जानें- Israel PM Yair Lapid का कैसा रहा है भारत के प्रति रवैया, 5 बिंदुओं में समझिए पूरी बात
इजरायल के नए पीएम येर लैपिड का कार्यकाल भले ही महज 5 माह का है लेकिन ये है बेहद खास। उनके इस कार्यकाल के बाद देश में चुनाव होने हैं। पीएम के रूप में उनके ऊपर एक बड़ी जिम्मेदारी भी है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Fri, 01 Jul 2022 01:11 PM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। Yair Lapid इजरायल के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में देश की सत्ता संभाल चुके हैं। भले ही उनका इस पद कार्यकाल महज पांच माह का ही है लेकिन उनके लिए ये वक्त काफी अहम होने वाला है। इसकी कुछ खास वजह भी हैं। लेकिन, आगे बढ़ने से पहले आपको येर लैपिड के बारे में एक छोटा सा परिचय देना भी बेहद जरूरी है।
आपको बता दें कि येर लैपिड पहले पत्रकार थे और 2012 में उन्होंने Yair Atid Party के गठन के साथ देश की राजनीति में कदम रखा था। तब से लेकर आज तक वो कई बड़ी जिम्मेदारी बखूबी निभाते आए हैं। आपको जानकर ताज्जुब हो सकता है कि उनके पिता भी पहले पत्रकार थे और फिर बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। उनके पिता देश के कानून मंत्री भी थे। वहीं येर अब तक देश के विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और विपक्ष के नेता का पद भी बखूबी संभाल चुके हैं। जहां तक उनके छोटे कार्यकाल की बात है तो आपको बता दें कि इसकी अहमियत को सिलसिलेवार तरीके से समझना बेहद जरूरी है।
- येर लैपिड के इस छोटे लेकिन अहम कार्यकाल के दौरान ही यूएन जनरल असेंबली का आगाज भी होना है। यूएन महासभा का सत्र विश्व के सभी नेताओं के लिए बेहद खास होता है। ये इसलिए और खास हो जाता है क्योंकि मौजूदा समय में रूस और यूक्रेन की जंग चल रही है। इसके अलावा इस सत्र में येर इजरायल, इस जंग और विश्व के लिए अपनी भूमिका के बारे में बात कर सकते हैं, जो उनके आने वाले राजनीतिक भविष्य की नींव रखने में काफी अहम हो सकता है।
- इसके अलावा इसी छोटे कार्यकाल के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी इजरायल के दौरे पर जाएंगे। आपको बता दें कि इजरायल और अमेरिका काफी करीब हैं और दोनों ही एक दूसरे के बड़े समर्थक भी हैं। ऐसे में इजरायल की छवि आने वाले दिनों में कैसी होगी, इस पर काफी कुछ निर्भर करेगा। मौजूदा समय में रूस और यूक्रेन में जारी जंग के बीच इजरायल के नए पीएम की वास्तविक परीक्षा भी होगी।
- इजरायल और फलस्तीन के बीच वर्षों से जारी तनाव के बीच हमास ने इजरायली सैनिकों को काफी समय से बंधक बना रखा है। इसकी पुष्टि हाल ही में हुई है। ऐसे में येर लैपिड उन जवानों को सुरक्षित वापस लाने की बात पहले ही कह चुके हैं।
- नवंबर में देश में राष्ट्रपति पद के लिए एक बार फिर से चुनाव भी होने हैं। बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से देश के राजनीतिक हालात काफी हद तक अस्थिर रहे हैं। ऐसे में उनकी प्राथमिकता होगी कि वो अपनी एक ऐसी छवि बना सकें जिसमें आगे चुनाव के बाद इस अस्थिरता को खत्म किया जा सके।
- विदेश मंत्री के तौर पर भारत के साथ संबंधों को लेकर येर लैपिड का सकारात्मक रुख रहा है। भारतीय विदेश मंत्री के अलावा उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी के इजरायल दौरे पर भी द्विपक्षीय मुद्दों पर बात की थी और भारत से सहयोग को आगे बढ़ाने पर जोर दिया था। पीएम मोदी का ये दौरा नेतनयाहू के राष्ट्र प्रमुख रहते हुए ही हुआ था। अब जबकि सत्ता के शीर्ष पर खुद येर लैपिड बैठे हैं तो ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि वो इसको कितनी धार देते हैं।