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तानाशाह किम ने उड़ाई अमेरिका समेत अन्‍य देशों की नींद, अपने राज में किए 90 से अधिक मिसाइल टेस्‍ट

Hypersonic Missile Test किम जोंग उन हमेशो से ही अमेरिका के सबसे बड़े विरोधियों में गिने जाते रहे हैं। वो लगातार अपने दादा और पिता के ही नक्‍शे कदम पर चल रहे हैं। बुधवार को किए गए हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण के बाद एक बार फिर से वो सुर्खियों में हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 06 Jan 2022 12:54 PM (IST)
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अमेरिका के घुर विरोधी रहे हैं किम जोंग उन
नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। उत्‍तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन लगातार मीडिया की सुर्खियों में रहने वाली विश्‍व की एक शख्सियत हैं। लेकिन इसकी वजह कुछ और है। दरअसल, किम जोंग उन ने जब देश की सत्‍ता संभाली है तब से ही अपने तानाशाही रवैये की राह पर चलते हुए लगातार ऐसे कदम उठाए जिसकी वजह से कोरियाई प्रायद्वीप ही नहीं बल्कि दूसरे देशों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ती रही है। उनके मीडिया की सुर्खियों में बने रहने की सबसे बड़ी वजह भी यही रही है। किम लगातार अमेरिका प्रति अपने तीखे बयानों के लिए जाने जाते हैं।

हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण

हाल ही में उनके मीडिया की सुर्खिया बनने का कारण उत्‍तर कोरिया द्वारा किया गया हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण है, जिसको सफल बताया जा रहा है। इस मिसाइल ने 700 किमी दूर अपने टार्गेट पर सटीक वार किया। इस मिसाइल की गति की बात करें तो ये करीब छह हजार किमी प्रतिघंटे की स्‍पीड से अधिक रही होगी। इसका अर्थ है कि ये दुश्‍मन को संभलने का बेहद कम समय देती है। उत्‍तर कोरिया की तरफ से कहा गया है कि इस मिसाइल ने उनके नए फ्यूल सिस्‍टम पर विश्‍वसनीयता को बढ़ा दिया है। 

अमेरिका और उत्‍तर कोरिया का छत्‍तीस का आंकडा

पूरा विश्‍व इस बात को जानता है कि अमेरिका और उत्‍तर कोरिया में छत्‍तीस का आंकड़ा रहा है। हालांकि अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप दशकों में ऐसे पहले राष्‍ट्रपति बने थे जो किम को एक मंच पर लाने में सफल हुए। हालांकि उनकी इस कोशिश के बाद भी ये एक सच्‍चाई है कि ट्रंप और किम के बीच हुए दो सम्‍मेलनों के बावजूद भी दोनों के बीच कोई समझौता नहीं हो सका। इसके बावजूद ट्रंप ने हार नहीं मानी और लगातार किम को लेकर अपना पक्ष भी रखते रहे। इसकी ही बदौलत ट्रंप पद पर रहते हुए उत्‍तर कोरिया की सीमा में दाखिल होने वाले पहले राष्‍ट्रपति भी बने।

अपने दादा और पिता की राह पर किम

बहरहाल, आपको बता दें कि किम अपने दादा किम इल संग और अपने पिता किम जोंग इल की ही राह पर चल रहे हैं। 1994-2011 तक वो देश के दूसरे सबसे बड़े नेता थे। दिसंबर 2011 में किम जोंग इल के निधन के बाद उन्‍होंने देश की सत्‍ता संभाली थी। इसके बाद से ही वो लगातार प्रतिबंधों के बावजूद उत्‍तर कोरिया परमाणु हथियार संपन्‍न देश बनाने पर तुले हैं। जबकि सच्‍चाई ये है कि उत्‍तर कोरिया आर्थिक रूप से पूरी तरह से बिखर चुका है। भुखमरी और कंगाली के बावजूद तानाशाह किम अपने इस मंसूबे से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। कोरोना महामारी के समय में भी उन्‍होंने इस मंसूबे को किनारे नहीं किया, जबकि देश की आर्थिक दशा बेहद खराब थी।

2016-2018 तक 90 मिसाइल परीक्षण 

यहां पर ये जानना भी काफी दिलचस्‍प है कि किम ने सत्‍ता में आने के बाद फरवरी 2013 में न्‍यूक्लियर बम का भी टेस्‍ट किया था। वर्ष 2016 में जनवरी से लेकर 2018 की शुरुआत तक उत्‍तर कोरिया ने करीब 90 मिसाइल परीक्षण किए थे। उनके पिता और दादा से यदि उनकी तुलना की जाए तो ये परीक्षण करीब तीन गुना अधिक थे। अपने पिता की 100 वर्षगांठ पर किम ने कहा था कि वो दिन लद गए जब उनके देश के दुश्‍मन उन्‍हें परमाणु बम को लेकर ब्‍लैकमेल किया करते थे। वर्ष 2013 में वर्कर्स पार्टी की सेंट्रल कमेटी को संबोधित करते हुए उन्‍होंने देश को नई दिशा देने और न्‍यूक्लियर आर्म्ड फोर्स के गठन की आधारशीला रखने का एलान किया था। किम ने अपने मिसाइल परीक्षण की सफलता से उत्‍साहित होकर यहां तक कहा था कि वो अमेरिका को बर्बाद कर देंगे।