Move to Jagran APP

COP-27: पर्यावरण सम्मेलन में विकासशील देशों की मदद पर होगी चर्चा, भारत ने की मुद्दे को उठाने की तैयारी

पहली बार इस मामले को मुख्य मुद्दों की कार्यसूची में शामिल किया गया है। सीओपी 27 में विकासशील देशों को दी जाने वाली सहायता पर चर्चा की जाएगी। भारत इस मुद्दे को जोर शोर से उठाने की कर चुका तैयारी।

By Jagran NewsEdited By: Mahen KhannaUpdated: Mon, 07 Nov 2022 05:19 AM (IST)
Hero Image
सीओपी 27 में विकासशील देशों को दी जाने वाली सहायता पर चर्चा होगी।
शर्म अल-शेख, रायटर। संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले आयोजित पर्यावरण सम्मेलन (सीओपी 27) में विकासशील देशों को दी जाने वाली सहायता पर चर्चा पहली बार मुख्य मुद्दों वाली कार्यसूची में शामिल की गई है। विकासशील देशों की ओर से भारत इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है। इस सम्मेलन में बताया जाएगा कि विकसित देशों द्वारा की गई पर्यावरण की अनदेखी का मूल्य पूरी दुनिया से समान रूप से न वसूला जाए। पेरिस समझौते के प्रविधान के अनुसार विकसित देश प्रतिवर्ष 100 अरब डालर का आर्थिक अनुदान विकासशील देशों को दें।

गरीब देशों की मदद के मुद्दे पर चर्चा से भाग रहे संपन्न देश 

उल्लेखनीय है कि पिछले एक दशक से संपन्न देश गरीब देशों की मदद के मुद्दे पर आधिकारिक चर्चा से बच रहे थे। मिस्त्र में लगभग दो सप्ताह (6-18 नवंबर) तक चलने वाले पर्यावरण सम्मेलन की शुरुआत करते हुए सीओपी 27 के अध्यक्ष सामेह शौक्री ने कहा, पर्यावरण सुधार के लिए धन की व्यवस्था पर इस बार औपचारिक चर्चा होगी और उसके लिए ठोस निर्णय लिया जाएगा। इस सम्मेलन में 198 देशों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले कोरोना संक्रमण के साए में 2021 में ग्लास्गो में हुए सीओपी 26 में संपन्न देशों ने विकासशील देशों की मदद के लिए स्थायी व्यवस्था बनाने के प्रस्ताव पर चर्चा पर रोक लगा दी थी। अब पर्यावरण को हो रहे लाभ, हानि, उसके कारणों और निदान पर विस्तार से चर्चा होगी। शौक्री ने कहा, चर्चा का निष्कर्ष क्या रहता है यह भविष्य बताएगा। लेकिन चर्चा उस मुकाम तक पहुंचनी चाहिए कि परिणाम 2024 तक लागू हो जाए।

बड़ी जिम्मेदारी लेने से बच रहे संपन्न देश

बता दें कि यह मुद्दा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि कोरोना संक्रमण के बाद यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। अमेरिका सहित सभी संपन्न देश युद्ध में यूक्रेन की हर तरह से मदद भी कर रहे हैं। इसके चलते वे अन्य बड़ी जिम्मेदारी लेने से बचने की कोशिश कर रहे हैं। जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबाक ने कहा कि वैश्विक समस्याओं के प्रति संपन्न देशों की ज्यादा जिम्मेदारी है। जर्मनी इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए तैयार है। जर्मनी ने बांग्लादेश और घाना में पर्यावरणीय खतरों से बचाव के लिए व्यवस्था विकसित करने की इच्छा जताई है।

मोदी का 'लाइफ' विचार सुधारों के लिए प्रेरित करने वाला

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि भारत का मानना है कि पर्यावरण में सुधार की शुरुआत व्यक्तिगत स्तर से होनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लाइफ विचार इसी को प्रेरित करने वाला है। यह व्यक्ति को पर्यावरण सुधार के साधारण तरीके बताता है। मोदी के लाइफ का मतलब लाइफस्टाइल फार इन्वायरमेंट है। यह व्यक्ति को प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल प्रति जागरूक करता है, साथ ही व्यर्थ पदार्थों के उपयोग की सोच पैदा करता है। पर्यावरण मंत्री ने यह बात सम्मेलन स्थल पर भारत के पैवेलियन का उद्घाटन करते हुए कही। इस पैवेलियन में पर्यावरण सुधार से संबंधित भारत के कार्यों को प्रदर्शित किया गया है। यादव मिस्त्र के शर्म अल-शेख में हो रहे अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन में भारतीय दल का नेतृत्व कर रहे हैं।

सबसे ज्यादा गर्म रहे बीते आठ वर्ष

वायुमंडल के बढ़ रहे तापमान का असर है कि 1993 के बाद हिम शिखरों के पिघलने की रफ्तार बढ़ी है और समुद्र के जलस्तर में दो गुनी रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि समुद्र के किनारे बसे शहरों की जमीन कम हो रही है और पलायन तेज हो रहा है। तापमान बढ़ने के कारण मौसम भी बदल रहा है और प्राकृतिक आपदाएं भी अपना असर दिखा रही हैं। यह बात विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) की रिपोर्ट में कही गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 के बाद के करीब आठ वर्षों में तापमान बढ़ने का रुख बरकरार रहा है। ये अभी तक आठ सबसे ज्यादा गर्म वर्ष रहे हैं। कोरोना काल में गतिविधियां थमी रहने के बावजूद 2020 में समुद्री जलस्तर ने बढ़ोतरी का नया रिकार्ड कायम किया है। इस साल समुद्र का जलस्तर करीब दस मिलीमीटर ऊंचा उठा है। सन 1850 से 2022 तक के वर्षों में चालू वर्ष पांचवां सबसे गर्म वर्ष रहा।