कोविड-19 को वर्ल्ड हैल्थ इमरजेंसी घोषित किए छह माह पूरे, आज 1.71 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित
कोविड-19 को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक स्वास्थ्य आपदा घोषित किए हुए आज पूरे छह माह हो चुके हैं। इस दौरान दुनिया में इसके मामले 1 करोड 71 लाख से भी पार हो चुके हैं।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 30 Jul 2020 04:39 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जानलेवा कोरोना वायरस (कोविड-19) को वैश्विक स्वास्थ्य आपदा घोषित किए हुए आज छह माह पूरे हो गए हैं। यूएन स्वास्थ्य एजेंसी विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने 30 जनवरी को कोविड-19 को वैश्विक स्वास्थ्य आपदा घोषित किया था। उस वक्त चीन के बाहर इसके 100 से भी कम मामले सामने आए थे और उस वक्त तक इसकी वजह से किसी की जान नहीं गई थी।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह छठी बार है जब अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामकों के तहत किसी बीमारी को वैश्विक स्वास्थ्य आपदा घोषित की गया है। संगठन के प्रमुख ने कहा है कि महामारी का प्रसार अब भी बड़ी तेजी से हो रहा है। उनके मुताबिक बीते छह सप्ताह के अंदर ही कुल मामलों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। ऐसे मं वैश्विक कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए कुछ मुश्किल फैसले लेने होंगे जिससे लोगों की जान बचाई जा सके।
डब्ल्यूएचओ ने गुरुवार को छह माह पूरे होने के मौके पर इसके मौजूदा हालातों पर चर्चा के लिए अंतरराष्ट्रीय आपात समिति की बैठक भी बुलाई है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोविड-19 दुनिया के सामने आने वाली अब तक की सबसे गंभीर स्वास्थ्य आपदा है। छह माह के बाद भी अनेक देशों में ये तेजी से फैल रही है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अब तक इसकी चपेट में पूरी दुनिया के 17,113,606 लोग आ चुके हैं जबकि इस महामारी से अब तक 667,579लोगों की मौत हो चुकी है।
WHO प्रमुख का कहना है कि कोविड-19 की वजह से दुनिया पहले के मुकाबले काफी हद तक बदल चुकी है लेकिन बीमारी के प्रति जवाबी कार्रवाई का मूलभूत ढांचा वही पुराना वाला है। इसमें अब तक कोई बदलाव नहीं आया है। इसके अलावा संक्रमण को रोकने और जान बचाने के बुनियादी उपाय भी नहींं बदले हैं। उन्होंने साफ किया कि कोविड-19 पर काबू पाने के लिये कोई एक उपाय पर्याप्त नहीं है। लिहाजा लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इस बीमारी के प्रति लापरवाह नहीं होना है। उन्होंने विश्व के सभी लोगों से अपील की है कि वो एक दूसरे से दूरी बनाकर रखें, इसके अलावा कुछ-कुछ देर में हाथ धोने, भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जाने और घर से बाहर निकलते समय मुंह को कवर करने जैसी बातों का विशेष ध्यान रखें।
दो दिन पहले दिए गए एक संदेश में यूएन एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कंंबोडिया, न्यूजीलैंड, रवांडा, थाईलैंड, वियतनाम समेत प्रशांत और कैरीबियाई देशों का जिक्र करते हुए कहा कि इन देशों ने संक्रमण पर काबू पाने के लिए जो कदम उठाए उसकी बदौलत वो इसका प्रसार रोक सके। उन्होंने कोरोना वायरस के व्यापक स्तर पर संचारण की रोकथाम के लिये कनाडा, चीन, जर्मनी और कोरिया गणराज्य की भी सराहना की है।
यूएन एजेंसी के आपात मामलों के प्रमुख डॉक्टर रायन का कहना है कि इस महामारी को लेकर सभी को बड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। लगभग पूरा ही विश्व महीनों की तालेबंदी से गुजरा है लिहाजा वो दोबारा उस दौर में वापस नहीं जाना चाहता है। पूरी दुनिया पर कोविड-19 की वजह से आर्थिक संकट आ चुका है। उन्होंने कहा कि यदि इसके संक्रमण के फैलाव की गतिशीलता को समझ लिया जाए तो इसकी जवाबी कार्रवाई में भी सफलता मिल सकती है।
एक दिन पहले भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रवक्ता डॉक्टर मार्गरेट हैरिस ने अपनी वर्चुअल प्रेस कान्फ्रेन्स के दौरान इस बात की भी आशंका जताई थी कि बदलते मौसम से इस वायरस के संक्रमण और इसके फैलाव पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। उनका कहना था कि दुनिया में लोगोंं की धारणा है कि मौसम बदलने के साथ इसमें भी बदलाव आएगा, लेकिन ये गलत है। उनके मुताबिक जहां पर बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो रहे हैं वहां पर संक्रमण अधिक तेजी से फैल रहा है। उन्होंने कहा कि लोग इस तरह की जगहों पर बचाव के उपाय नहीं अपना कर लापरवाही बरत रहे हैं। इसकी वजह से भी कई देशों में लगातार मामले बढ़ रहे हैं।
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