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G20 Summit: सोमवार से शुरू हो रहा है सम्मेलन, इस मुद्दे पर टिकी दुनिया की निगाहें; संयुक्त राष्ट्र ने भी की अपील

G20 Summit ब्राजील में जी-20 सम्मेलन सोमवार से शुरू हो रहा है जिसमें दुनियाभर के तमाम बड़े देशों के नेता इकट्ठा हो रहे हैं। इस दौरान सभी की निगाहें ग्लोबल वार्मिंग को लेकर जारी कूटनीतिक तनाव पर रह सकती है। बाकू में जारी कॉप-29 में वार्ताकारों के बीच जलवायु वित्त (क्लाईमेट फाइनेंस) के मुद्दे पर गतिरोध की स्थिति बनी हुई है।

By Agency Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 17 Nov 2024 10:00 PM (IST)
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सोमवार से ब्राजील में शुरू होगा जी 20 सम्मेलन। (File Image)
रॉयटर्स, रियो डि जेनेरियो। ब्राजील में सोमवार से होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन पर दुनिया की निगाहें हैं और इसमें ग्लोबल वार्मिंग पर कूटनीतिक तनाव केंद्रीय मुद्दा रहने की संभावना है। अजरबैजान के बाकू में जारी कॉप-29 में वार्ताकारों के बीच जलवायु वित्त (क्लाईमेट फाइनेंस) के मुद्दे पर गतिरोध की स्थिति है और वे उम्मीद कर रहे हैं कि विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेता इस गतिरोध खत्म कर सकते हैं।

जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए शासनाध्यक्ष रविवार से रियो डि जेनेरियो पहुंचना शुरू हो गए। इस सम्मेलन में दो दिन गरीबी व भुखमरी से लेकर वैश्विक संस्थानों में सुधार तक के मुद्दों से निपटने पर विचार-विमर्श होगा। हालांकि, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सैकड़ों अरब डॉलर जुटाने के लक्ष्य पर सहमति बनाने का काम कॉप-29 को सौंपा गया है, लेकिन इस धन को जारी करना जी-20 के नेताओं के हाथ में है।

यूएन के जलवायु प्रमुख ने की अपील

जी-20 देशों का वैश्विक अर्थव्यवस्था में 85 प्रतिशत योगदान है और जलवायु वित्त पोषण में सहायता करने करने वाले बहुपक्षीय विकास बैंकों के वे सबसे बड़े योगदानकर्ता हैं। वे दुनियाभर में 75 प्रतिशत से अधिक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए भी जिम्मेदार हैं। संयुक्त राष्ट्र के जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने शनिवार को जी-20 नेताओं को पत्र लिखकर उनसे जलवायु वित्त पर कार्य करने का आग्रह किया, जिसमें विकासशील देशों के लिए अनुदान बढ़ाना और बहुपक्षीय विकास बैंकों के सुधारों को आगे बढ़ाना शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने पिछले हफ्ते कॉप-29 में कहा था, 'सभी देशों को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। लेकिन जी-20 को नेतृत्व करना चाहिए। वे सबसे बड़े उत्सर्जक हैं और उनकी क्षमताएं व जिम्मेदारियां भी सबसे अधिक हैं।' हालांकि अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में लौटने पर इस तरह के समझौते पर पहुंचना और भी मुश्किल हो सकता है, जो कथित तौर पर पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को फिर से बाहर निकालने की तैयारी कर रहे हैं। ट्रंप राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा पारित ऐतिहासिक जलवायु कानून को भी वापस लेने की योजना बना रहे हैं।