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चीन ने अफगानिस्तान में नियुक्त किया राजदूत, तालिबान के शासन में ऐसा करने वाला पहला देश

चीन ने बुधवार को अफगानिस्तान में अपना नया राजदूत नियुक्त कर दिया। चीन विश्व का पहला देश है जिसने काबुल में तालिबान के दो वर्ष के शासनकाल में राजदूत नियुक्त कर अफगानिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों का स्तर बढ़ाया है। चीन के इस कदम पर तालिबान ने जहां खुशी जताई है और अन्य देशों से अफगानिस्तान के साथ ऐसे ही गर्मजोशी वाले संबंध कायम करने का अनुरोध किया है।

By AgencyEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Wed, 13 Sep 2023 10:52 PM (IST)
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तालिबान सरकार की ओर से आयोजित समारोह में चीनी राजदूत के दस्तावेज स्वीकार किए गए-
काबुल, रायटर। चीन ने बुधवार को अफगानिस्तान में अपना नया राजदूत नियुक्त कर दिया। चीन विश्व का पहला देश है जिसने काबुल में तालिबान के दो वर्ष के शासनकाल में राजदूत नियुक्त कर अफगानिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों का स्तर बढ़ाया है। वैसे चीन सहित कई देशों के दूतावास काबुल में पहले से कार्य कर रहे हैं।

चीन के इस कदम पर तालिबान ने जहां खुशी जताई है और अन्य देशों से अफगानिस्तान के साथ ऐसे ही गर्मजोशी वाले संबंध कायम करने का अनुरोध किया है, वहीं चीन ने झिझकते हुए राजदूत नियुक्त करने के अपने कदम पर सफाई दी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, राजदूत पद पर यह सामान्य नियुक्ति है। इससे अफगानिस्तान के साथ बातचीत और सहयोग में मदद मिलेगी।

तालिबान ने समारोह की तस्‍वीरें भी जारी कीं

बुधवार को झाओ जिंग ने प्रेसिडेंट पैलेस पहुंचकर तालिबान सरकार के कार्यकारी प्रधानमंत्री मुहम्मद हसन अखुंद को राजदूत पद पर अपनी नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत किए। तालिबान सरकार की ओर से आयोजित समारोह में चीनी राजदूत के दस्तावेज स्वीकार किए गए। इस मौके पर अफगानिस्तान के कार्यकारी विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भी मौजूद थे। यह जानकारी तालिबान सरकार के उप प्रवक्ता बिलाल करीमी ने दी है। तालिबान ने समारोह के फोटो भी जारी किए हैं।

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बीते अगस्‍त पूरा हुआ था पूर्व राजदूत वांग का कार्यकाल

अफगानिस्तान में चीन के पूर्व राजदूत वांग यू 2019 से काबुल में कार्य कर रहे थे और बीते अगस्त में ही उनका कार्यकाल पूरा हुआ था। पाकिस्तान और यूरोपीय यूनियन ने भी तालिबान के शासनकाल में काबुल स्थित अपने दूतावासों का नेतृत्व करने के लिए वरिष्ठ राजनयिक भेजे हैं लेकिन उन्हें राजदूत का पद न देकर चार्ज द अफेयर्स का ओहदा दिया है।

चार्ज द अफेयर्स दूतावास का शीर्ष पदाधिकारी नहीं होता है और उसे अपनी नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज संबंधित देश की सरकार को प्रस्तुत नहीं करने होते हैं। तालिबान ने 15 अगस्त, 2021 को अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सैनिकों की सेना के काबुल छोड़ने के बाद अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा किया था। उस समय तक अफगानिस्तान में अमेरिका के समर्थन वाली अशरफ गनी की सरकार थी।

अफगान विद्यार्थियों की वीजा और छात्रवृत्ति की मांग

वीजा अवधि खत्म हो जाने के बावजूद भारत में रह रहे सैकड़ों अफगान छात्र-छात्राओं ने अपनी आवासन अवधि बढ़ाए जाने और छात्रवृत्ति दिए जाने की मांग की है। बुधवार को नई दिल्ली में इन छात्रों ने प्रदर्शन कर भारत सरकार से वीजा अवधि बढ़ाए जाने की मांग की जिससे वे भारत में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें। बीते वर्षों में भारत सरकार अफगानिस्तान सहित कई देशों के हजारों विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति देती थी। लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान सरकार काबिज होने के बाद अफगान छात्रों को छात्रवृत्ति मिलने में बाधा आ गई। इसका नतीजा यह हुआ कि अफगान विद्यार्थियों पढ़ाई बाधित हो गई है।

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