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Chagos Islands: मॉरीशस को मिला चागोस द्वीप, ब्रिटेन के साथ चल रहा आधी सदी का विवाद खत्म; भारत की रही बड़ी भूमिका

हिंद महासागर में भारत की समुद्री सीमा से महज 1700 किलोमीटर दूर चागोस आर्किपेलागो द्वीप समूह अब मारीशस के संप्रभु भौगोलिक खंड का हिस्सा होगा। वैश्विक मंच पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व के लिहाज से चागोस को रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण मान जाता है। तीन अक्टूबर 2024 को मारीशस को इसे हस्तांतरित करने को लेकर ब्रिटेन और मारीशस में समझौता हो गया।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 04 Oct 2024 05:45 AM (IST)
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ब्रिटेन के साथ चल रहा आधी सदी का विवाद खत्म; भारत की रही बड़ी भूमिका
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिंद महासागर में भारत की समुद्री सीमा से महज 1,700 किलोमीटर दूर चागोस आर्किपेलागो द्वीप समूह अब मारीशस के संप्रभु भौगोलिक खंड का हिस्सा होगा। वैश्विक मंच पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के बढ़ते महत्व के लिहाज से चागोस को रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण मान जाता है।

तीन अक्टूबर, 2024 को मारीशस को इसे हस्तांतरित करने को लेकर ब्रिटेन और मारीशस में समझौता हो गया। इससे ही जुड़े डिएगो गार्सिया द्वीप को लेकर एक और समझौता ब्रिटेन, अमेरिका और मारीशस के बीच हुआ है। इसके मुताबिक यहां स्थित ब्रिटेन-अमेरिकी सैन्य अड्डा अगले 99 वर्षों तक बना रहेगा।

हमने हमेशा से मारीशस का समर्थन किया- भारत

चागोस आर्किपेलागो पर कब्जे को लेकर पिछले 50 वर्षों से चले आ रहे विवाद के समाधान का भारत ने स्वागत किया है। इसको लेकर हो रहे विमर्श में भारत ने पर्दे के पीछे काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चागोस आर्किपेलागो और डिएगो गार्सिया पर मारीशस की संप्रभुता को लेकर हुए समझौते का हम स्वागत करते हैं। इस बारे में हमने हमेशा से मारीशस का समर्थन किया है।

बेहद पुराने इस विवाद का समाधान दो वर्षों के विमर्श के बाद हुआ है। हमने उपनिवेशवाद के मुद्दे पर अपने विचारों की वजह से मारीशस को सैद्धांतिक समर्थन दिया है।मारीशस और भारत के बीच इस बारे में लगातार विमर्श भी होता रहा है।

मारीशस वर्ष 1968 में ब्रिटेन से आजाद हुआ लेकिन इस द्वीप समूह को ब्रिटेन ने नहीं सौपा था। वजह डिएगो गार्सिया का सैन्य अड्डा बताया जाता है। नए वैश्विक परिवेश में इसका रणनीतिक महत्व फिर से सामने आ गया है। ऐसे में भारत की मध्यस्थता से सभी पक्षों के बीच समझौता संभव हुआ है।

यह द्वीप समूह मारीशस की मुख्य भूमि से 2200 किलोमीटर दूर

विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि हमने पर्दे के पीछे हमेशा इस समझौते को लेकर अपनी भूमिका निभाई है। हमने दोनों पक्षों को खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित किया है। इससे हिंद महासागर में स्थायी सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। यह द्वीप समूह मारीशस की मुख्य भूमि से 2200 किलोमीटर दूर है, जबकि भारतीय सीमा यहां से 1700 किलोमीटर की दूरी पर है। इससे समझा जा सकता है कि इसकी अहमियत भारत के लिए कितनी है।

भारत में ब्रिटेन की उच्चायुक्त लिंडी कैमरोन ने कहा है कि यह समझौता ब्रिटेन व भारत के बीच हिंद महासागर में लगातार गहरे हो रहे संबंधों को बताता है। इससे वैश्विक सुरक्षा मजबूत होगी और समूचे ¨हद प्रशांत क्षेत्र में शांति व स्थिरता के लिए खतरा पैदा करने वाले दूर रहेंगे।