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हिंद महासागर में क्या कर रहा चीनी जासूसी जहाज? पूर्व श्रीलंकाई सेना प्रमुख सरथ फोंसेका ने जताई चिंता

श्रीलंका के जलक्षेत्र में चीनी निगरानी जहाजों की मौजूदगी पर चिंता बढ़ती जा रही है। श्रीलंका के पूर्व सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सरथ फोंसेका ने भी इस मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि मैं अपने देश के समुद्री क्षेत्र या भूभाग में किसी भी सैन्यकर्मी की मौजूदगी को मंजूरी नहीं देता। हमें भारत की सुरक्षा भावनाओं को प्राथमिकता देनी होगी।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Updated: Wed, 07 Aug 2024 08:01 AM (IST)
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पूर्व श्रीलंकाई सेना प्रमुख सरथ फोंसेका ने जताई चिंता (Image: ANI)
एएनआई, कोलंबो। श्रीलंका के पूर्व सेना प्रमुख फील्ड मार्शल सरथ फोंसेका ने श्रीलंका के जलक्षेत्र में चीनी निगरानी जहाजों की मौजूदगी पर चिंता जताई है। भारत की सुरक्षा भावनाओं को प्राथमिकता देने के महत्व पर जोर देते हुए फोंसेका ने कहा कि वह श्रीलंका के जलक्षेत्र या भूभाग में किसी भी सैन्य उपस्थिति को स्वीकार नहीं करते हैं।  उन्होंने श्रीलंका और भारत के बीच घनिष्ठ संबंधों को मान्यता दी और क्षेत्र में भारतीय सुरक्षा चिंताओं को समझने और उनका समाधान करने पर भी जोर दिया।

भारत-अमेरिका ने व्यक्त की चिंता

फोंसेका ने मंगलवार को ANI से कहा, 'कुछ महीने पहले चीनी निगरानी जहाज के श्रीलंका के जलक्षेत्र में आने को लेकर काफी हो-हल्ला मचा था। भारत को यह पसंद नहीं आया। अमेरिका ने भी अपनी चिंताएं व्यक्त की थीं। मैं अपने देश के समुद्री क्षेत्र या भूभाग में किसी भी सैन्यकर्मी की मौजूदगी को मंजूरी नहीं देता। हमें भारत की सुरक्षा भावनाओं को प्राथमिकता देनी होगी। पड़ोसी होने के नाते भारत के साथ हमारे घनिष्ठ संबंध हैं। हमें क्षेत्र में भारतीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को समझना चाहिए।'

सितंबर में होंगे राष्ट्रपति चुनाव

पूर्व सेना प्रमुख ने चीनी निगरानी जहाजों की उपस्थिति को 'अनुचित' बताया और आश्वासन दिया कि यदि उन्हें इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया तो वे सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। फोंसेका ने सितंबर में होने वाले श्रीलंका चुनाव में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की अपनी घोषणा पर भी बात की। उन्होंने प्रशासनिक मुद्दों, सैनिकों के लिए सुविधाओं की कमी और भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए युद्ध के प्रयासों से निपटने के सरकार के तरीके की आलोचना की।

चीनी जहाजों के प्रवेश पर लगी थी रोक

विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता कपिला फोंसेका के अनुसार, पिछले साल 25 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक कोलंबो के बंदरगाह पर चीनी जहाज को ईंधन भरने के लिए डॉक करने की अनुमति दी गई थी।

उम्मीद थी कि जहाज श्रीलंकाई सरकारी संस्थानों के साथ शोध करेगा, लेकिन फोंसेका ने कहा कि अनुमति केवल ईंधन भरने के लिए दी गई थी और कोई शोध कार्य नहीं किया जाएगा। इसी तरह, इस साल जनवरी में, भारत की चिंताओं के बीच श्रीलंका ने क्षेत्र में चीनी जहाजों के प्रवेश पर एक साल के लिए रोक लगा दी थी।

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