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Climate Change: लाखों लोग भूखे मरने को मजबूर होंगे; शोध में 2050 तक गर्मी से पांच गुना ज्यादा लोगों की मौत का अनुमान

ग्लोबल वार्मिंग मानव सभ्यता पर मंडराने वाले सबसे घातक खतरों में से एक है। वक्त रहते मानव नही चेता को परिणाम गंभीर हो सकते हैं। एक शोध में सामने आया है कि साल 2050 तक गर्मी से लगभग पांच गुना अधिक लोगों की मौत होगी। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में अधिक सूखा पड़ने से लाखों लोगों के भूखे मरने का खतरा पैदा हो जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Wed, 15 Nov 2023 07:54 AM (IST)
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सूखा पड़ने से लाखों लोगों के भूखे मरने का खतरा पैदा होगा (प्रतीकात्मक तस्वीर)
एजेंसी, पेरिस। ग्लोबल वार्मिंग मानव सभ्यता पर मंडराने वाले सबसे घातक खतरों में से एक है। वक्त रहते मानव नही चेता को परिणाम गंभीर हो सकते हैं। एक शोध में सामने आया है कि साल 2050 तक गर्मी से लगभग पांच गुना अधिक लोगों की मौत होगी।

विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने बुधवार को चेतावनी दी कि आने वाले दशकों में तेज गर्मी की वजह से लगभग पांच गुना अधिक लोगों की मौत होने की संभावना है। विशेषज्ञों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई के बिना मानवता गंभीर खतरे में है।

जीवाश्म ईंधन का बढ़ता इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए खतरा

प्रमुख शोधकर्ताओं और संस्थानों द्वारा किए गए एक प्रमुख वार्षिक शोध द लैंसेट काउंटडाउन के मुताबिक, तेज गर्मी उन कई तरीकों में से एक है, जिनसे दुनिया में जीवाश्म ईंधन का अभी भी बढ़ता इस्तेमाल लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा है।

सूखा पड़ने से लाखों लोगों के भूखे मरने का खतरा पैदा होगा

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में अधिक सूखा पड़ने से लाखों लोगों के भूखे मरने का खतरा पैदा हो जाएगा, मच्छरों की तादात पहले से कहीं ज्यादा हो जाएगी, जो अपने साथ संक्रामक रोग लाएंगे। इस सबसे निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवाएं संघर्ष करेंगी।

यूरोप में अक्टूबर रिकॉर्ड पर सबसे गर्म महीना

दरअसल, यह शोध ऐसे समय में आया है जब पिछले हफ्ते ही यूरोप के जलवायु मॉनिटर ने घोषणा की थी कि पिछला महीना यानी अक्टूबर रिकॉर्ड पर सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया है। लैंसेट काउंटडाउन की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक कार्रवाई की बढ़ती मांग के बावजूद, ऊर्जा से संबंधित कार्बन उत्सर्जन पिछले साल नई ऊंचाई पर पहुंच गया।

65 वर्ष से अधिक मरने वालों की संख्या 85 प्रतिशत बढ़ी

लैंसेट काउंटडाउन अध्ययन ने अपने शोध में बताया है कि पिछले साल दुनिया भर में लोगों को औसतन 86 दिनों तक जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाले तापमान का सामना करना पड़ा। इसमें कहा गया है कि 1991-2000 से 2013-2022 तक गर्मी से मरने वाले 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 85 प्रतिशत बढ़ गई।

अभी यह शुरुआती लक्षण हो सकते हैं- मरीना

लैंसेट काउंटडाउन की कार्यकारी निदेशक मरीना रोमानेलो ने मीडिया से कहा, "हालांकि ये प्रभाव जो हम आज देख रहे हैं, वे एक बहुत ही खतरनाक भविष्य का शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।"

शोध में किए गए अनुमान के मुताबिक, 2050 तक लगभग 520 मिलियन से ज्यादा लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करेंगे।

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