श्रीलंका में अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुटा चीन, कूटनीति अपनाकर श्रीलंकाई मीडिया को प्रभावित करने की कोशिश
चीन इंटरनेट मीडिया पर आक्रामक कूटनीति अपनाकर श्रीलंकाई मीडिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। श्रीलंका को गंभीर आर्थिक संकट में डालने के बाद अब वह श्रीलंकाई मीडिया के द्वारा वहां के लोगों के दिमाग में अपनी अच्छी छवि बनाने के प्रयास में जुटा है।
By Amit SinghEdited By: Updated: Sun, 11 Sep 2022 04:30 AM (IST)
कोलंबो, एजेंसियां: चीन इंटरनेट मीडिया पर आक्रामक कूटनीति अपनाकर श्रीलंकाई मीडिया को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। श्रीलंका को गंभीर आर्थिक संकट में डालने के बाद अब वह श्रीलंकाई मीडिया के द्वारा वहां के लोगों के दिमाग में अपनी अच्छी छवि बनाने के प्रयास में जुटा है। बीजिंग्स ग्लोबल मीडिया इन्फ्लुएंस: आथोरिटेरियन एक्सपेंशन एंड द पावर आफ डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस शीर्षक से एक नई रिपोर्ट में फ्रीडम हाउस ने कहा कि 2019-21 की कवरेज अवधि के दौरान श्रीलंकाई मीडिया पर चीनी प्रभाव स्पष्ट तौर पर देखा गया है।
फ्रीडम हाउस एक गैर-लाभकारी संगठन है जो मुख्य रूप से यूएसएआइडी और यूएस स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा वित्त पोषित है। उसके अनुसार बीजिंग समर्थक इंफ्लूएंसर्स ने श्रीलंकाई इंटरनेट मीडिया में अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। श्रीलंका के सरकारी अखबार डेली न्यूज समेत तमाम मीडिया व कुछ एलीट क्लास द्वारा संचालित सांस्कृतिक संगठन चीन के पक्ष में सामग्री देकर उसकी साफ छवि लोगों के दिलोदिमाग में पेश कर रहे हैं। यही नहीं, चीन ने श्रीलंका में बड़े पैमाने पर इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर फर्जी अकाउंट बना डाले हैं जोकि चीन विरोधी कंटेंट देख स्वयं को श्रीलंकाई नागरिक बताकर उसका जमकर विरोध करते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, चीन की ऋण जाल कूटनीति ने श्रीलंका सहित कई दक्षिण एशियाई देशों के मौलिक और मानवाधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन - चाइना डेट ट्रैप में बोलते हुए, दुनिया भर के कई प्रमुख सदस्यों ने चीनी ऋण जाल पर चिंता व्यक्त की, जिसे कई दक्षिण एशियाई देशों में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजनाओं के माध्यम से खर्च किया जा रहा है।
स्कूली बच्चों की पाठ्यपुस्तक छापने में मदद करेगा भारत
आइएएनएस के अनुसार आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को साल 2023 में स्कूली बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें छापने में भारत मदद करेगा। श्रीलंका को भारत से ऋण सहायता मिलेगी। शिक्षा मंत्री सुशील प्रेमजानाथ ने कहा कि कागज और स्याही सहित कच्चे माल के आयात के लिए कदम उठाए गए हैं। अगले मार्च से शुरू होने वाले नए सत्र के लिए पाठ्य पुस्तकों की छपाई जनवरी तक पूरी होनी है।