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US vs China: क्या चीन के प्रति नरम पड़ा बाइडन प्रशासन? अमेरिकी विदेश मंत्री के इस संदेश के क्‍या हैं मायने

US vs China एक अक्‍टूबर को चीन का राष्‍ट्रीय दिवस था और इस मौके पर अमेरिका ने बीजिंग को एक खास संदेश भेजा है। यह संदेश ऐसे समय में आया जब चीन और अमेरिका के बीच नैंसी के ताइवान दौरे के बाद तनाव चरम पर है।

By Ramesh MishraEdited By: Updated: Mon, 03 Oct 2022 06:21 PM (IST)
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US vs China: क्या शी चिनफ‍िंग के प्रति नरम पड़ा बाइडन प्रशासन। एजेंसी।
नई दिल्‍ली, जेएनएन। US vs China: अमेरिकी विदेश मंत्री के एक संदेश से चीन और अमेरिका के संबंध सुर्खियों में है। अमेरिकी कांग्रेस की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की यात्रा के बाद दोनों देशों के संबंध काफी तल्‍ख हो गए थे। ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच जंग जैसे हालात थे। एक अक्‍टूबर को अमेरिकी विदेश मंत्री के एक संदेश से यह कयास लगाया जाने लगा कि अमेरिका चीन के प्रति नरम पड़ गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री के इस संदेश के क्‍या मायने हैं। क्‍या अमेरिका और चीन के संबंधों में निकटता बढ़ेगी।

अमेरिकी विदेश मंत्री का चीन को संदेश

1- विदेश मामले के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि खास बात यह है कि एक अक्‍टूबर को चीन का राष्‍ट्रीय दिवस था और इस मौके पर अमेरिका ने बीजिंग को एक खास संदेश भेजा है। अमेरिका ने चीन से उन क्षेत्रों में आपसी सहयोग की अपील की है, जिन्‍हें बंद कर दिया गया था। यह संदेश ऐसे समय में आया जब चीन और अमेरिका के बीच नैंसी के ताइवान दौरे के बाद तनाव चरम पर है। 

2- प्रो पंत ने कहा कि बाइडन प्रशासन की विदेश नीति अपने पूर्ववर्ती डोनाल्‍ड ट्रंप प्रशासन से भिन्‍न है। यही कारण है कि चीन के साथ तनाव के बावजूद वह अन्‍य क्षेत्रों में संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए इच्‍छुक हैं। प्रो पंत ने कहा कि ट्रंप के कार्यकाल में चीन और अमेरिका के संबंध काफी निचले स्‍तर पर पहुंच गए थे। उस वक्‍त अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने चीन के साथ तल्‍ख रिश्‍तों के लिए ट्रंप प्रशासन की निंदा की थी।

3- प्रो पंत ने कहा कि यह संयोग था कि बाइडन के सत्‍ता में आने के बाद ताइवान को लेकर चीन के साथ तनाव बरकरार रहा। हालांकि, अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव के वक्‍त बाइडन ने चीन के साथ अच्‍छे संबंधों की वकालत की थी। इतना ही नहीं बाइडन ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान उन्‍होंने ट्रंप का चीन के प्रति रवैये की खुलेआम निंदा की थी। बाइडन के सत्‍ता में आने के बाद चीन अपनी ताइवान नीति पर कायम रहा। इसके चलते संबंधों में कोई खास सुधार नहीं हो सका। क्‍वाड और आकस के गठन के बाद अमेरिका और चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। नैंसी की ताइवान यात्रा के बाद दोनों देशों के बीच संबंध सबसे  निचले स्‍तर पर पहुंच गए हैं।

4- अमेरिकी विदेश मंत्री का एक अक्‍टूबर का यह संदेश बाइडन प्रशासन की विदेश नीति को दर्शाता है। बाइडन प्रशासन ने यह संदेश दिया है कि चीन के साथ तमाम विवादों के बीच अमेरिका अन्‍य क्षेत्रों में चीन के साथ सहयोग के लिए तैयार है। अब गेंद चीन के पाले में है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान के साथ भी बाइडन प्रशासन का यही दृष्टिकोण दिखता है। अमेरिका ने एफ-16 को लेकर पाकिस्‍तान के प्र‍ति जो उदारता दिखाई है, उसे इसी कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन को भेजा संदेश

अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने जो संदेश चीन को भेजा वह काफी सधा हुआ था। विदेश मंत्री ने कहा कि जिस तरह से अमेरिका अंतराष्‍ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, हम उसी तरह वैश्विक चुनौतियों जिनमें स्‍वास्‍थ्‍य, जलवायु परिवर्तन, काउंटर-नारकोटिक्‍स और दूसरे आपसी हितों में चीन के साथ आपसी सहयोग का स्‍वागत करते हैं। इसके साथ ही उन्‍होंने चीन की जनता को शांति और खुशियों से भरे साल के लिए शुभकामनाएं दीं।

अमेरिका ने चीन की बढ़ाई मुश्किलें

चीन ने जलवायु परिवर्तन और एंटी नारकोटिक्‍स जैसे मसलों में अमेरिका के साथ आपसी सहयोग बंद करके कई तरह की मुश्किलें पैदा कर दी है। इस मामले में चीन का तर्क है कि उसे अपने मूल हितों और संप्रभुता की रक्षा करने की जरूरत है और इसलिए यह कदम जरूरी था। अमेरिका में चीन के राजदूत किन गांग ने पिछले दिनों न्‍यूजवीक को दिए एक साक्षात्‍कार में कहा था कि अमेरिका में नशे ओपयाड संकट के लिए चीन को दोष नहीं देना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि अमेरिका की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से ऐसा हुआ है।

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