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नेपाल में सेना मुख्यालय से लेकर पीएमओ तक में चीन की दखल, नए नक्शे के पीछे भी हाथ

नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्णचंद्र थापा से लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दफ्तर तक काठमांडू में चीन की राजदूत होउ यांकी की दखल है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 04 Jul 2020 04:57 AM (IST)
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नेपाल में सेना मुख्यालय से लेकर पीएमओ तक में चीन की दखल, नए नक्शे के पीछे भी हाथ
काठमांडू, आइएएनएस। नेपाल के सेना प्रमुख जनरल पूर्णचंद्र थापा से लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दफ्तर तक काठमांडू में चीन की राजदूत होउ यांकी की दखल है। वह हिमालय की गोद में बसे नेपाल के किसी भी क्षेत्र में बेरोकटोक आ-जा सकती हैं।

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार में चीनी राजदूत का प्रभाव इससे भी समझा जाता है कि राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी उन्हें विशेष भोज पर आमंत्रित करती हैं तो पर्यटन मंत्री योगेश भट्टराई उनके साथ फोटो खिंचवाकर खुद को धन्य समझते हैं। किसी मॉडल की तरफ दिखने वाली होउ यांकी नेपाल के वरिष्ठ नेताओं के साथ अपने फोटो को सोशल मीडिया पर अपलोड भी करती रहती हैं। अपनी कूटनीति चालों से होउ यांकी ने ऐसा ताना बाना बुना है कि नेपाल पूरी तरह से चीन के चंगुल में जाता नजर आ रहा है।

नेपाल के नीतिगत मामलों में भी यांकी का बढ़ता प्रभाव नजर आने लगा है। नेपाल के प्रधानमंत्री ओली के भारत के प्रति बदले रुख के पीछे भी यांकी को माना जा रहा है। साथ ही भारतीय क्षेत्रों लिपुलेख, कालापानी व लिपियाधूर को अपना बनाते हुए नेपाल ने अपने देश का जो नया नक्शा जारी किया है, उसके पीछे भी चीनी राजदूत का दिमाग बताया जा रहा है।

भारत के साथ तनाव पूर्ण संबंधों को लेकर नेपाल की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में दरार पड़ी तो यांकी ने पंचायत भी शुरू कर दी। उन्होंने पीएम ओली के साथ ही एनपीसी के चेयरमैन व नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड से मुलाकात की और उन्हें आपस में नहीं लड़ने की सलाह दी।

चीनी राजदूत को नेपाली सेना के प्रमुख थापा से भी अच्छे संबंध बताए जाते हैं। इसकी बानगी 13 मई को देखी गई थी, जब काठमांडू में होउ यांकी ने अपने देश की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के एक कार्यक्रम का आयोजन किया तो उसमें नेपाली सेना के प्रमुख जनरल थापा मुख्य अतिथि थे।