या हुआ। आखिर लास्ट मोमेंट पर ऐसा क्या हुआ कि शेख हसीना को सैन्य विमान से दबे पांव निकलना पड़ा? शेख हसीना के देश छोड़ते ही तुरंत बाद आखिर कैसे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने वहां धावा बोल दिया और उत्पात मचाना शुरू कर दिया? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब?
शेख हसीना की सुरक्षा प्रमुखों के साथ बैठक में हुई नोकझोंक
प्रोथोम एलो की रिपोर्ट के अनुसार, शेख हसीना ने उस दिन सुबह-सुबह सुरक्षा प्रतिष्ठान और पुलिस बल के शीर्ष अधिकारियों को अपने आवास पर बुलाया। प्रदर्शन में मौतों की संख्या बढ़ रही थी और इधर उनके कुछ सलाहकार उनसे सेना को सत्ता हस्तांतरित करने के लिए बात करने की कोशिश में लगे हुए थे।लेकिन 76 वर्षीय पांच बार प्रधानमंत्री रह चुकीं शेख हसीना अपनी बातों पर अड़ी रहीं। उन्होंने सुरक्षाबलों से पहले से लागू कर्फ्यू को और मजबूत करने का ऑर्डर दिया। हालांकि, सड़कों पर स्थिति तेजी से बदल रही थी। कर्फ्यू के बावजूद, प्रदर्शनकारी ढाका में विभिन्न स्थानों पर इकट्ठा होने लगे थे।
सुरक्षा अधिकारियों के साथ अपनी बैठक में उन्होंने सवाल उठाया कि वे विरोध प्रदर्शनों को रोकने में क्यों सक्षम नहीं थे। उन्होंने पुलिस वाहनों पर चढ़े प्रदर्शनकारियों के दृश्यों की ओर इशारा किया और पूछा कि सुरक्षा बल उन पर और सख्ती क्यों नहीं कर रही है? उन्होंने यहां तक कह डाला कि उन्हें इन पदों पर इसलिए पदोन्नत किया गया क्योंकि उन्हें उन पर भरोसा था।