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सरकार के आदेश के बाद भी इस देश के शीर्ष अदालत के प्रमुख ने सेवानिवृत्त होने से किया मना, यह है मामला

सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक (Central African Republic) के उच्च नयायालय के प्रमुख ने सेवानिवृत्त होने के सरकारी आदेश को मानने से इंकार कर दिया है। उच्च नयायालय के प्रमुख द्वारा उठाए गए इस कदम से राष्ट्रपति फॉस्टिन-आर्केंज तौडेरा को परेशानी में डाल दिया है।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 20 Oct 2022 06:35 PM (IST)
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सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक के शीर्ष अदालत के प्रमुख ने सेवानिवृत होने के किया मना
बांगुई, रायटर्स। सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक (Central African Republic) के उच्च नयायालय के प्रमुख डेनियल डार्लान (Daniele Darlan) ने सेवानिवृत्त होने के सरकारी आदेश को मानने से इंकार कर दिया है। उच्च नयायालय के प्रमुख द्वारा उठाए गए इस कदम से राष्ट्रपति फॉस्टिन-आर्केंज तौडेरा को परेशानी में डाल दिया है। मालूम हो कि संवैधानिक अदालत ने पिछले माह 65 साल के टौडेरा को अफ्रीका के कुछ हिस्सों में एक प्रवृत्ति के आधार पर तीसरे राष्ट्रपति चुनाव के लिए खड़ा करने वाले एक प्रस्तावित सुधारों के लिए गठित एक आयोग को रद्द कर दिया था।

सेवानिवृत्त करने के लिए जारी हुआ था सर्कुलर

पहले से दो बार के निर्वाचित तौडेरा की सरकार ने इस माह की शुरुआत में एक फरमान जारी किया था, जिसमें 1946 और 1955 के बीच जन्म लेने वाले और 28 उच्च संस्थाओं के अधिकारियों को 31 दिसंबर से सेवानिवृत्त होने के लिए कहा गया था। सरकार द्वारा जारी सूची में 2017 में शीर्ष अदालत के प्रमुख पद पर बनी डेनियल डार्लान, 70 साल के वकील, न्याविद और पूर्व विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का नाम शामिल था।

सरकार के फरमान के खिलाफ लिखा पत्र

शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश ने इस फरमान के संबंध में बुधवार को सरकार को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि संवैधानिक न्यायाधीश सात साल के जनादेश की सेवा करते हैं जिसे अदालत की सहमति के बिना समाप्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ' मेरा जनादेश मेरे शिक्षण करियर के विकास से पूरी तरह से स्वतंत्र है।' हालांकि उनके पत्र के जवाब में सरकार की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया अभी नहीं आई है।

देश में जारी है हिंसा

मालूम हो कि करीब 50 लाख की आबादी वाला सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक देश में कम आबादी होने और हीरे, लकड़ी और सोने की संभावित संपत्ति के बावजूद दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है। साल 2013 के बाद देश में लगातार हिंसा जारी है।

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