पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने एक साल बाद तोड़ी अपनी चुप्पी, तालिबानी सत्ता के लिए अमेरिका को ठहराया जिम्मेदार
अशरफ गनी ने विशेष रूप से अफगान शांति के लिए पूर्व अमेरिकी दूत जालमे खलीलजाद को दोषी ठहराया। खलीलजाद ने ही दोहा में तालिबान के साथ शांति समझौते किए थे जिससे अफगानिस्तान से अमेरिका की सेना की पूर्ण वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ।
By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Thu, 11 Aug 2022 08:46 PM (IST)
काबुल, एजेंसी। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने एक साल बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि उनके देश में तालिबान के सत्तारूढ़ होने के लिए अमेरिका जिम्मेदार है। डीपीए समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बुधवार को अफगान ब्राडकास्टिंग नेटवर्क (ABN) को दिए अपने पहले टीवी साक्षात्कार में काबुल के राजनेताओं को भी निशाने पर लिया।
पूर्व राष्ट्रपति ने खलीलजाद को भ्रष्ट और अक्षम करार दिया
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार गनी ने विशेष रूप से अफगान शांति के लिए पूर्व अमेरिकी दूत जालमे खलीलजाद को दोषी ठहराया। खलीलजाद ने ही दोहा में तालिबान के साथ शांति समझौते किए थे, जिससे अफगानिस्तान से अमेरिका की सेना की पूर्ण वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने खलीलजाद को भ्रष्ट और अक्षम करार दिया। अफगानिस्तान में 15 अगस्त, 2021 को तालिबान के सत्तारूढ़ होने के बाद गनी संयुक्त अरब अमीरात में निर्वासन में रह रहे हैं।
लाखों डालर नकदी लेकर भागने के गनी पर लगे आरोप गलतसमाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार अफगानिस्तान में तालिबान के सत्तारूढ़ होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके वरिष्ठ सलाहकार देश छोड़कर भाग गए। उन पर आरोप लगे थे कि वे अपने साथ लाखों डालर नकद लेकर देश से भागे। हालांकि इसे लेकर अफगानिस्तान पर अमेरिकी सरकार की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके वरिष्ठ सलाहकारों पर लगे आरोप सच नहीं प्रतीत होते।
गनी के पास अपना पासपोर्ट लेने तक का नहीं था वक्तअफगानिस्तान पुनर्निर्माण के लिए विशेष महानिरीक्षक (SIGAR) की रिपोर्ट में कहा गया है कि संभव है कि गनी खाली हाथ काबुल से भागे हों क्योंकि उन्हें अचानक काबुल छोड़ना पड़ा था। अफगानिस्तान के अधिकारियों में से एक ने एसआइजीएआर को बताया कि गनी के पास अपना पासपोर्ट लेने तक का वक्त नहीं था।यह भी पढ़ें : UK Politics: ब्रिटेन में पीएम पद के दावेदार ऋषि सुनक ने कहा, झूठे वादों के दम पर जीतने के बजाय हारना बेहतर