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Geneva: बलूच कार्यकर्ता ने बलूचिस्तान में अत्याचार और चीन-पाक सांठगांठ को किया उजागर, UN कार्यालय के सामने किया प्रदर्शन

बलूच मानवाधिकार परिषद ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी अत्याचारों पर चिंता जताई है। उन्होंने क्षेत्र में लोगों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया है। बलूच कार्यकर्ता कंबर मलिक बलूच ने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने बलूच लोगों और उन सभी लोगों के खिलाफ अपनी दमनकारी नीतियां जारी रखी हैं जो आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग कर रहे हैं।

By AgencyEdited By: Shalini KumariUpdated: Sat, 04 Nov 2023 05:38 PM (IST)
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बलूचिस्तान में लोगों पर हो रहे अत्याचार को लेकर चिंता
एएनआई, जिनेवा। जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन एक रोजमर्रा की बात बन गई है। दरअसल, यहां बलूच राजनीतिक कार्यकर्ता पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

हाल ही में, बलूच मानवाधिकार परिषद ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी अत्याचारों पर चिंता जताई है। उन्होंने क्षेत्र में लोगों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए विरोध प्रदर्शन किया है। कार्यकर्ता कंबर मलिक बलूच ने कहा कि असहमति व्यक्त करने के कारण हजारों लोग हत्या और डंप नीति का शिकार बन गए हैं, जबकि कई अन्य की ठिकानों की अब तक कोई जानकारी नहीं है।

आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग कर रहे बलूची

बलूच कार्यकर्ता कंबर मलिक बलूच ने कहा, "पाकिस्तानी अधिकारियों ने बलूच लोगों और उन सभी लोगों के खिलाफ अपनी दमनकारी नीतियां जारी रखी हैं, जो आत्मनिर्णय के अधिकार की मांग कर रहे हैं। यहां तक कि जो लोग इन मांगों का समर्थन करते हैं, उन्हें जबरन अपहरण या किसी तरह से मौत के घाट उतार देते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "2023 की पहली छमाही में, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों द्वारा 160 व्यक्तियों का अपहरण कर लिया गया था,और जो लोग लापता थे, उनमें से 10 को मार डाला गया था। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस डेटा का विश्लेषण करने पर, हमने पाया कि अधिकांश पीड़ित महिलाएं थीं और बच्चे थे। महिलाओं और बच्चों के साथ यौन शोषण का भी शक है, यही कारण है कि हम चिंतित हैं।"

विरोध प्रदर्शन और सभाएं करना भी मुश्किल

कार्यकर्ता ने बलूचिस्तान में चीन के विस्तारवादी एजेंडे और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के मद्देनजर पाकिस्तान की मिलीभगत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, "बलूचों का मानना है कि पाकिस्तान और चीन की सांठगांठ प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने, पाकिस्तान के अन्य हिस्सों से लोगों को लाने और उन्हें अपनी मातृभूमि में बसाने के लिए है। यहां स्थिति इतनी खराब है कि जैसे विरोध प्रदर्शन और सभाएं यहां आयोजित हो जाती है, वैसी गतिविधियां वहां करना संभव नहीं है।"

मानवाधिकारों की स्थिति की मिलती है जानकारी

बलूच कार्यकर्ता ने कहा, "बलूचिस्तान में हमारे स्वयंसेवक हमें मानवाधिकार स्थितियों के बारे में बताते हैं, विशेष रूप से जबरन गायब किए जाने और गैर-न्यायिक हत्याओं से संबंधित स्थितियों के बारे में बताते हैं। वे हम पर इतना भरोसा करते हैं कि वे हमें एकत्र किए गए सभी डेटा प्रदान करते हैं।" बलूच कार्यकर्ता ने कहा, "उन्हें इन मुद्दों को पाकिस्तानी अधिकारियों और संयुक्त राष्ट्र के बाहर भी उठाना होगा। हमने उन्हें पाकिस्तानी अत्याचारों से बचाने के लिए विभिन्न राजनेताओं, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के सामने उठाया है।"

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चीन ने बलूचिस्तान में किया भारी निवेश

चीन ने बलूचिस्तान में भारी निवेश किया है, जिसमें ग्वादर बंदरगाह के विकास और क्षेत्र में अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण में उनका खास निवेश है। बलूच के मूल लोग खासकर मछुआरे, इस क्षेत्र में लंबे समय से चीनी उपस्थिति का विरोध कर रहे हैं। पाकिस्तानी सेना राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और अन्य बुद्धिजीवियों सहित बलूचों को ऐसे समय में निशाना बना रही है, जब वे अपने क्षेत्र पर चीनी कब्जे के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।\

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