बांग्लादेश में दुर्गा पूजा की रंगत फीकी, भारत और अमेरिका ने कहा- अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो
बुधवार से शुरू हो रही दुर्गा पूजा की रंगत बांग्लादेश में फीकी नजर आ रही है। बांग्लादेश संयुक्त अल्पसंख्यक गठबंधन ने एक रैली आयोजित कर कहा कि पूरे देश में अल्पसंख्यक समुदाय 5 अगस्त से आगजनी बर्बरता लूटपाट जबरन कब्जा हत्या बलात्कार निर्वासन की धमकी और हत्याओं सहित अत्याचार का सामना कर रहा है। सभी पूजा संचालकों से अपील की गई है कि शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन करें।
एएनआई, ढाका। बांग्लादेश में बुधवार से हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा की शुरुआत हो रही है। हालांकि तनाव और अल्पसंख्यकों में फैली चिंता के बीच कड़ी सुरक्षा में 13 अक्टूबर तक चलने वाली दुर्गा पूजा की रंगत फीकी नजर आ रही है और हिंदू समुदाय पर हुए हमलों के विरोध में इस दौरान कोई उत्सव नहीं होगा। पुलिस के अनुसार, देश में 32,666 पंडालों में यह उत्सव आयोजित किया जाएगा और सरकार ने एक अतिरिक्त अवकाश देने की घोषणा की है।
सार्वजनिक अवकाश घोषित
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के उप प्रेस सचिव अबुल कलाम आजाद ने बताया कि दुर्गा पूजा में पारंपरिक रूप से अब तक एक दिन का अवकाश होता था, लेकिन इस बार दो सार्वजनिक अवकाश घोषित किए गए हैं। इन्हें सप्ताहांत में जोड़ा गया है और जिससे कुल मिलाकर चार दिन की छुट्टी मिल जाएगी।
शांतिपूर्ण ढंग से विरोध
पीटीआई के अनुसार बांग्लादेश हिंदू बौद्ध इसाई एकता परिषद के सदस्य रंजन कर्माकर ने कहा कि इस वर्ष हम केवल दुर्गा पूजा मनाएंगे, कोई उत्सव नहीं होगा। यह हिंदू समुदाय की ओर से विरोध प्रदर्शन स्वरूप किया जा रहा है। बांग्लादेश पूजा उत्सव परिषद के प्रमुख बासुदेब धर ने कहा कि समुदाय केवल दुर्गा पूजा पर परंपरा निभाएगा और किसी भी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम या उत्सव से दूरी बरतेगा। सभी पूजा संचालकों से अपील की गई है कि शांतिपूर्ण ढंग से विरोध के बैनर प्रदर्शित करें।अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर अमेरिका चिंतित
अमेरिका ने कहा है कि हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा को लेकर वो अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों को सुरक्षित देखना चाहता है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि पूरी दुनिया की तरह हम बांग्लादेश में भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित देखना चाहते हैं। इसके साथ ही भारत ने भी पड़ोसी देश की सरकार से अपील की है कि वो सुनिश्चित करें कि हिंदू समुदाय के धार्मिक आयोजन शांति से आयोजित हों।