जानिए- कुछ वर्षों बाद कहां बंद हो जाएगी पेट्रोल-डीजल कारों की बिक्री और इनका चलना, क्यों लिया ये फैसला
क्लाइमेट चेंज के बढ़ते खतरे को देखते हुए यूरोपीय संघ ने वर्ष 2035 के बाद सदस्य देशों में पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाडि़यों पर रोक लगाने का फैसला लिया है। इसमें कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पाने के लिए इसे जरूरी बताया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Kamal VermaUpdated: Fri, 28 Oct 2022 02:53 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। विश्व में बढ़ते क्लाइमेट चेंज के खतरे को देखते हुए यूरोपीय संघ ने एक ऐतिहासिक फैसला किया है। इस फैसले के तहत वर्ष 2035 तक पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारें बंद कर दी जाएंगी। वर्ष 2035 के बाद ईयू के सदस्य देशोंमें इस तरह की कारों की बिक्री भी नहीं होगी। आपको बता दें कि ईयू में सबसे अधिक कार लग्जमबर्ग हैं। वहीं दूसरे नंबर पर इटली और फिर पौलेंड का नंबर आता है। यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी इस लिस्ट में 8वें नंबर पर है। यहां की करीब सवा 8 करोड़ की आबादी के पास करीब 5 करोड़ कारें हैं। यूरोप या यूरोपीय संघ कार्बन उत्सर्जन के मामले में भी कहीं ऊपर आता है। ईयू का नया फैसला इसको ही देखते हुए लिया गया है। ईयू की तरफ से इसकी जानकारी सोशल मीडिया ट्विटर पर दी गई है।
Co2 उत्सर्जन को कम करने के लिए जरूरी
ईयू के अध्यक्ष चेक गणराज्य का कहना है कि इस विचार पर यूरोपीय संसद और यूरोपीय आयोग में गहन चर्चा हुई थी। इसके बाद ही ये तय किया गया कि वर्ष 2035 तक कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों को पाना है तो कार निर्माता कंपनियों को इसमें पूरी तरह से कटौती करनी ही होगी। इस फैसले के बाद ईयू के 27 देशों में 2035 के बाद पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कार न बिकेगी और न ही चलेगी। बता दें कि ये ईयू के फिट फार 55 पैकेज का हिस्सा है। इसका मकसद वर्ष 2050 तक कार्बन न्यूट्रैलिटी हासिल करना है। गौरतलब है कि यूरोपीय संघ के देश कार्बन उत्सर्जन के उस आंकड़े में कमी को लेकर चल रहे हैं जो वर्ष 1990 में था। यूरोपीय संसद के सदस्य फ्रांस के पास्कल कानफिन जो ईयू के पर्यावरण आयोग के अध्यक्ष भी हैं ने एक ट्वीट किया है। इसमें कहा गया है कि पर्यावरण को बचाने के लिए ये एक ऐतिहासिक फैसला है।
12 फीसद कारों से होता है कार्बन उत्सर्जन
आपको बता दें कि यूरोपीय संघ के देशों में जो कुल कार्बन उत्सर्जन होता है उसमें से करीब 12 फीसद कारों से ही होता है। नए फैसले के बाद ईयू के सदस्य देशों को ऐसे कानून बनाने होंगे जो वर्ष 2035 के बाद पेट्रोल-डीजल की कारों की ब्रिकी पर रोक सकें। यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि फिलहाल ये फैसला कारों और वैन को लेकर ही किया गया है। अन्य वाहनों को लेकर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है। माना जा रहा है कि ईयू सदस्य देशों में जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों की भरमार हो जाएगी। वहीं दूसरी तरफ कार निर्माता कंपनियां इस नए फैसले से नाखुश हैं।
कार निर्माता नाखुश
कारों का सबसे बड़ा निर्माता देश जर्मनी का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों को नजरअंदाज कर ये फैसला लिया गया है। जर्मनी की कार निर्माता कंपनियों के समूह वीडीए ने इसको लापरवाही में लिया गया फैसला बताया है। वीडीएक का कहना है कि इस फैसले को करते समय भविष्य में इलेक्ट्रिक कारों के लिए बैट्री चार्जिंग स्टेशन, इनके निर्माण के लिए जरूरी सुविधाएं, कच्चे माल की आवक समेत कई बातों पर ध्यान नहीं दिया गया है। ईयू ने छोटी कारों के उत्पादन को लेकर कुछ सुविधाएं भी दी हैं।
लाहौर बार एसोसिएशन पहुंचे इमरान खान तो लगे घड़ी चोर के नारे, पूर्व पीएम को उठानी पड़ी शर्मिंदगीPTI Long March: इमरान खान का लान्ग मार्च शहबाज सरकार के लिए बन सकता है मुसीबत, जानें- पीटीआई चीफ ने क्या कहा