UN: संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर ध्यान आकर्षित करने में पाकिस्तान रहा विफल, बिलावल भुट्टो ने भी किया स्वीकार
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने स्वीकार किया कि इस्लामाबाद कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे के केंद्र में लाने में असमर्थ रहा है और भारत की कूटनीति उसके प्रयासों को विफल करने में सक्षम है।
By Jagran NewsEdited By: Versha SinghUpdated: Sat, 11 Mar 2023 10:25 AM (IST)
संयुक्त राष्ट्र, एजेंसी। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने महिलाओं, शांति और सुरक्षा पर सुरक्षा परिषद की बहस में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया था। जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए करारा जवाब दिया था।
भारत की कूटनीति ने पाक के प्रयासों को किया विफल
वहीं, अब पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने स्वीकार किया है कि इस्लामाबाद कश्मीर को संयुक्त राष्ट्र (UN) के एजेंडे के केंद्र में लाने में असमर्थ रहा है और भारत की कूटनीति उसके प्रयासों को विफल करने में सक्षम है।
उन्होंने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संयुक्त राष्ट्र (UN) में कश्मीर (Kashmir Issue) को एजेंडे के केंद्र में लाने के लिए हमें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
पाकिस्थान UN में खड़ा रहा अकेला
भुट्टो ने कहा कि नई दिल्ली ने कश्मीर को बंद कर एक अलग तरह के आभासी माहौल को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में लगभग अकेला खड़ा रहा है और हमने महिलाओं की स्थिति के बारे में हो या रूस के आक्रमण के बारे में हर बार कश्मीर का मुद्दा उठाया है।
भुट्टो के मुताबिक पाकिस्तान के अलावा, पिछले साल की उच्च स्तरीय महासभा की बैठक में कश्मीर का उल्लेख करने वाले 193 सदस्यीय देशों में तुर्की एकमात्र अन्य देश था, लेकिन वहां भी राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने भारत की कोई भी आलोचना के बिना कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कश्मीर का मुद्दा 75 सालों बाद भी बना हुआ है। इस दौरान उन्होंने स्थायी समाधान की उम्मीद जताई।
पुलवामा हमले के बाद से पाक के साथ रिश्ते तनावपूर्ण
बता दें कि फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में भारत द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमले किए गए थे। इस हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध गंभीर रूप से तनावपूर्ण हो गए हैं। भारत द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू और कश्मीर की विशेष शक्तियां वापस लेने और तत्कालीन राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद संबंध और बिगड़ गए हैं।