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एर्दोगन ने ऐतिहासिक जीत के बाद तुर्किये के राष्ट्रपति पद की ली शपथ, पाकिस्तान पीएम शहबाज शरीफ भी हुए शामिल

Erdogan took oath as President of Turkey तुर्किये का लंबे समय से नेतृत्व कर रहे रजब तैयब एर्दोआन ने राष्ट्रपति के तौर पर अपने तीसरे कार्यकाल के लिए शनिवार को शपथ ली। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं।

By AgencyEdited By: Babli KumariUpdated: Sun, 04 Jun 2023 08:03 AM (IST)
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एर्दोगन ने ऐतिहासिक जीत के बाद तुर्किये के राष्ट्रपति पद की ली शपथ

अंकारा, एजेंसी। तुर्किये का लंबे समय से नेतृत्व कर रहे रजब तैयब एर्दोआन ने राष्ट्रपति के तौर पर अपने तीसरे कार्यकाल के लिए शनिवार को शपथ ली। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री भी रह चुके हैं।

एर्दोआन (69) पिछले हफ्ते हुए राष्ट्रपति चुनाव में पांच वर्षों के नये कार्यकाल के लिए निर्वाचित हुए। इसके साथ ही, उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सदस्य देश में उनके 20 वर्षों के शासन को और पांच साल की अवधि के लिए बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त हो गया था।

एर्दोआन, प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता में रहने के बाद, 2003 से देश के राष्ट्रपति हैं।

तुर्किये में लाखों की संख्या में रहते हैं शरणार्थी

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में अमेरिका के बाद सर्वाधिक संख्या में सैनिक रखने वाला देश तुर्किये है, जिसकी आबादी 8.5 करोड़ है। तुर्किये में लाखों की संख्या में शरणार्थी शरण लिये हुए हैं। साथ ही, इस देश ने यूक्रेन के अनाज की ढुलाई से संबद्ध समझौते में मध्यस्थता कर वैश्विक खाद्य संकट को टालने में एक बड़ी भूमिका निभाई थी।

एर्दोआन जल्द करेंगे नये मंत्रिमंडल की घोषणा

एर्दोआन ने ‘प्रेसीडेंशियल पैलेस’ परिसर में एक शपथ ग्रहण समारोह से पहले संसद के एक सत्र में राष्ट्रपति पद की शपथ ली। भारी बारिश के बावजूद उनके समर्थक संसद के बाहर उनका इंतजार करते दिखे।

एर्दोआन देर शाम अपने नये मंत्रिमंडल की घोषणा करेंगे, जिससे इससे यह संकेत मिलेगा कि देश में गैर रूढ़िवादी आर्थिक नीतियां जारी रहेंगी, या अधिक पारंपरिक नीतियों की ओर लौटा जाएगा।

नाटो महासचिव जेंस स्टोल्टेन्बर्ग और स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री कार्ल बिल्द सहित दर्जनों विदेशी अतिथि शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए तुर्किये की यात्रा पर हैं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी हुए शामिल 

सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलु के मुताबिक, समारोह में शामिल होने वाले अन्य नेताओं में अजरबैजान के इलहम अलीजेव, वेनेजुएला के निकोलस मादुरो, दक्षिण अफ्रीका के सिरील रामफोसा, पाकिस्तान के शहबाज शरीफ और लीबिया के अब्दुल हामिद दबैबा शामिल हैं।

बताया जाता है कि वे सैन्य गठबंधन में स्वीडन की सदस्यता के प्रति तुर्किये की आपत्तियों को दूर करने के लिए एर्दोआन पर दबाव डालेंगे। नाटो की सदस्यता हासिल करने के लिए सभी सदस्य देशों के अनुमोदन की जरूरत पड़ती है। तुर्किये ने स्वीडन पर कुर्द चरमपंथियों और अन्य आतंकी समूहों के प्रति काफी उदार रुख रखने का आरोप लगाया है।

नाटो चाहता है कि 11-12 जुलाई को लिथुआनिया में होने वाली नाटो की बैठक से पहले स्वीडन को सैन्य गठबंधन का सदस्य बना दिया जाए।

राष्ट्रपति एर्दोआन के सामने है कई चुनौतियां

एर्दोआन के समक्ष कई चुनौतियां हैं, जिनमें एक खस्ताहाल अर्थव्यवस्था, लाखों सीरियाई शरणाथियों को वापस स्वदेश भेजना और फरवरी में 50,000 लोगों की जान लेने वाले विनाशकारी भूकंप के बाद देश के दक्षिणी हिस्से में पुनर्निर्माण कार्य करना शामिल हैं।

तुर्किये अत्यधिक महंगाई का सामना कर रहा है जो बीते महीने घट कर 44 प्रतिशत होने से पहले पिछले साल 88 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गया था। तुर्किये की मुद्रा लीरा का मूल्य इस साल की शुरूआत से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 10 प्रतिशत से अधिक गिर गया है।

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आलोचक, आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के लिए ब्याज दरें घटाने की एर्दोआन की नीति को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।

इस बीच, मीडिया में आई अपुष्ट खबरों के मुताबिक, एर्दोआन की योजना पूर्व वित्त मंत्री एवं उप प्रधानमंत्री मेहमत सिमसेक को फिर से इस पद पर नियुक्त करने की है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकाला जा सके।